‘वैज्ञानिक चेतना के जरिए देश में सभी क्षेत्रों में विकास की पहल हो’ 

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‘वैज्ञानिक चेतना के जरिए देश में सभी क्षेत्रों में विकास की पहल हो’ ‘वैज्ञानिक चेतना के जरिए देश में सभी क्षेत्रों में विकास की पहल हो’ 

जयपुर। राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि वैज्ञानिक चेतना के जरिए देश में सभी क्षेत्रों में विकास की पहल की जाए। उन्होंने प्राचीनतम भारतीय विज्ञान के साथ ही आधुनिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में देश में वैज्ञानिक सोच से कार्य करने एवं देश और राज्य को अग्रणी किए जाने पर जोर दिया है।

देवनानी शुक्रवार को जयपुर एमएनआईटी में उड़ान संस्था की ओर से आयोजित ‘नेशनल विज्ञान कॉन्क्लेव 2018‘ के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने वैज्ञानिक सोच से भारत को आगे बढ़ाए जाने के लिए तीन ‘आई’ को केन्द्र में रखते हुए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह तीन ‘आई’ हैं- इनोवेशन, इनिशिएशन और इन्टीग्रीटी। यानी जो कुछ किया जाए उसमें नवाचार करें, पहल करें और इसके साथ ही देश के प्रति प्रतिबद्धता रखते हुए कार्य किया जाए।

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देवनानी ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए बढ़ती आबादी और घटते संसाधनों को ध्यान में रखते हुए इस तरह की वैज्ञानिक सोच पर कार्य किया जाए जिससे न्यूनतम साधनों से अधिकतम लोगों को लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिक सोच से शहरी सुविधाओं के अधिकाधिक विकास किए जाने पर भी जोर दिया ताकि शहरों में गाँवों के पलायन को रोका जा सके। इसके लिए उन्होंने गाँवों में रोजगार उपलब्ध कराने, समुचित सुविधाएं जुटाने और बढ़ते प्रदूषण को रोके जाने के लिए भी वैज्ञानिक सोच से कार्य करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को प्राचीनतम भारतीय विज्ञान के बारे में अधिकाधिक जानकारी दिए जाने की जरूरत है। उस विज्ञान के बारे में जिसमें गणेशजी की शल्य चिकित्सा के जरिए सूंड लगाई गई और रामायण में पुष्पक विमान के जरिए यात्रा करने के दृष्टांत हैं। उन्होंने भारतीय चरक संहिता के तहत उपचार किए जाने, खगोलीय गणना आदि के साथ ही परमाणु ऊर्जा में देश अग्रणी कैसे बना आदि के बारे में जानने की जिज्ञासा शिक्षण संस्थाओं में जगाए जाने पर जोर दिया।

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शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान कान्क्लेव के जरिए वैज्ञानिक चेतना जगाई जाए। उन्होंने कहा कि अथर्ववेद पर जाएंगे तो पाएंगे कि भारत वैज्ञानिक सोच से कितना संपन्न रहा है। उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में विज्ञान को अपनाए जाने, शिक्षण संस्थाओं में वैज्ञानिक कार्यों के प्रोत्साहन दिए जाने पर जोर दिया। उन्होंने श्वेत क्रांति के जनक कुरियन की चर्चा करते हुए कहा कि दुग्ध उत्पादन में आज विश्वभर में भारत उन्हीं के कारण अग्रणी है। उन्होंने भारतीय विज्ञान की उपलब्धियां को सफलता की कहानियों के रूप में नई पीढ़ी तक पहुंचाए जाने पर जोर दिया।

इस मौके पर एमएनआईटी के निदेशक ने वैज्ञानिक संवाद के अधिकाधिक आयोजन किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इसके लिए हर संभव सहयोग करेगा। उन्होंने वैज्ञानिक सोच से जुड़े आयोजनों के साथ ही कौशल विकास पर भी जोर दिया।

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उड़ान संस्था के संस्थापक उमाशंकर ने कहा कि ‘उड़ान’ का उद्देश्य ही यही है कि बचपन से वैज्ञानिक प्रतिभाओं को अवसर प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए नेशनल टेलेन्ट प्रतियोगिता, विज्ञान में नवाचार और प्रोत्साहन के विभिन्न आयोजन किए जाते हैं। कौशल विकास के तहत 4 वर्ष की आयु से अधिक उम्र के बच्चों को प्रशिक्षित किया जाता है। उन्होंने स्टार्टअप योजना ‘दीप’ के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत युवाओं के स्टार्टअप को प्रोत्साहित किया जाता है। ग्रामीण विकास के तहत गाँवों में ही प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के अवसर प्रदान किया जाते हैं।

वैज्ञानिक कॉन्क्लेव के बारे में विस्तार से डॉ. मधुसूदन ने जानकारी दी तथा कहा कि इसमें युवा वैज्ञानिकों के किए कार्यों को सम्मिलित किया गया है।

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