‘भारत में वर्ष 2017-18 में तीन लाख टन घट सकता है यूरिया का उत्पादन’
गाँव कनेक्शन 26 Nov 2017 4:28 PM GMT
नई दिल्ली। देश में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान यूरिया का प्रोडक्शन तीन लाख टन घटकर 2.41 करोड़ टन रह सकता है। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार की तरफ से बताया गया कि यूरिया प्लांट्स में रिनोवेशन के चलते प्रोडक्शन में कमी आएगी। 2016-17 में यूरिया का कुल प्रोडक्शन 2.44 करोड़ टन हुआ था।
आज प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में कहा कि यूरिया के उपयोग से जमीन को गंभीर नुकसान पहुंचता है, ऐसे में हमें संकल्प लेना चाहिए कि 2022 में देश जब आजादी के 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब हम यूरिया के उपयोग को आधा कम कर दें।
मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसान तो धरती का पुत्र है, किसान धरती-माँ को बीमार कैसे देख सकता है? समय की माँग है, इस माँ-बेटे के संबंधों को फिर से एक बार जागृत करने की। मोदी ने कहा कि, अगर फसल की चिंता करनी है, तो पहले धरती मां का ख्याल रखना होगा।
कारखानों में चल रहा है नवीनीकरण कार्य
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि एनर्जी इफीशिएंसी के अनुरूप अपग्रेड करने के लिए कुछ यूरिया प्लांट बंद किए गए और कुछ प्लांट्स में रिनोवेशन हो रहा है। इसके चलते यूरिया प्रोडक्शन में कमी आएगी। कुल प्रोडक्शन में तीन लाख टन की कमी आने की उम्मीद है। हालांकि उन्होंने बताया कि यह अस्थायी प्रभाव होगा। यूरिया का प्रोडक्शन पिछले दो साल में बढ़ा था, लेकिन हमारी सालाना डिमांड करीब 3.2 करोड़ टन है। इसलिए कुछ यूरिया का अभी भी इम्पोर्ट किया जा रहा है।
यूरिया की खपत घटाने की कोशिश
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि यूरिया प्लांट्स की क्षमता का पूरा उपयोग किया जा चुका है और कुछ बीमार यूनिट्स को फिर से रिनोवेट किया जा रहा है क्योंकि उनकी क्षमता बढ़ सके। उन्होंने बताया कि सरकार यूरिया का कंजम्प्शन घटाने की कोशिश कर रही है। मिट्टी के अन्य दूसरे पोषक तत्वों के मुकाबले यूरिया सस्ता पड़ता है इसलिए इसका उपयोग काफी ज्यादा किया जा रहा है।
जल्द मिलेगी नीम कोटिंग यूरिया
इसे देखते हुए सरकार ने नीम कोटिंग यूरिया पेश किया है। इसे अगले साल से इसे अगले साल से 50 की बजाय 45 किलो के बैंक में बिक्री के लिए उतारने का प्लान है। यूरिया पर सबसे अधिक सब्सिडी सरकार की ओर से दी जाती है। किसानों को यह 5360 रुपए प्रति टन के भाव पर बेचा जाता है। यूरिया की सब्सिडी रेट पर बिक्री के लिए सरकार सालाना 40 हजार करोड़ रुपए खर्च करती है।
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