बड़ा फैसला: आरसीईपी समझौते में नहीं शामिल होगा भारत

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बड़ा फैसला: आरसीईपी समझौते में नहीं शामिल होगा भारत

लखनऊ। भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) समझौते में शामिल न होने का फैसला किया है। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आसियान समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत आरसीईपी के अन्य 15 सदस्य देशों के नेता समझौते को लेकर हस्ताक्षर करने वाले थे लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की प्रमुख चिंताओं को लेकर समझौता नहीं करने का फैसला लिया।


न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि अभी समझौते को लेकर भारत की चिंताएं बनी हुई हैं। व्यापार घाटे पर भारत की चिंताओं को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। भारतीय सेवाओं और निवेशों के लिए वैश्विक बाजार खोलने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। भारत के इस रुख से गरीबों के हितों की रक्षा तो होगी ही साथ ही इससे सर्विस सेक्टर को भी फायदा पहुंचेगा।

देश के किसान और तमाम संगठन सरकार से इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने की अपील कर रहे थे उनकी मांग थी कि कृषि और डेयरी उत्पादों को आरईसीपी समझौते से अलग रखा जाए। जिसके लिए देश के 600 जिलों के किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संजोयक वीएम सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, "10 करोड़ परिवारों की जीविका इस व्यवसाय से जुड़ी हुई है। ऐसे में अगर सरकार ने आरसीईपी समझौता किया तो डेयरी उद्योग पूरी तरह से तबाह हो जायेगा। सरकार को कृषि और डेयरी उत्पादों को इस समझौते से पूरी तरह से बाहर रखना होगा।"


अपनी बात को जारी रखते हुए सरदार वीएम सिंह कहते हैं, "अगर भारत दूध की कमी झेल रहा होता तो यह समझौता समझ में भी आता। भारत में वैसे ही भरपूर मात्रा में दूध है। सरकार को चाहिए कि वह अन्य देशों में यहां से दूध निर्यात करे।" वह आगे कहते हैं, " केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि देश को बाकी संसार के साथ चलना पड़ेगा दुनिया के अंदर जितने देशों की बात वह कर रहे हैं वहां के किसानों को लाखों रुपए की सब्सिडी दी जाती है। भारत के किसानों को लाखों रुपए की सब्सिडी दी जाए फिर मुकाबला करने की बात करें।" आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में किसानों को लाखों रुपए की सब्सिडी दी जाती है।

क्या है आरसीईपी

आरसीईपी एक व्यापार समझौता (ट्रेड अग्रीमेंट) है जो सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार में सहूलियत प्रदान करता है। इसके तहत सदस्य देशों को आयात और निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं भरना पड़ता है या बहुत कम भरना पड़ता है। इस समझौते पर आसियान के 10 देशों के साथ-साथ छह अन्य देश, जिसमें भारत भी शामिल है।

   

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