क्या आपके बच्चे की स्कूल वैन कर रही है इन नियमों का पालन
Deepanshu Mishra 26 April 2018 12:13 PM GMT
उत्तर प्रदेश में एक और ट्रेन हादसे में 18 बच्चों से भरी एक स्कूल वैन एक ट्रेन द्वारा कुचल दी गयी और तेरह बच्चों की मौत हो गयी। इस स्कूल वैन का ड्राईवर हेडफोन लगाकर बात कर रहा था।
प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो ड्राइवर इयरफोन लगाकर मोबाईल पर बात कर रहा था इसके चलते उसने ट्रेन नहीं देख पाई और हादसा हो गया। स्कूल में चलने वाली वैन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नियम बनाएं हैं क्या आपके बच्चों को स्कूल ले जाने वाली वैन इन नियमों का पालन करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी कर रखी हैं ये गाइडलाइन
- बसों में स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए।
- बसों का उपयोग स्कूली गतिविधियों व परिवहन के लिए ही किया जाएगा।
- वाहन पर पीला रंग हो जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए।
- वाहन चालक को न्यूनतम पांच वर्ष का वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। बसों में जीपीएस
- डिवाइस लगी होनी चाहिए ताकि ड्राइवर को कोहरे व धुंध में भी रास्ते का पता चल सके।
- सीट के नीचे बस्ते रखने की व्यवस्था।
- बस में अग्निशमन यंत्र रखा हो।
- बस में कंडक्टर का होना भी अनिवार्य।
- बस के दरवाजे तालेयुक्त होने चाहिए।
- बस में प्राथमिक उपचार के लिए फस्ट ऐड बॉक्स उपलब्ध हो।
- बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) लगी हो।
- स्कूली बस में ड्राइवर व कंडक्टर के साथ उनका नाम व मोबाइल नंबर लिखा हो।
- बस के अंदर सीसीटीवी भी इंस्टॉल होना चाहिए ताकि बस के अंदर की दुर्घटना के बारे में पता लगाया जा सके।
- स्कूली वाहन के रूप में चलने वाले पेट्रोल ऑटो में पांच, डीजल ऑटो में आठ, वैन में 10 से 12, मिनी बस में 28 से 32 और बड़ी बस में ड्राइवर सहित 45 विद्यार्थियों को ही सवार कर सकते हैं।
- किसी भी ड्राइवर को रखने से पहले उसका वेरिफिकेशन कराना जरूरी है। बस चालक के अलावा एक और बस चालक साथ में होना जरूरी।
- चालक का कोई चालान नहीं होना चाहिए और न ही उसके खिलाफ कोई मामला हो।
- बसों में बैग रखने के लिए सीट के नीचे व्यवस्था होनी चाहिए।
- बसों में टीचर हो, जो बच्चों पर नजर रखे।
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