'कहानी के केंद्र में हों गाँव और किसान'

कैफ़ी आज़मी अकादमी में जनवादी लेखक संघ की ओर से 'लखनऊ में कहानी-कविता' का हुआ आयोजन

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कहानी के केंद्र में हों गाँव और किसान

पुष्पेन्द्र वैद्य, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

लखनऊ। हमारा देश गाँवों में बसता है। तमाम तरह के पलायन के बाद भी पैंसठ फीसदी से ज़्यादा लोग अब भी वहीं रहते हैं। लेकिन इन दिनों हिन्दी में जो कहानियाँ लिखी जा रही हैं, उनमें गाँव और खेती-किसानी की कहानियाँ उस तादाद में नहीं आ पा रही हैं, जितनी होनी चाहिए। कहानी के केंद्र में गाँव और किसान होंगे तो हम उनकी बदलती हुई परिस्थितियाँ, उजड़ते हुए गाँव और किसानों की बदहाली को अच्छे ढंग से परिचित करा सकेंगे।

यह बात हाल में लखनऊ की कैफ़ी आज़मी अकादमी में जनवादी लेखक संघ के आयोजन 'लखनऊ में कहानी-कविता' में उभरकर सामने आई। देश भर के रचनाकारों ने इस पर अपनी बात प्रभावी ढंग से रखी।

दरअसल मध्य प्रदेश के कहानीकार मनीष वैद्य ने आयोजन में अपनी कहानी 'एचएमटी 3511' का पाठ किया। यह कहानी मालवा अंचल के एक ऐसे किसान की है, जो सत्तर बीघा जमीन का काश्तकार है और एक ट्रैक्टर खरीदने का सपना देखता है, लेकिन कैसे कर्ज़ के दबाव और फसलों के लगातार खराब होते जाने के कारण उसका यह सपना 'सपना' ही बनकर रह जाता है।


ट्रैक्टर नहीं खरीद पाने के कारण वह कुंठित हो जाता है और अपने आप को अपनी कोठरी में समेट लेता है। लेकिन हद तब हो जाती है, जब उससे कमतर गाँव का ही एक दूसरा किसान वही ट्रैक्टर खरीद लाता है। उसकी कुंठा इतनी बढ़ जाती है कि वह विक्षिप्त-सा होकर गाँव की गलियों में घूमने लगता है। बच्चे उसे ट्रैक्टर के नाम से चिढ़ाने लगते हैं और वह उनके पीछे भागता है। भारतीय किसान की इस दारुण आख्यान को श्रोताओं और वक्ताओं ने खूब तवज्जो दी।

कार्यक्रम के पहले सत्र में पाँच कहानीकारों की कहानियों का पाठ हुआ। अवधेश श्रीवास्तव की कहानी 'सुदामाज' का पाठ आभा खरे ने किया। प्रताप दीक्षित ने अपनी कहानी 'आउट ऑफ डेट', मनीष वैद्य ने 'एचएमटी 3511', सोनी पाण्डेय ने 'भात' और संदीप मील ने 'लाश के साथ एक रात' कहानी का पाठ किया।


दूसरे सत्र में पढ़ी गई कहानियों पर कथाकार अखिलेश की अध्यक्षता में चर्चा हुई। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए उन्होंने कहा कि मनीष वैद्य की कहानी भूमंडलीकरण के दौर में अच्छी कहानी है। सोनी के पास ग्राम जीवन की गहरी सूझ है। यहाँ मानवीय रिश्ते प्रमुख हैं। संदीप मील अपनी बात कहने के लिए यथार्थ के पार जाते हैं। उनकी कहानी नया शिल्प गढ़ते हैं।

इससे पहले 'लखनऊ में कविता' कार्यक्रम की अध्यक्षता कवयित्री कात्यायनी ने की। उन्होंने कविता के समकालीन संदर्भों को रेखांकित करते हुए इस काल को कविता के लिए जोखिम भरा समय बताया। दूसरे सत्र में आमंत्रित कवियों का कविता पाठ हुआ। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने की। इस मौके पर सिद्धेश्वर सिंह ने 'प्रोफ़ाइल पिक्चर' , 'एक स्त्री का दुख' , 'किसान' और 'दिलदारनगर' कविताएँ सुनाईं।

   

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