दूषित भोजन और पानी की भारी कीमत चुका रहा है हिन्दुस्तान: रिपोर्ट
गाँव कनेक्शन 29 July 2019 8:07 AM GMT
प्रदूषण की दिन-ब-दिन गंभीर होती समस्या से जूझ रहे भारत को भोजन और पानी के दूषित होने की बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस हालात को फौरन ठीक नहीं किया गया तो वर्ष 2022 तक यह नुकसान 9,50,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा भी छू सकता है।
फाउंडेशन फॉर मिलेनियम सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) और रिसर्च फर्म थॉट आर्बिट्राज के एक ताजा संयुक्त रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। जीवन के लिये अनिवार्य पानी और भोजन के दूषित होने से देश को वर्ष 2016-17 में 7,37,457 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह भारी-भरकम धनराशि देश के कुल जीडीपी का 4.8 प्रतिशत है। अगर हालात को फौरन नहीं संभाला गया तो वर्ष 2022 तक यह नुकसान 9,50,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा भी छू सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार सरकार, नीति-निर्धारकों और अन्य हितधारकों के लिये यह जरूरी है कि वे खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में प्रमाण आधारित समुचित प्राथमिकताएं तय करें। उन प्राथमिकताओं का मकसद भारत में भोजन और पानी के दूषित होने के सिलसिले को प्रभावी तरीके से कम करना होना चाहिये।
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फाउंडेशन के चेयरमैन डीएस रावत ने ह्यट्विन बर्डेन ऑफ कम्युनिकेबल डिसीजेज (सीडीज) एण्ड नॉन कम्युनिकेबल डिसीजेज (एससीडीज), इकोनॉमिक बर्डेन ऑफ फूड एण्ड वॉटर कॅन्टैमिनेशन इन इंडिया (संचारी रोगों और गैर संचारी रोगों का दोहरा भार, भारत में भोजन और पानी के दूषित होने से पड़ने वाला आर्थिक बोझ) शीर्षक वाली इस अध्ययन रिपोर्ट को सोमवार को जारी करते हुए कहा कि वर्ष 2016-17 के दौरान दूषित भोजन और पानी के कारण होने वाली बीमारियों के इलाज का कुल प्रत्यक्ष अनुमानित खर्च 32941 करोड़ रुपये था।
प्रत्यक्ष मेडिकल खर्चों में अस्पताल में भर्ती होने या न भर्ती होने पर आने वाला व्यय शामिल है। संचारी रोगों की बात करें तो दूषित भोजन और पानी की वजह से सबसे ज्यादा फैलने वाली बीमारियों में डायरिया, सांस की बीमारी तथा अन्य सामान्य संक्रामक रोग शामिल हैं। कुल बीमारियों में इनकी हिस्सेदारी 79.4 प्रतिशत है। उसके अलावा कुपोषण के कारण होने वाले रोगों की भागीदारी 17.3 प्रतिशत है। यह बात रिपोर्ट में कही गयी है।
रावत ने कहा कि अध्ययन से पता चलता है कि भोजन और पानी का दूषित होना एक बड़ा खतरा है और संचारी रोग हमारी अर्थव्यवस्था और समाज के लिये किसी भी अन्य चीज के मुकाबले कहीं ज्यादा खतरनाक हैं। वर्ष 2016-17 में भारत में खाने और पानी के दूषित होने के कारण हुए संचारी रोगों से कुल डिसएबिलिटी एडजस्टेड लाइफ इयर्स (डीएएलवाई) का 68.4 प्रतिशत बोझ पड़ा।
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डीएएलवाई के नुकसान में असंचारी रोगों की हिस्सेदारी 31.83 प्रतिशत है और बाकी मात्र 0.13 प्रतिशत बोझ दुर्घटनाओं के कारण पड़ता है। उन्होंने कहा कि जहां दुनिया में दूषित भोजन की वजह से होने वाली बीमारियों को स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये गम्भीर खतरा मानते हुए उनसे बचाव के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता फैलायी जा रही है, वहीं दुर्भाग्य से भारत में यह मुद्दा अब भी हाशिये पर है।
रिपोर्ट में भोजन और पानी की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चति करने के लिये संस्थानों, नीति नियंताओं, किसानों, विनिर्माणकर्ताओं, उद्योगों, उपभोक्ताओं तथा रेस्त्रा, होटल एवं ढाबा संचालकों के लिये छह-तरफा रणनीति का सुझाव दिया गया है।
साथ ही साथ इसमें भोजन श्रृंखला में शामिल विभिन्न प्रदूषणकारी तत्वों का वैज्ञानिक विश्लेषण, सरकार की विभिन्न शाखाओं के बीच एकीकृत कामकाज, निगमित इकाइयों को खाद्य सुरक्षा/नियामक तंत्रों के साथ जोड़ने, घरेलू स्तर पर उत्पादित भोजन की, एकीकरण के मानकों के मुताबिक सुरक्षा सुनिश्चति करने आदि सुझाव भी शामिल हैं। (इनपुट भाषा)
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