लोकगीतों और डुगडुगी से फेकन्यूज को हरा रही हैं आईपीएस रीमा राजेश्वरी

सोशल मीडिया के जरिए फैलने वाले फेक मैसेज या अफवाहों से निपटना मुश्किल है, क्योंकि किसी की जेब में पड़े मोबाइल के मैसेज में कितना सच है, कितना झूठ इसका फैसला सिर्फ मैसेज पढ़ने वाला ही कर सकता है।

Alok Singh BhadouriaAlok Singh Bhadouria   3 July 2018 7:03 AM GMT

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लोकगीतों और डुगडुगी से फेकन्यूज को हरा रही हैं आईपीएस रीमा राजेश्वरी


नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करके रीमा ने बाल विवाह, बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सफल अभियान चलाए हैं

लगभग मुफ्त इंटरनेट डेटा, गांव-गांव में मोबाइल कनेक्टिविटी और बेहद सस्ते स्मार्टफोन… कुछ बरस पहले तक ये बातें किसी इंटरनेट प्रेमी के लिए सपने सरीखी लगती थीं। लेकिन आज ये हकीकत बन चुकी हैं और समाज के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द साबित हो रही हैं। पिछले कुछ बरसों में देश भर में ऐसे ढेरों मामले हुए हैं जहां सोशल मीडिया पर वायरल हुए किसी मैसेज से डरी हुई जनता ने महज शक होने पर किसी अनजान की पीट-पीटकर जान ही ले ली। इनसे निपटना मुश्किल इसलिए है क्योंकि किसी की जेब में पड़े मोबाइल के मैसेज में कितना सच है, कितना झूठ इसका फैसला सिर्फ मैसेज पढ़ने वाला ही कर सकता है। तेलंगाना की एक आईपीएस अफसर रीमा राजेश्वरी ने इससे निपटने का एक अनोखा तरीका खोज निकाला है।

रीमा आंध्र प्रदेश से अलग हुए तेलंगाना राज्य के जोगुलम्बा गडवाल जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात हैं। इस जिले में लगभग 400 गांव हैं। यहां साक्षरता दर 50 फीसदी के आसपास है। इस इलाके में कुछ समय से फोन पर बच्चों का अपहरण करने वाले 'बाहरी लोगों के' ऐसे भयानक विडियो और फोटो वायरल हो रहे थे कि स्थानीय लोगों में दहशत की लहर दौड़ गई थी। अपनी और बच्चों की सुरक्षा के लिए जगह-जगह पर लाठी-डंडों से लैस भीड़ घूमने लगी जिसके निशाने पर अजनबी मुसाफिर होते थे।

जब रीमा को यह जानकारी मिली तो उन्हें लगा कि इस पर जल्द ही कोई प्रभावी कदम उठाना होगा। यह इसलिए भी जरूरी था क्योंकि 2019 में होने वाले आमचुनावों के दौरान अगर इसी तरह राजनीतिक अफवाहों को फैलने का मौका मिला तो शांति व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। इसके लिए प्रशासन को ऐसा माध्यम खोजना था जिसकी मदद से सामान्य जन, अशिक्षित और अर्द्धशिक्षित ग्रामीणों को ऐसी अफवाहों के खिलाफ जागरूक बनाया जा सके।

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ऐसे में रीमा का अपना पिछला अनुभव काम आया। वह तेलंगाना के ग्रामीण इलाकों में पिछले 8 बरस से काम कर रही हैं। नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करके रीमा ने बाल विवाह, बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सफल अभियान चलाए हैं। गांव कनेक्शन से बातचीत में रीमा ने बताया कि, " अपने पहले के अनुभव के आधार पर मैंने तय किया कि मुझे सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों के खिलाफ एक जन-जागरूकता अभियान चलाना होगा जिसमें आम जन की हिस्सेदारी होनी जरूरी है। इसके लिए मैंने ग्रामीण परंपरा में चले आ रहे सदियों पुराने संचार के तरीकों जैसे, लोकगीतों, ढोल वादकों और दूसरे लोक कलाकारों को इस मुहिम में शामिल किया।"


ग्रामीण परंपरा में चले आ रहे सदियों पुराने संचार के तरीकों जैसे, लोकगीतों, ढोल वादकों और दूसरे लोक कलाकारों को फेक न्यूज के खिलाफ मुहिम में शामिल किया गया

"शुरू में काफी मुश्किलें आईं पर हम अपनी बात लोगों तक पहुंचाते रहे। धीरे-धीरे गांव वालों ने हम पर भरोसा करना शुरू कर दिया। आज स्थिति यह है कि लोग खुद आकर हमें बताते हैं कि उनके पास कोई फेक या फर्जी मैसेज आया है, या कोई शख्स है जो जानबूझकर बुरे इरादे से ऐसी अफवाहें फैला रहा हैँ। ऐसे में हम आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हैं।" रीमा ने गांव कनेक्शन को बताया।

जब हमने उनसे पूछा कि गांव के सीधे-सादे लोग के मन में बैठे हुए अफवाहों के डर को आप कैसे दूर करती हैं। इस पर रीमा राजेश्वरी ने कहा, "अपने क्षेत्र में हमने लोगों को बार-बार बताया कि जैसे ही उन्हें कोई ऐसा संदेश मिले तो हमें तुरंत जानकारी दें हम उन्हें बताएंगे कि यह सच है कि नहीँ। इस तरह हम उनके भीतर सुरक्षा का भाव पैदा कर रहे हैं। इसके अलावा स्थानीय अखबारों के माध्यम से भी हम अपने अभियान के बारे में लोगों को बताते हैं साथ ही उन्हें भरोसा दिलाते हैं कि ऐसी खबरों से डरने की जरूरत नहीं है। हमने गांव के सरपंचों को इस बारे में ट्रेनिंग भी दी है। हमने लोगों को बताया कि अगर कोई संदिग्ध व्यक्ति दिखे तो भी अपने हाथ में कानून को न लें बल्कि हमें सूचित करें।"

पुलिस की इस मुहिम में समाज के सभी लोगों ने सहयोग दिया। यह तरीका इतना कामयाब रहा कि तमिलनाडु और महाराष्ट्र के पुलिस अफसरों ने इसे अपने यहां लागू करने का विचार बनाया है।

रीमा राजेश्वरी भारत के उन युवा अफसरों में से हैं जो नौकरशाही के सख्त चेहरे को और अधिक संवेदनशील व मानवीय बना रही हैं। इसके लिए उनका तरीका समाज की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करना। रीमा सोशल मीडिया की सकारात्मक ताकत को भी बखूबी पहचानती हैँ और बाल यौन शोषण, बाल विवाह और बाल श्रम जैसे मुद्दों पर इसके जरिए समाज में जागरूकता फैलाने पर काम कर रही हैं।



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