मुजफ्फरपुर : जब-जब बढ़ा तापमान, बढ़ा चमकी का कहर
पिछले दस साल के आंकड़ों के अध्ययन ये बात सामने आयी है, जिस साल मई-जून में तापमान अधिक रहा उस साल चमकी बुखार का कहर बढ़ा गया।
Manish Mishra 20 Jun 2019 2:18 PM GMT
लखनऊ। चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौतों का बढ़ते तापमान से सीधा कनेक्शन हो सकता है। जिस साल मई और जून माह में तापमान अधिक बढ़ा, मुजफ्फरपुर में उतने ही अधिक बच्चों की मौतें हुईं।
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार हो रही बच्चों की मौतों के बारे में लीची से लेकर कई अन्य वजहें बताई जाती रही हैं, लेकिन पिछले दस साल के मौसम के आंकड़ों का अध्ययन करने पर एक चीज साफ पता चलती है कि मई-जून महीने के तापमान पर ही निर्भर करता है कि चमकी बुखार से किस साल कितनी मौतें होंगी।
विश्व भर के मौसम की जानकारी देने वाली वेबसाइट वर्ल्ड व्हेदर ऑनलाइन पर दर्ज़ मुजफ्फरपुर जिले के पिछले दस साल के मौसम के आंकड़ों का महीनेवार अध्ययन करने से साफ पता चलता है कि जिस साल मई और जून में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के ऊपर गया बच्चों की मौतें ज्यादा हुईं। तापमान जून में तभी ऊपर रहा जब बारिश कम हुई।
इस बारे में श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं हास्पिटल (एसकेएमसीच) के मेडिकल सुपरिटेंडेँट सुनील शाही भी समय से अच्छी बारिश होने को इस बीमारी से बचाव मानते हैं। वह कहते हैं, "वर्ष 1995 से यही हो रहा है कि अगर बारिश अच्छी और समय से हुई ये बीमारी अपने आप खत्म हो जाती है। अगर आज अच्छी बारिश हो जाए तो यह बीमारी स्वत: समाप्त हो जाएगी है।"
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से हुई बच्चों की मौत के आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2009, 2011, 2012, 2013, 2014 और 2019 में चमकी बुखार से बच्चों की सबसे अधिक मौतें हुईं। इन वर्षों में मई और जून का अधिकतम तापमान 40 डिग्री या इससे ऊपर रहा। सबसे अधिक खराब स्थिति 2012 में रही जब मई महीने का तापमान 42 डिग्री और जून का 41 डिग्री सेल्सियस रहा, इस साल 275 बच्चों की मौत हुई।
वहीं, 2014 में मई और जून माह में 41 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा जो इन दो महीनों में कम ही नहीं हुआ। जून माह में तापमान में गिरावट न होने से सबसे अधिक 355 बच्चों की मौतें हुईं। जबकि वर्ष 2019 में मई माह में में पिछले दस सालों में सबसे अधिक तापमान 43 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
डॉ. शाहा आगे कहते हैं, "तापमान, कुपोषण और टाक्सिक पदार्थ मिल के बच्चे को हाइपोग्लैसेमिया का शिकार बना देते हैं, जिससे बच्चा इस बीमारी की चपेट में आ जाता है।"
इस मई 2019 में तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास होने से स्थिति और खतरनाक हो गई, और बच्चों की मौतें बढ़ी हैं।
वेबसाइट में दर्ज मुजफ्फरपुर के मौसम के आंकड़ों को देखें तो साल 2014 के बाद पिछले पांच सालों का अधिकतम तापमान मई और जून दोनों महीनों में एक साथ 40 के ऊपर नहीं रहा। अगर मई में अधिक हुआ तो जून में कम और अगर मई में कम रहा तो जून में कम रहा। इस बीच औसत तापमान भी कम रहा।
इस स्थिति को समझाते हुए बिहार में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए काम करने वाली संस्था 'सेव द चिल्ड्रेन' के बिहार प्रमुख रफा एजाज हुसैन कहते हैं, "जिन बच्चों में ये समस्या आ रही है वे अति कुपोषित इलाकों से हैं, जहां पेयजल, और कुपोषण पर काफी काम करने की जरूरत है। इसे सीधे लीची से जोड़ना ठीक नहीं।" बढ़ते तापमान के बारे में रफा एजाज हुसैन बताते हैं, "तापमान तो बिहार के कई जिलों में इससे भी ज्यादा है, लेकिन जहां चमकी बुखार की समस्या है वहां की सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि बच्चे शिकार हो रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं और पीडीएस सिस्टम पर काम करने की जरूरत है।"
श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं हास्पिटल (एसकेएमसीच) अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेँट सुनील शाही भी बच्चों को इस जानलेवा बुखार से बचाव के लिए धूप से बचाने, नहलाने और पौष्टिक भोजन खिलाने की सलाह देते हैं।"