भारत की बड़ी जीत, दलवीर भंडारी दोबारा चुने गए आईसीजे के जज  

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भारत की  बड़ी जीत, दलवीर भंडारी दोबारा चुने गए आईसीजे के जज  भारत के दलबीर भंडारी लगातार दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस में जज बन गए हैं।

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र में भारत को बड़ी जीत मिली है।भारत के दलबीर भंडारी लगातार दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस में जज बन गए हैं। जज की आखिरी सीट के लिए भंडारी और ब्रिटेन के दावेदार के बीच मुकाबला था लेकिन आखिरी क्षणों में ब्रिटेन ने अपने उम्मीदवार को चुनाव से हटा लिया।जस्टिस दलवीर भंडारी को जनरल एसेंबली में 183 वोट मिले, जबकि सिक्योरिटी काउंसिल में जस्टिस भंडारी को 15 वोट मिले।

न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में हुए चुनाव में भंडारी को महासभा में 193 में से 183 वोट मिले, जबकि सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्यों का मत मिला। इससे पहले नाटकीय घटनाक्रम में ब्रिटेन ने चुनाव से ठीक पहले अपनी दावेदारी वापस ले ली, जिसके बाद भंडारी के दोबारा चुने जाने का रास्ता साफ हो गया।

पहले माना जा रहा था कि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य- अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन ब्रिटिश दावेदार ग्रीनवुड का समर्थन कर सकते हैं।ब्रिटेन सुरक्षा परिषद का पांचवां स्थायी सदस्य है। लेकिन 12वें और आखिरी राउंड के चुनाव से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के स्थायी प्रतिनिधि मैथ्यू राइक्रॉफ्ट ने महासभा और सुरक्षा परिषद के प्रमुखों को खत लिखकर ग्रीनवुड के चुनाव से हटने से जुड़ी जानकारी दी।

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राइक्रॉफ्ट ने अपने खत में लिखा कि क्रिस्टोफर ग्रीनवुड ने 15 सदस्यीय आसीजे के चुनाव से हटने का फैसला किया है।ग्रीनवुड भी भंडारी के साथ 9 साल के कार्यकाल के लिए दोबारा चुने जाने की उम्मीद कर रहें थे।

इससे पहले 11 दौर के चुनाव में भंडारी को महासभा के करीब दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिला था, लेकिन सुरक्षा परिषद में वह ग्रीनवुड के मुकाबले 3 मतों से पीछे थे.अंतरराष्ट्रीय अदालत में जज के तौर पर भंडारी का चुना जाना भारत की बड़ी कामयाबी है।

विदेश मंत्री ने ट्वीट कर दी बधाई

अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस में दलबीर भंडारी की जीत को बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी इस मौके पर बधाई दी है।उन्होंने ट्वीट किया, वंदे मातरम, भारत ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस का चुनाव जीता।

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कौन हैं जस्टिस दलबीर भंडारी

  • पद्मभूषण से सम्मानित जस्टिस भंडारी 40 साल से भी ज़्यादा समय तक भारतीय न्याय प्रणाली का हिस्सा रहे हैं।कभी वकील के रूप में, कभी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के जज तो कभी अंतरराष्ट्रीय अदालत के जज के रूप में।
  • जस्टिस भंडारी ने 1973 से 1976 तक राजस्थान हाई कोर्ट में वकालत की और उसके बाद दिल्ली आ गए।यहाँ पर वो कोर्ट में तब तक प्रैक्टिस करते रहे, जब तक 1991 में दिल्ली उच्च न्यायलय के जज नहीं बन गए।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय का जज बनने के बाद जस्टिस भंडारी बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने।
  • जस्टिस दलवीर भंडारी 2005 में सुप्रीम कोर्ट के जज बन गए. 2012 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद वो आईसीजे में जज बन गए।2012 में भारतीय उम्मीदवार के रूप में जस्टिस भंडारी को अंतरराष्ट्रीय अदालत में जज के पद के लिए भारी मतों से चुना गया।
  • चुनाव में भारतीय उम्मीदवार जस्टिस दलवीर भंडारी को कुल 193 देशों में से 122 देशों का समर्थन मिला. जस्टिस भंडारी का कार्यकाल फरवरी 2018 तक रहेगा।
  • जस्टिस भंडारी से पहले 1988-90 में भारत के पूर्व चीफ़ जस्टिस आरएस पाठक को भी इस पद पर नियुक्त किया गया था।
  • जस्टिस दलवीर भंडारी को आईसीजे में जज के चुनाव के लिए भारत सरकार की ओर से किए गए नामांकन को लेकर उस समय विवाद पैदा हो गया था जब भारतीय सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके मांग की गई थी कि उनका नामांकन रद्द कर दिया जाए।
  • जनहित याचिका में कहा गया था कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस भंडारी एक जज हैं और इसलिए सरकार द्वारा उनके चुनाव के लिए प्रचार किए जाने के कारण भारतीय न्यायिक व्यवस्था की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं।
  • लेकिन जस्टिस भंडारी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के जज के तौर पर चुने जाने के एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों अल्तमस कबीर, जे चेलामेश्वर और रंजन गोगोई की खंडपीठ ने जस्टिस भंडारी का नामांकन रद्द करने से इंकार कर दिया था।
  • भारत में पढ़ाई करने के बाद जस्टिस दलवीर भंडारी ने अमरीका के शिकागो स्थित नार्थ वेस्टर्न विश्वविद्यालय से क़ानून में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का काफ़ी अनुभव लिया।
  • 1994 से ही जस्टिस भंडारी इंटरनेशनल लॉ ऐसोसिएशन, इंडिया चैप्टर के सदस्य हैं. 2007 में वो सर्वसम्मति से इंडिया इंटरनेशनल लॉ फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष चुने गए।

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इस अंतरराष्ट्रीय अदालत की स्थापना 1945 में हुई थी, तबसे ऐसा पहली बार होगा जब इसमें कोई ब्रिटिश जज नहीं होगा।

आईसीजे के 15 जजों में से तीन जज अफ़्रीका से और तीन जज एशिया के हैं और उनके अलावा दो जज लैटिन अमेरिका और दो पूर्वी यूरोप से हैं। पाँच जज पश्चिम यूरोप और अन्य इलाकों से होते है।

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