सीप कल्चर में मची हलचल, भारत में पहली बार बनाया गया ‘वृत्ताकार मोती’
गाँव कनेक्शन 9 April 2017 3:40 PM GMT
नई दिल्ली (भाषा)। दुनियाभर में मोती उत्पादन के क्षेत्र में हल्चल मच गई है। भारत का नाम नई उंचाई तक ले जाने वाले भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर अजय सोनकर ने सीपों की एक विशेष प्रजाति ‘टीरिया पैंग्विन’ में वृत्ताकार मोती बनाने में सफलता हासिल कर ली है। उनके इस एक नए मुकाम ने सीप कल्चर में असंभव को भी संभव कर दिखाया है। इससे पहले डॉ सोनकर काले मोती और प्रसिद्ध गणेश की आकृति वाले ‘मावे पर्ल’ को टीरिया पैंग्विन प्रजाति में बनाया था।
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अभी तक कुछ देशों के वैज्ञानिकों ने सीपों की इस प्रजाति में अब तक जो मोती बनाए हैं, वे अर्द्ध वृत्ताकार रहे। इसके साथ ही इन्हें सीप के बाहरी कवच और आंतरिक झिल्ली के बीच प्रत्यारोपित कर बनाया जाता है जिसे मावे पर्ल कहते हैं। इसे बनाने के लिए सर्जरी नहीं करनी पड़ती बल्कि इसे शेल (सीप का बाहरी ढांचा) और मेन्टल (आंतरिक झिल्ली) के बीच अर्द्धवृत्ताकार न्यूक्लियस को चिपका कर मोती बनने के लिए छोड़ दिया जाता है। वहीं ऐसे मोतियों के निकालने के लिए आमतौर पर सीप को मारना पड़ता है।
लंबी मेहनत के बाद मुझे इस काम में सफलता मिली है और जल्द ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘एक्वाकल्चर सोसायटी’ की होने वाली बैठक में या उनकी पत्रिका में अपने खोज की घोषणा करूंगा।डॉक्टर अजय सोनकर, भारतीय वैज्ञानिक
डॉ सोनकर ने कहा, “शोध के जरिए हमने हीलिंग एजेंट (जख्म ठीक) करने की दवा की सही मात्रा को विकसित किया है। साथ में तथा प्रतिकूल परिस्थितियों से सीप को बचाने का तरीका ढूढ़ने में सफलता पाई है। अब इस असंभव माने जाने वाले काम को आसानी से अंजाम दिया जा सकेगा।” टीरिया पैंग्विन सीप की प्रजाति अपने आकार की वजह से दुनिया के तमाम वैज्ञानिकों के आकर्षण का केंद्र रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें सबसे अच्छा मोती बनाया जा सकता है।
बेहतरीन ‘एरागोनाइट क्रिस्टलाइजेशन’ की वजह से कीमती है मोती
मोती में सबसे जरूरी तत्व उसके संघनित (क्रिस्टलाइजेशन) होने की प्रक्रिया होती है। इस प्रजाति में ‘एरागोनाइट क्रिस्टलाइजेशन’(कैल्शियम के साथ मोती के चमकदार तत्व के आपस में संघनित होने की प्रक्रिया) बेहतरीन ढंग से होती है। अगर एरागोनाइट क्रिस्टलाइजेशन बेहतर होने की वजह से मोती में सदियों चमक बनी रहती है। यही वजह है कि ऐसे मोती काफी कीमती होते हैं।
वहीं अगर बात करें चीन के मीठे पानी के मोती की तो वे इसलिए सस्ते होते हैं क्योंकि वे ‘कैल्याइस क्रिस्टलाइजेशन’ (कैल्शियम कार्बोनेट के साथ मामूली मात्रा में मोती के चमकदार तत्व के संघनित होना) के जरिए बने होते हैं। इसमें मोती कुछ ही सालों में अपनी चमक खो देते हैं।
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