कोरोना काल में ग्रामीणों को मुफ्त में बांटे खादी के बनाए मास्क, प्रधानमंत्री ने भी की समूह की इन महिलाओं की सराहना

कोरोना काल में बाराबंकी जिले के एक छोटे से गांव गुरुदत्तखेड़ा की रहने वाली सुमन वर्मा ने अपनी समूह की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर न सिर्फ खादी के मास्क बनाये, बल्कि ग्रामीणों में मुफ्त में वितरण भी किये।

Virendra SinghVirendra Singh   27 Oct 2020 8:13 AM GMT

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कोरोना काल में ग्रामीणों को मुफ्त में बांटे खादी के बनाए मास्क, प्रधानमंत्री ने भी की समूह की इन महिलाओं की सराहनाबाराबंकी की सुमन ने न सिर्फ गाँव में खादी के मास्क बनाकर बांटे, बल्कि समूह के जरिये आज वह परचून की दूकान भी चला रही हैं। फोटो : वीरेन्द्र सिंह

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। कोरोना काल में लॉकडाउन के समय में जब सब कुछ बंद था और कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से हर कोई डरा हुआ था, तब सुमन अपने गाँव में घर में बैठकर सिलाई मशीन से गाँव के लोगों के लिए खादी के मास्क बना रही थीं।

खादी के ये मास्क बना कर सुमन ने न सिर्फ गाँव के बच्चे-बुजुर्गों को मुफ्त में वितरण किये, बल्कि लॉकडाउन के दौरान गाँव को लौटे प्रवासियों को भी बांटे और मास्क के बदले किसी से एक पैसा भी नहीं लिया।

सुमन ने धीरे-धीरे अपने समूह की महिलाओं को भी खादी के मास्क बनाने के लिए प्रेरित किया और आज एक दिन में एक महिला 30 से 35 मास्क बना रही है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी खादी के मास्क बना कर देश में स्वदेशी मुहीम में योगदान देने के लिए सुमन की खूब सराहना की।

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले की हैदरगढ़ तहसील के एक छोटे से गाँव गुरुदत्तखेड़ा की रहने वाली सुमन वर्मा साल 2016 से गाँव में ही मां वैष्णो नाम से स्वयं सहायता समूह चलाती हैं। इस समूह में सुमन के साथ गाँव की ही 11 और महिलाएं जुड़ी हैं।

कोरोना से बचने के लिए मास्क की कमी न हो, इसलिए सुमन के समूह की महिलाओं ने सैकड़ों मास्क बनाये और ग्रामीणों में नि:शुल्क वितरण भी किये। फोटो : वीरेन्द्र सिंह

सुमन 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं, "कोरोना संकट के समय में हमें टीवी एवं समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी हुई कि बाजारों में मास्क की कमी है, तब मैंने खादी के मास्क बनाने के बारे में सोचा ताकि लोगों की मदद की जा सके।"

"इसलिए मैंने खुद खादी के मास्क बनाने शुरू किये लेकिन मैं एक दिन में 30-35 मास्क बना पाती थी, तब मैंने इस काम में अपने महिला स्वयं सहायता समूह की और महिलाओं को भी साथ जोड़ा और गांव के बुजुर्ग-बच्चे, मनरेगा मजदूर और बाहर से लौट रहे प्रवासियों को नि:शुल्क खादी मास्क वितरण किये," सुमन बताती हैं।

ऐसे समय में जब लॉकडाउन के समय में बाजार बंद थे और कहीं कुछ मिल नहीं रहा था, तब सुमन ने मास्क बनाने के लिए गाँव वालों से ही खादी के कपड़ों की व्यवस्था की। कोरोना से बचने के लिए मास्क की कमी न हो, इसलिए उनके समूह ने सैकड़ों मास्क बनाये और ग्रामीणों में नि:शुल्क वितरण भी किये।

हाल में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौरान खादी के मास्क बनाकर स्वदेशी मुहीम को बढ़ावा देने पर बाराबंकी की सुमन की सराहना की तो आज सुमन को सिर्फ अपने गाँव से ही नहीं, बल्कि देश भर से प्रशंसा मिल रही है।

सुमन कहती हैं, "यह तो हमने सपने में भी सोचा नहीं था कि प्रधानमंत्री हमारे काम की ऐसे सराहना करेंगे, बहुत अच्छा लगा। इसलिए अभी भी हमारे समूह की महिलाएं खादी के मास्क बना रही हैं और लोगों को मुफ्त वितरण का काम भी कर रही हैं।"

वहीं डिप्टी कमिश्नर सुनील कुमार तिवारी 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "बाराबंकी में अब तक 5000 से अधिक समूह का गठन कर करीब 80,000 महिलाओं को रोजगार से जोड़ा गया है। सुमन देवी भी एक ऐसी महिला हैं जो सीआईएफ के फंड से तरक्की की राह पर चल पड़ी हैं और दूसरी महिलाओं को भी स्वावलंबी बना रही हैं। उनके काम की देश के प्रधानमंत्री द्वारा तारीफ़ करना बाराबंकी के लिए गर्व की बात है।"

साल 2016 में सूरतगंज ब्लॉक में तमाम स्वयं सहायता समूह की तरक्की सुनकर और इससे प्रेरित होकर सुमन ने भी उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिये माँ वैष्णों नाम से महिला स्वयं सहायता समूह खोला। आजीविका मिशन समूह की महिलाओं को सीआईएफ के तहत एक लाख दस हजार रुपये का ऋण मिलने के बाद आज सुमन एक छोटी सी परचून की दुकान चला रही हैं, जबकि दूसरी महिलाएं टमाटर और हरी मिर्च की नर्सरी लगा कर स्वरोजगार कर रही हैं।

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