केस की सुनवाई कर रहे जज ने चुकाया बुजुर्ग दंपति का कर्ज, 6 हजार के लिए बैंक ने भेजा था नोटिस

Tameshwar SinhaTameshwar Sinha   15 July 2019 6:43 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
केस की सुनवाई कर रहे जज ने चुकाया बुजुर्ग दंपति का कर्ज, 6 हजार के लिए बैंक ने भेजा था नोटिस

कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला न्यायालय के न्यायाधीश हेमंत सराफा ने एक बुजुर्ग दम्पति द्वारा बैंक से लिए गए कर्ज को चुका कर उन्हें कर्ज मुक्त कर दिया है। न्‍यायाधीश के इस कदम की खूब बड़ाई हो रही है।

दरअसल ग्राम कोलरिया निवासी धन्नुराम दुग्गा (80 वर्ष) अपनी पत्नी नथलदेई दुग्गा (70 वर्ष) के साथ बैंक के नोटिस पर जिला न्यायालय में आयोजित नेशनल लोक अदालत में पहुंचे थे। नथलदेई दुग्गा ने बताया कि गांव में अपने छोटे से मकान के निर्माण के लिए बैंक से बीस हजार रुपये का कर्ज लिया था, जिसमें से छह हजार रुपये की राशि बकाया थी। छह हजार रुपये का भुगतान न करने पर बैंक के द्वारा उन्हें नोटिस भेजा गया था और मामला नेशनल लोक अदालत में रखा गया था।

शनिवार को जब धन्नूराम व नथलदेई कोर्ट में जिला एवं सत्र न्यायाधीश हेमंत सराफ की खंडपीठ के समक्ष उपस्थित हुए तो उन्होंने न्यायाधीश को बताया कि अधिक आयु होने के कारण अब वे किसी भी प्रकार का कार्य करने में सक्षम नहीं हैं। उनके पास आय का कोई और जरिया भी नहीं है और न ही उनकी कोई संतान है, जो बैंक की उधारी का भुगतान कर सके।


नथलदेई ने बताया कि उसे वृद्धावस्था पेंशन मिलती है और राशन से 35 किलो चावल, जिससे उनका गुजारा चलता है। धन्नूराम को वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं मिलती। इसके बाद न्यायाधीश हेमंत सराफ ने बैंक के अधिकारी को आपसी समझौते से मामले को खत्‍म करने की बात कही। इसपर बैंक अधिकारी ने बताया कि बैंक के नियम के अनुसार कम से कम आधी राशि जमा करने पर भी मामले को खत्‍म किया जा सकता है।

बैंक के इस प्रस्‍ताव के मुताबिक धन्नूराम को तीन हजार रुपए देने थे, लेकिन दम्पति के पास बैंक को देने के लिए तीन हजार रुपये भी नहीं थे। इसे देखते हुए न्यायाधीश हेमंत सराफ ने खुद तीन हजार रुपये बैंक को देकर आपसी समझौते के आधार पर मामले को समाप्त करने का आदेश दिया। इसके बाद वृद्ध दम्पति के पास घर वापस जाने के लिए भी पैसे नहीं थे, जिसपर न्यायाधीश ने उनके घर वापस जाने के लिए भी उन्हें एक हजार रुपये दिए।

नथलदेई ने बताया कि ''मैंने और मेरे पति धन्नूराम ने कभी न्यायालय का मुंह नहीं देखा था। बैंक का नोटिस मिलने के बाद हम डर गए थे। हम दोनों पढ़े लिखे नहीं हैं।'' दम्पति ने कहा कि वे बड़े साहब के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने उनके द्वारा लिये गए उधार का भुगतान कर दिया। धन्नूराम व नथलदेई को शासकीय आवास योजना के तहत मकान स्वीकृत हुआ था, इसके निर्माण के लिए पैसे कम पड़ने पर बैंक से बीस हजार का ऋण लिया गया था।

  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.