कांचीपुरम मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती नहीं रहे

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   28 Feb 2018 5:08 PM GMT

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कांचीपुरम मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती नहीं रहेकांचीपुरम मठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती (82 वर्ष) 

कांचीपुरम। कांचीपुरम मठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती (82 वर्ष) का बुधवार को यहां के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। एक अधिकारी ने बताया कि वह कुछ समय से बीमार थे। उन्हें बुधवार तड़के ही निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

जयेंद्र सरस्वती देश के सबसे पुराने मठों में से एक के प्रमुख थे और वह काफी लंबे समय से इस पद पर आसीन थे। वह श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल के बाद इस शैव मठ के प्रमुख बने थे।

आदि शंकराचार्य अद्वैत वेदांत के प्रणेता प्रसिद्ध शैव आचार्य थे। उपनिषदों और वेदांतसूत्रों पर लिखी हुई इनकी टीकाएं बहुत प्रसिद्ध हैं।आदि शंकराचार्य ने भारतवर्ष में चार मठों की स्थापना की थी जो अभी तक बहुत प्रसिद्ध और पवित्र माने जाते हैं और जिनके प्रबंधक तथा गद्दी के अधिकारी 'शंकराचार्य' कहे जाते हैं। वे चारों स्थान ये हैं-

कांचीपुरम मठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती

  • बदरिकाश्रममें ज्योतिर्पीठ (उत्तर दिशा)
  • द्वारिकाशारदा पीठ (पश्चिम) में
  • दक्षिण शृंगेरीपीठ- (दक्षिण)
  • जगन्नाथपुरी-गोवर्द्धन पीठ (पूर्व दिशा)

आदि शंकराचार्य को भगवान शंकर का अवतार माना जाता हैं।

शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को कांची पीठ के शंकराचार्य के पद पर आसीन हुए आज 65 वर्ष हो गए हैं। शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का पहले नाम सुब्रहमण्यम था। उन्हें वेदों का ज्ञाता माना जाता था।शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने अयोध्या और कुछ अन्य विवादास्पद मसलों पर विभिन्न पक्षों से बातचीत करने की पहल की थी लेकिन जहां ऐसा करने के लिए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी सराहना की वहीं कई हल्कों में उनकी कड़ी आलोचना भी हुई थी। जयेंद्र सरस्वती ने शंकर विजयेंद्र सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।

बाइज्जत बरी हुए थे शंकराचार्य

तमिलनाडु में जयललिता के शासन के दौरान शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को वर्ष 2004 में शंकररमण की हत्या के सनसनीखेज मामले में गिरफ्तार किया गया था। पर पुडुचेरी की सत्र अदालत ने वर्ष 2003 में उन्हें ने बरी कर दिया था। श्री वरदराजपेरुमल मंदिर के प्रबंधक ए.शंकररमण की तीन सितंबर, 2004 को धारदार हथियार से नृशंस हत्या कर दी गई थी। उन्होंने जयेंद्र सरस्वती और उनके कनिष्ठ विजयेंद्र सरस्वती के खिलाफ मठ प्रशासन में वित्तीय अनियमितता बरतने के आरोप लगाए थे। विजयेन्द्र सरस्वती अब उनके उत्तराधिकारी बनेंगे।

शंकररमण की हत्या की साजिश रचने के आरोप में जयेंद्र सरस्वती को दीपावली की पूर्व संध्या पर 11 नवंबर 2004 को गिरफ्तार किया गया था। इन दो शंकराचार्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया था। विजयेंद्र सरस्वती को 10 जनवरी 2005 को मठ से गिरफ्तार किया गया था और एक महीने बाद उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी। शंकराचार्य ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर मामले को पुडुचेरी की अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था।

उन्होंने आशंका व्यक्त की थी कि तमिलानाडु का माहौल ठीक नहीं है और ऐसी स्थिति मे वहां मुकदमा की कार्यवाही निष्पक्ष ढंग से शायद नहीं चल पाए। नवंबर 2013 में पुडुचेरी सत्र अदालत ने शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती और श्री विजयेंद्र सरस्वती को आरोपों से बरी कर दिया था। जयेन्द्र शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती के अलावा मामले के 21 अन्य आरोपियों को भी पुडुचेरी के प्रधान जिल एवं सत्र न्यायाधीश सी एस मुरुगन ने बरी कर दिया था। इस मामले में कुल 24 लोगों को आरोपी बनाया गया था लेकिन उनमें से एक काथीरावन की 2013 में हत्या हो गई थी।

