आवश्यक वस्तु अधिनियम: 65 साल पुराने कानून में संशोधन से किसानों और उपभोक्ताओं का क्या होगा फायदा?

Essential Commodities Act यानि आलू, प्याज, तेल, दाल समेत कई आवश्यक वस्तुओं के स्टोरेज और सप्लाई को नियंत्रित करने वाला कानून बदल गया है, 65 साल बाद हुए इस बदलाव को सरकार किसान और उपभोक्ता दोनों के लिए फायदेमंद बता रही है, जानिए क्या होगा इसका असर...

Arvind ShuklaArvind Shukla   22 Sep 2020 8:25 AM GMT

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आलू, प्याज, टमाटर, अरहर, उड़द समेत सभी दालें और सरसों समेत सभी तिलहन से भंडारण की सीमा हट गई है। अब इन वस्तुओं का ज्यादा भंडारण करने पर जुर्माना नहीं होगा, जेल नहीं होगी। सरकार ने आवश्यक वस्तुओं की सूची से इन्हें हटा दिया था। मंगलवार (22 सितंबर 2020) को आवश्यक वस्तु अधिनियम 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill) 2020 राज्यसभा में पास हुआ, जिसके बाद 27 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिल पर हस्ताक्षर कर दिए और ये नया कानून पूरे देश में लागू हो गया।

आम लोगों के उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुएं उपभोक्ताओं को सही रेट पर मिलती रहें इसलिए सरकार उन्हें आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट में रखती है। 1955 में बने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के जरिए सरकार 65 साल से इन वस्तुओं की बिक्री, उत्पादन और आपूर्ति को नियंत्रित करती आ रही थीं, लेकिन अब ये खुले बाजार के हवाले है। कृषि उत्पादों जैसे अनाज, खाद्य तेल, तिलहन दाल, प्याज और आलू कि डी-रेगुलेट कर दिया है यानि अब सरकार इनके बाजार भाव में भी हस्ताक्षेप नहीं करेगी।

क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम एक्ट

कोरोना के दौरान सरकार ने मास्क और सैनेटाइजर की अंधाधुंध बढ़ती कीमतों को इसी कानून के जरिए नियंत्रित किया था। उस दौरान 10 रुपए वाला मास्क 150 और 100 मिलीलीटर की सैनेटाइजर की शीशी 100 से 200 रुपए तक पहुंच गई थी। जिसके केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इन चीजों के रेट तय कर दिए थे।

आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट में डीजल पेट्रोल से लेकर गेहूं, चावल, गुड़, चीनी, ड्रग्स (दवाएं) केमिकल, फर्टीलाइजर आदि भी शामिल हैं। सरकार इस लिस्ट में समय समय पर बदलाव करती है। जो चीजें लिस्ट में आ जाती हैं सरकार उनके भंडारण और आपूर्ति की लिमिट तय कर देती है। तय लिमिट से ज्यादा भंडारण होने पर जुर्माना, जेल और कंपनी, संस्थान पर कार्रवाई की जाती है।

राज्यसभा में ऐसे पास हुआ बिल

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सदन में बिल से समर्थन या विपक्ष में किसने क्या कहा

राज्यसभा में बिल को लेकर हुई बहस में सांसदों ने अपने पक्ष रखे, विपक्ष के कई सांसदों ने भंडारण सीमा पर सवाल खड़े किए तो सरकार से जुड़े सांसदों ने इसे किसान और उपभोक्ता दोनों के लिए लाभकारी बताया।

बिहार से जेडीयू सांसद राम चंद्र प्रसाद सिंह ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि "देहात में टमाटर 2 रुपए किलो किसान से लिया जाता है और दिल्ली में 40 रुपए किलो बिकता है। ये 38 रुपए की खपत बीच में हो जाती है क्योंकि हमारे यहां कोल्ड चेन नहीं है, आवश्यक वस्तु अधिनियम का पुराना एक्ट उसमें बाधक है इसलिए संसोधन होना चाहिए। इससे किसान और उपभोक्ता दोनों को फायदा होगा।"

उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तु अनिधियम एक्ट तब बनाया गया था जब हमारे देश में भुखमरी थी, अकाल पड़ता था, हम लोग बाहर से आए अनाज पर निर्भर थे, पीएल 480 गेहूं हमारे देश पर तमाचा था। लेकिन कृषि क्रांति के बाद अनाज, फल सब्जियों का उत्पादन काफी बढ़ा है। अब हम लोग एक्सपोर्ट करने की स्थिति में है। पुराने कानून हर जगह स्टॉक लग जाता था,इसलिए सप्लाई चेन की दिशा में निजी निवेश नहीं हो पाया। बड़े कोल्ड स्टोरेज और साइलेज नहीं बन पाए, क्योंकि उन्हें पाबंदी लगने का डर था, नए नियम से निजी निवेश बढ़ेगा, फल,फूल सब्जियों की सप्लाई चेन बेहतर होगी और खराबी बंद होगी।

"कालाबाजारी और जमाखोरी तब होती है जब किसी चीज की सार्टेज हो, अब जमाखोरी क्यों होगी? इससे निजी निवेश बढ़ेगा। निवेश होता तो रोजगार होगा। रिफार्म होने से निवेश गांव के नजदीक पहुंच जाएगा। जिसका किसानों को लाभ मिलेगा। मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में सुधार करके अपने अधिकार कम किए हैं।" नरेंद्र सिंह तोमर,कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री

ओडिशा से बीजेडी से सांसद डॉ. अमर पटनायक ने स्टॉक लिमिट को लेकर सवाल उठाएं। उन्होंने उपभोक्ता और किसानों को दिए जाने वाले मूल्य को लेकर भी सवाल उठाएं।

कालाबाजारी और जमाखोरी तब होती है जब किसी चीज की सार्टेज हो, अब जमाखोरी क्यों होगी? इससे निजी निवेश बढ़ेगा। पहले खाने की किल्लत थी, अब खाद्यान सरप्लास हैं। बड़ी मात्रा में फसलें बर्बाद हैं। एफसीआई के गोदमों में अनाज रखा रखा सड़ जाता है, सरकार के पैसे और जनता के टैक्स सबका नुकसान होता है। कानून में बदलावों से ऐसा नहीं होगा। नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री

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कृषि बिलों पर सड़क से लेकर हंगामे के बीच नरेंद्र मोदी सरकार ने गेहूं समेत रबी सीजन की 6 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की घोषणा की है। खरीद वर्ष 2021-22 में अब गेहूं का रेट 1975 रुपए कुंतल होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने गेहूं, जौ, चना, सरसों, मसूर और कुसुम के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के निर्णय को मंजूरी दी है।

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