लॉकडाउन: "मैं यह सुसाइड गरीबी और बेरोजगारी के चलते कर रहा हूं..."

ट्रेन के आगे आत्महत्या करने वाले शख्स ने लिखा की लॉकडाउन बढ़ता जा रहा है और नौकरी कहीं मिल नहीं रही है,जिससे मैं अपना खर्चा और इलाज करा सकूं। होटल बंद होने से बेरोजगार शख्य की मौत कई सवाल खड़े करती है।

Arvind ShuklaArvind Shukla   29 May 2020 7:46 PM GMT

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लॉकडाउन: मैं यह सुसाइड गरीबी और बेरोजगारी के चलते कर रहा हूं...

इनपुट- मोहित शुक्ला और शिशिर, सीतापुर, लखीमपुर खीरी

लखनऊ/लखीमपुर खीरी। "मैं यह सुसाइड गरीबी और बेरोजगारी की वजह से कर रहा हूं। गेहूं चावल सरकारी कोटे से मिलता है पर चीनी, पत्ती, दूध, दाल, सब्जी, मिर्च, मसाले परचून वाला अब उधार नहीं देता। लॉक डाउन बराबर बढ़ता जा रहा है। नौकरी कहीं नहीं मिल रही।"

ये सुसाइड नोट 29 मई को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के मैगलगंज कस्बे में रेलवे लाइन पर कटे शव की जेब में मिला। रेलवे पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए अपने सेंटर शाहजहांपुर भेज दिया है। ट्रेन की पटरी पर मिले शव की पहचान मैगलगंज की नई बस्ती निवासी भानु प्रकाश गुप्ता के रुप में हुई।

भानु गुप्ता लखीमपुर के पड़ोसी जिले शाहजहांपुर में एक होटल पर खाना बनाने का काम करते थे। लेकिन लॉकाडाउन के बाद होटल बंद हो गया और भानु बेरोजगार हो गए। गांव कनेक्शन ने देर रात भानु गुप्ता के मौसेरे भाई सौरभ गुप्ता से फोन पर बात की।

सौरभ बताते हैं, "मेरा घर उनके घर से आधा किलोमीटर दूर है। वो बहुत थे और सांस की बीमारी थी, होटल बंद होने के बाद पैसों को लेकर बहुत परेशान थे, मेरे पास आए थे एक दो बार तो मुझसे दो मदद हो सकी मैंने की थी। आज पता चला उन्होंने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। पहले तो कामधंधा नहीं, खाना तो रोज खाना ही है, बीमारी अलग से इसलिए वो बहुत परेशान थे।"

लखीमपुर के जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा कि मृतक के परिवार को उसके व उसकी मां के अन्त्योदय राशन कार्ड बने थे। उन पर 40 किलो राशन का उठान भी हुआ है। जिला प्रशासन भानु के परिवार की हर संभव सहायता करेगा।"

भानु गुप्ता का शव शुक्रवार 29 मई की शाम को तीन से 4 बजे के बीच शाहजहांपुर- सीतापुर रेलवे ट्रैक पर मिला। घर वालों के मुताबिक सीतापुर की तरफ से आ रही श्रमिक ट्रेन से कटकर उन्होंने जान दी है।

भानु गुप्ता के परिवार में 3 छोटे बेटे और 2 बेटियां हैं। जिनमें से बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। दूसरी की शादी की खोज कर रहे थे। सौरभ गुप्ता बताते हैं, उनका मां विधवा हैं, उन्हें पेंशन मिलती है। उसी से काम चल रहा होगा। बाकी उधार-व्यवहार मांग कर काम चला रहे थे।

भानु गुप्ता ने अपने सुसाइड नोट में भी लिखा है कि सरकार की तरफ से उन्हें राशन मिल रहा था। लेकिन बाकी सामान खरीदने के लिए दुकानदार ने उधार देने से मना कर दिया था।

सुसाइड नोट में भानु गुप्ता ने आगे लिखा..

"मुझे खांसी, सांस जोड़ों का दर्द, दौरा और अत्यधिक कमजोरी, चलना दूभर, चक्कर आदि हैं। मेरी विधवा मां भी दो साल से खांसी बुखार से पीड़ित हैं। तड़प-तड़प कर जी रहे हैं। लॉकडाउन बराबर बढ़ता जा रहा है। नौकरी कहीं मिल नहीं रही है, जो काम हो की खर्चा चलाएं व इलाज कराएं। हमें न कोई शासन का सहयोग मिला..."

सुसाइड नोट का बाकी हिस्सा नहीं मिला है। भानु की मौत के बाद मौके पर पहुंचे उनके मौसेरे भाई सौरभ गुप्ता फोन पर गांव कनेक्शन को बताते हैं, शरीर के दो हिस्से हो गए थे। घर से आधा किलोमीटर दूर ही रेलवे की क्रांसिग है। अब आगे पता नहीं कैसे उनके बच्चे जिएंगे, क्योंकि वो अभी छोटे हैं काम करने लायक तो हैं नहीं।"

पोस्टमार्टम रिपोर्ट और संबंधित अधिकारियों के बयान के बाद खबर में अपडेट कर दिया जाएगा..

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