ये सोलर ट्री खत्म कर सकता ऊर्जा संकट , जानिए क्या है इसमें खास

Diti BajpaiDiti Bajpai   28 Jan 2019 5:01 AM GMT

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ये सोलर ट्री खत्म कर सकता ऊर्जा संकट , जानिए क्या है इसमें खासभारत का पहला सोलर पावर ट्री।

नोट : ये खबर विशेष रुप से गांव कनेक्शन के लिए है। इसके कंटेट को किसी रुप में कॉपी-पेस्ट करना आईटी एक्ट 2005 का उल्लंघन माना जाएगा। लगातार गांव कनेक्शऩ की खबरों की चोरी को देखते हुए कई वेबसाइट और ऐप संचालकों को कानूनी नोटिस भेजे जा रहे हैं।

देश में ऊर्जा संकट की समस्या को हल करने के लिए एक वैज्ञानिक ने ऐसा सोलर पावर ट्री बनाया है जो सौर ऊर्जा से बिजली की आपूर्ति करता है। इस पेड़ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसको कम जगह में और कहीं भी लगाया जा सकता है।

"देश में सौर शक्ति के लिए जो सबसे बड़ी समस्या है वो है जमीन। इसी समस्या को देखते हुए 'सोलर पावर ट्री' को तैयार किया गया है। उदाहरण के लिए पांच किलोवाट सोलर पावर का उत्पादन करने के लिए लगभग 500 वर्ग फुट जमीन की आवश्कता होती है। लेकिन पांच किलोवाट का सोलर पावर ट्री लगाने के लिए चार वर्ग फुट की आवश्यकता होगी, "ऐसा बताते हैं, मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सिबनाथ मैती।

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इस सोलर पावर ट्री को सीएसआईआर-सीएमईआरआई (केन्द्रीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) के डॉ सिबनाथ मैती द्वारा विकसित किया गया है। सोलर पावर ट्री एक पेड़नुमा आकृति है जिसकी कई शाखाएं है। इसमें 30 सोलर पैनल लगाए जा सकते है।

केन्द्रीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान के डॉ सिबनाथ मैती द्वारा विकसित किया गया है।

पावर ट्री के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. सिबनाथ बताते हैं, "सौर ऊर्जा बनाने के लिए देश मे किसी भी राज्य को हरित ऊर्जा पर बने रहने के लिए हज़ारो एकड़ भूमि की आवश्कता होगी। लेकिन सोलर पावर ट्री लगाने से बिना जमीन के हजारों मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। भारत में ऐसा पहला मॉडल तैयार किया गया है जो आगे बिजली उत्पादन में मदद करेगा।"

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सोलर पावर ट्री को वर्ष 2008 में ही तैयार कर लिया गया था। लेकिन इसको सरकार ने 2016 में ध्यान दिया। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने अपने आवास पर 'सोलर पावर ट्री' का शुभारंभ किया था। उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा था, आज देश में जो बिजली का संकट है उसमें सोलर प्लांट की विशेष तौर पर जरुरत पड़ेगी। जिस तरीके से हरित क्रांति को लोग बढ़ावा दे रहे हैं उसी तरह से इस अभियान को भी बढ़ावा दिया जाए ताकि बिजली की कमी को दूर किया जा सके। डॉ. हर्षवर्धन ने आगे कहा कि बिजली के संकट को दूर करने में सोलर प्लांट की बड़ी भूमिका है। इसलिए देश के हर नागरिक को इसके बारे में विशेष तौर पर सोचना होगा। सरकार भी इस दिशा में प्रयास कर रही है।

बिजली के संकट को दूर करने में सोलर प्लांट की बड़ी भूमिका है।

"सबसे पहले 3 किलोवाट, 5 किलोवाट उसके बाद 7.5 किलोवाट तक के सोलर पावर ट्री मैंने तैयार किए है। आगे प्रयास चल रहा है कि 9 किलोवाट तक के ट्री तैयार किए जाए। देश के ऐसे गाँव जहां पर बिजली पहुंचना संभव नहीं है वहां इन पेड़ों को लगाकर घरों में बिजली दी जा सकती है, "डॉ. सिबनाथ ने बताया।

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अपनी बात को जारी रखते हुए डॉ मैती आगे बताते हैं, "अगर कोई इसे लगवाना चाहता है तो वो पांच किलोवाट का लगवा सकता है, जिसकी कीमत पांच लाख है। लुधियाना, दिल्ली समेत कई जगहों पर इस पेड़ को लगाया गया है और अच्छी प्रतिक्रिया भी मिल रही है। 7.5 किलोवाट मे 45 यूनिट तैयार हो जाता है। 7.5 किलोवाट के पावर ट्री से पांच घरों को बिजली दी जा सकती है।"

घर की छत पर भी लगा सकते है सोलर पावर ट्री।

दुनियाभर में ऊर्जा के जैविक स्त्रोतों में तेजी से कमी आ रही है, जबकि ऊर्जा की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में वैज्ञानिक द्वारा तैयार किया गया यह सोलर पावर ट्री इस समस्या का हल है।

सोलर पावर ट्री के लिए आप केन्द्रीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान के डॉ सिबनाथ मैती से संपर्क कर सकते है: 9434710952

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वर्ष 2008 में प्रधान वैज्ञानिक डॉ सिबनाथ मैती ने तैयार किया था सोलर पावर ट्री।

सोलर पावर ट्री के फायदे

  • बहुत कम जगह में ज्यादा से ज्यादा बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
  • इस ट्री का प्रयोग 35 साल तक आसानी से किया जा सकता है।
  • तूफान आने पर इसके गिरने का कोई डर नहीं है।
  • पेड़ को इस तरह तैयार किया गया है कि पैनल की छाया दूसरे पैनल में नहीं है सब आसानी से चार्ज हो जाते है।
  • नदी के किनारे, सड़कों और समुद्र के किनारे इस पेड़ को लगाया जा सकता है।
  • इसमें पैनलों को साफ़ करने के लिए ऊपरी भाग पर पानी का फ़ब्बारा लगा होता है।
  • ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों के लिये अनुकूल है।
  • इसके पैनल अधिक ऊंचाई पर लगे होते है इसलिए जमीन पर लगे पैनल की तुलना में अधिक धूप मिलती है। इससे ज्यादा पावर का प्रयोग किया जा सकता है।

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