आतंकियों की धमकी का नहीं असर, पुलिस में भर्ती होने के लिए हजारों कश्मीरियों ने किए आवेदन

Anusha MishraAnusha Mishra   14 May 2017 8:11 AM GMT

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आतंकियों की धमकी का नहीं असर, पुलिस में भर्ती होने के लिए हजारों कश्मीरियों ने किए आवेदनशनिवार को बख्शी स्टेडियम में घाटी के 2000 युवक-युवतियां सेना भर्ती की परीक्षा में शामिल हुए।

श्रीनगर। कश्मीर के वाशिंदों पर आतंकियों का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। कई आतंकी संगठन कश्मीरी युवाओं को चेतावनी देते रहते हैं कि वे किसी सुरक्षाबल में भर्ती न हों लेकिन कश्मीरी युवाओं पर इन धमकियों का कोई असर होता नहीं दिख रहा है। जम्मू कश्मीर के युवाओं ने पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती के लिए भारी संख्या में आवेदन दिए हैं।

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आर्मी अफसर लेफ्टिनेंट उमर फयाज की हत्या कर हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों की कश्मीरियों को सेना से दूर रहने की चेतावनी के 4 दिन बाद ही करीब 2000 कश्मीरी युवा सुरक्षा बलों में जाने के लिए तैयार हैं। शनिवार को बख्शी स्टेडियम में घाटी के 2000 युवक-युवतियां सेना भर्ती की परीक्षा में शामिल हुए। कश्मीरी युवक-युवतियां यहां जम्मू-कश्मीर पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद के लिए फिजिकल टेस्ट (पीईटी और पीएसटी) के लिए आए हुए थे। जम्मू-कश्मीर की पुलिस भर्ती के लिए लाइन में खड़े दिखे बल्कि उनकी संख्या जम्मू से आने वाले युवाओं की संख्या में काफी ज्यादा थी। सब-इंस्पेक्टर के 698 पदों के लिए 67,218 उम्मीदवारों ने आवेदन किया है। इनमें से 35,722 कश्मीर से थे जबकि जम्मू से आने वाले उम्मीदवारों की संख्या 31, 496 थी।

जम्मू-कश्मीर डीजीपी एसपी वैद्य ने बताया, दर्जनों कश्मीरी लड़कियों ने समाज की तमाम रूढ़ियां तोड़ते हुए पुलिस भर्ती के फिजिकल टेस्ट में हिस्सा लिया। 6000 से ज्यादा कश्मीरी लड़कियां सब-इंस्पेक्टर्स की भर्ती के लिए हुए फिजिकल टेस्ट में शामिल हुईं।

श्रीनगर से आने वाली एक उम्मीदवार नुशरत ने बताया, ‘वह स्थानीय महिलाओं की मदद रना चाहती हूं कश्मीर में आंतकवाद की वजह से हमने कईं औरतों को बहुत मुसीबतें झेलते देखा है। उनकी मुश्किलों की तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए।’ पुराने श्रीनगर से सायंस ग्रजुएट मोहम्मद रफीक भट्ट ने कहा कि उन्हें अच्छे से पता है कि आतंकियों से मिलतीं धमकियों के बीच घाटी में एक पुलिसकर्मी का जीवन कैसा होता है। रफीक ने कहा, ‘लेकिन मैं आतंकियों से खतरा मोल लेने को तैयार हूं। आंतकवादी सही राह पर नहीं चल रहे हैं और उनकी बीमारी का इलाज किया जाना जरूरी है।’ श्रीनगर की एक अन्य उम्मीदवार रूबीना अख्तर ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस में नौकरी मिलने से कश्मीर के दर्द दूर किए जा सकते हैं।’


           

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