आदि शंकराचार्य के निवास के कारण विशेष श्रद्धा का केन्द्र है कांची कामकोटि पीठ

शंकराचार्य परम्परा में कांची कामकोटि पीठ आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मूल पीठों में शामिल नहीं है किंतु आदि शंकराचार्य का निवास स्थल होने के कारण इसे विशेष सम्मान दिया जाता है। संस्कृत के विद्वान इलाहाबाद के डा. रामजी मिश्रा ने बताया कि केदारनाथ के मंदिर का जो वर्तमान स्वरूप है, उसके निर्माण में भी कांची कामकोटि पीठ का बहुत योगदान रहा है।

डा. रामजी मिश्रा के अनुसार माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने चार पीठ स्थापित की थीं। इनमें उत्तर में बदरिकाश्रम में ज्योर्तिपीठ, पश्चिम में द्वारका की शारदा पीठ, पूर्व में पुरी की गोवर्धन पीठ और दक्षिण में कर्नाटक की श्रृंगेरी पीठ। उन्होंने बताया कि आदि शंकराचार्य ने अपने निवास के लिए कांची कामकोटि पीठ की स्थापना की थी। कुछ विद्वानों का मत है कि आदि शंकर की जीवनयात्रा का अंत भी यहीं हुआ था जबकि कुछ विद्वान मानते हैं कि आदि शंकराचार्य का निधन केदारनाथ में हुआ था।

संस्कृत के एक अन्य विद्वान एवं सेवानिवृत्त् आईपीएस अधिकारी अरूण उपाध्याय ने बताया कि वैसे तो शंकराचार्य की सभी पीठें शास्त्रीय ज्ञान के अध्ययन-अध्यापन, संरक्षण एवं प्रसार के लिए प्रमुखता से काम करती हैं। किंतु इस क्षेत्र में कांची पीठ का विशेष योगदान है। उनका मानना है कि यह शंकराचार्य परम्परा की तांत्रिक पीठ भी है।

कांचीपुरम चेन्नई से सड़क मार्ग से 47 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है। पुराणों में इसे सात मोक्षपुरियों में शामिल किया गया है। कांची पीठ के शंकराचार्यों में विद्वत परम्परा को लेकर आम श्रद्धालुओं में इनका बहुत सम्मान किया जाता है। इसी परम्परा के 68वें शंकराचार्य चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती थे। वह बहुभाषाविद् थे और जनवरी 1994 में उनका करीब 100 वर्ष की आयु में निधन हुआ था। उन्होंने ही 69वें शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को इस पीठ पर अधिष्ठति किया था।

शंकराचार्य चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती ने न केवल पैदल चलकर लगभग पूरे भारत की भौगोलिक दूरियों को मापा था बल्कि उन्होंने खादी वस्त्रों को धारण कर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के खादी आंदोलन को पूर्ण सहयोग दिया था। महात्मा गांधी से 1927 में केरल उनकी मुलाकात भी काफी विख्यात रही। उन्होंने स्वामी जयेन्द्र सरस्वती को इस पीठ पर अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।

जयेन्द्र सरस्वती आदि शंकराचार्य के बाद एकमात्र ऐसे शंकराचार्य थे जिन्होंने केदारनाथ धाम एवं कैलाशमानसरोवर की वर्ष 1998 की यात्रा की थी। उन्होंने भी अपने जीवनकाल में ही इस पीठ के 70वें शंकराचार्य और अपने उत्तराधिकारी के रूप में विजेन्द्र सरस्वती की घोषणा वर्ष 1983 में ही कर दी थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह 'कांची कामकोटि पीठ' के शंकराचार्य के निधन से दुखी हैं। मोदी ने शंकराचार्य के साथ अपनी एक तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट कर कहा, "वह अपनी अनुकरणीय सेवा और नेक विचारों की वजह से लाखों भक्तों के दिलों-दिमाग में जीवित रहेंगे। उनकी आत्मा को शांति मिले।"

मोदी ने कहा कि वह असंख्य सामुदायिक अभियानों के अगुवा थे। मोदी ने कहा, "उन्होंने गरीबों और वंचितों के जीवन में बदलाव लाने वाले संस्थानों का विकास किया।"

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कांची मठ के प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन पर शोक जताया और आध्यात्मिकता के प्रसार में उनके योगदान को याद किया। उन्होंने ट्वीट किया, कांची पीठाधिपति श्री जयेंद्र सरस्वती को मेरी श्रद्धांजलि। उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया। मानव कल्याण और आध्यात्मिकता के प्रसार में उनका योगदान अन्य के लिए हमेशा प्रेरणा बना रहेगा।

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मद्रास हाईकोर्ट कैम्पस में कांचीपुरम मठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती
कांचीपुरम मठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती
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