असम में दिमागी बुखार का कहर, 49 लोगों की मौत
स्वास्थ्य विभाग के निगरानी नेटवर्क के सुझाव के आधार पर रक्त के नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया गया है
गाँव कनेक्शन 6 July 2019 1:05 PM GMT
गुवाहाटी। असम में पांच जुलाई तक दिमागी बुखार से मौत के कुल 49 मामले सामने आए हैं जबकि 190 लोग इससे पीड़ित हैं। असम के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत विश्व सरमा ने शनिवार को यह जानकारी दी। सरमा ने कहा कि कोकराझार को छोड़कर राज्य के सभी जिले बीमारी की चपेट में हैं और स्थिति से निपटने के लिये जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के निगरानी नेटवर्क के सुझाव के आधार पर रक्त के नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया गया है। सरमा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया, "राज्य सरकार ने संदिग्ध लोगों को जिला अस्पताल ले जाने के लिये निशुल्क परिवहन की व्यवस्था की है। इसके अलावा जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के लिये गहन चिकित्सा इकाइयों तथा वार्डों में बेड आरक्षित किये गए हैं।" उन्होंने कहा, "सरकार मरीजों की जांच और इलाज का खर्च उठाएगी।" इसके अलावा भी राज्य सरकार ने रोग से निपटने के लिये कई कदम उठाए हैं।
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जापानी मस्तिष्क ज्वर एक घातक संक्रामक बीमारी है जो फ्लैविवाइरस के संक्रमण से होती है। सर्वप्रथम साल 1871 में इस बीमारी का जापान में पता चला था इसलिए इसका नाम ''जैपनीज इन्सेफ्लाइटिस'' पड़ा है। सुअर और जंगली पक्षी मस्तिष्क ज्वर के विषाणु या वायरस के मुख्य स्रोत होते हैं।
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डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि इंसेफेलाइटिस के ज्यादातर केस जुलाई से अक्तूबर तक आते हैं जबकि इसकी शुरूआत जून से ही हो जाती है। वहीं सर्दियां आते-आते जापानी बुखार खत्म होने लगता है। इस बीमारी से साल 1978 से गोरखपुर समेत पूर्वांचल के कई जिलों के अब तक 16 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। इसका प्रकोप ज्यादातर उन जगहों पर होता है, जहां चावल के खेत हैं या अधिकतक समय पानी भरा रहता है। 1 से 15 साल तक के बच्चों में इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा रहती है।
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