कनहर सिंचाई परियोजना: 43 साल बाद भी नहीं बन पाया डैम, मुआवजे के लिए दौड़ रहे किसान

Vivek ShuklaVivek Shukla   8 Aug 2019 8:43 AM GMT

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कनहर सिंचाई परियोजना: 43 साल बाद भी नहीं बन पाया डैम, मुआवजे के लिए दौड़ रहे किसान

विवेक शुक्‍ला / भीम कुमार, कम्‍युनिटी जर्नलिस्‍ट

उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला अक्सर सूखे की चपेट में रहता है। आदिवासी बाहुल्य वाले इस क्षेत्र में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सके, इसके लिए 1976 में तत्कालीन सरकार 'कनहर सिंचाई परियोजना' लेकर आई। लेकिन ये योजना 43 साल में भी पूरी नहीं हो सकी है। इसके निर्माण के लिए जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी वे आज भी मुआवजे के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

इस परियोजना के बन जाने के बाद लगभग 35467 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचित (लाभ) करने का प्रस्ताव है। वहीं इस परियोजना के निर्माण के दौरान दुद्धी एवं चोपन विकास खण्डों के लगभग 108 गांवों के 3719 परिवारों को लाभ पहुंचाने की बात भी प्रस्‍ताव में है। इस परियोजना के अन्‍तगर्त आने वाली जमीनों पर सरकार ने खेती करने से रोक दिया कि बाढ़ की स्थिति में फसल बर्बाद हो जाएगी। किसान इस बात को मान गए लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी उन्‍हें मुआवजा नहीं मिला। ऐसे में उनकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है।

सोनभद्र, पिपरी कनहर निर्माण मण्डल अधीक्षण अभियंता दीपक कुमार बताते हैं कि दिसंबर 2020 तक इसका परियोजना का काम पूरा हो जाएगा। इसमें परियोजना के अन्‍तर्गत पानी को इक्‍ट्ठा किया जाएगा और उसे सिंचाई के लिए उपयोग में लिया जाएगा। डैम का हिस्‍सा लगभग बनकर तैयार हो गया है। कनहर नदी के अगल-बगल से 2 छोटी नहरें बन गई हैं। इन नहरों के कुछ हिस्‍से वन विभाग के अन्‍तर्गत आ रही थी इसलिए काम बाकी है। डैम बनते ही किसानों को इसका लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।


1976 में शुरू हुआ था काम

गौरतलब है कि परियोजना का निर्माण कार्य 1976 में प्रारम्भ हुआ था, इस दौरान इसे 10 साल में बनाने का लक्ष्‍य रखा गया था। हालांकि 1983-84 से 2000-2001 तक इसका कार्य बंद रहा। इस 17 साल के दौरान आगे काम के लिए मध्‍यप्रदेश वर्तमान में छत्तीसगढ़, तथा बिहार वर्तमान में झारखण्ड राज्य से डैम की सहमति प्राप्त करने, आवश्यक डाटा के लिए मृदा परीक्षण, कनहर नहर के सर्वेक्षण कार्य, कृषक भूमि का अधिग्रहण एवं मुआवजा बांटने का काम किया गया। इसके बावजूद भी सभी किसानों तक मुआवजे की रकम नहीं पहुंच पाई है।

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सोनभद्र, पिपरी, कनहर निर्माण विभाग-1, अधिशासी अभियंता मनोज कुमार ने गांव कनेक्‍शन को बताया कि अभी वन विभाग से बहुत सी जमीनों का क्ल‍ियरेंस नहीं मिला है। ऐसे में जो काम की गति है वो थोड़ी धीरे चल रही है। बाकी जहां भी जमीन पास हो गई है वहां पर लगातार काम चल रहा है। इस परियोजना का काम दिसंबर 2020 तक‍ पूरा करने का लक्ष्‍य है। उसे देखते हुए काम किया जा रहा है। किसानों की दिक्‍कत का जल्‍द ही समाधान हो जाएगा।

वहीं कनहर सिंचाई परियोजना के कार्य की प्रगति को देखकर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी कुछ वर्षों में जनपद के 13 गांव के अलावा झारखंड व छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन गांव जलसमाधि ले लेंगे। अब तक प्रशासनिक तौर पर सूचीबद्ध हुए 3719 विस्थापित परिवारों में से 2160 परिवारों को विस्थापन पैकेज का लाभ मिल पाया है। लाभान्वित परिवारों को भी प्रशासन विस्थापित कराने में अब तक नाकाम रही है। ऐसे हालात में बांध का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बावजूद उसका लाभ क्षेत्रीय किसानों को मिलने में थोड़ा सा संशय बना हुआ है।

परियोजना डूब क्षेत्र के किसान अंकुर जायसवाल ने बताते हैं कि अभी तक हम लोगों को सरकार ने मुआवजा नहीं दिया है जबकि हमारे घरों के अन्य लोगों का मुआवजा मिल चुका है। तहसील स्तर के कर्मचारियों के अनदेखी के वजह से अभी तक हम लोगों का मुआवजा नहीं आने के वजह से डूब क्षेत्र को छोड़ कर जा भी नहीं सकते हैं। यहां तक कि क्षेत्र में खेती करने से भी सरकार ने मना कर दिया है। उनका कहना है कि कोई किसान खेती नहीं करेगा क्योंकि नदी का बाढ़ आने से फसल बर्बाद हो जाएगी। इसलिए किसान खेती भी नहीं कर पा रहे हैं।



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परियोजना क्षेत्र के विस्थापित गांव सुंदरी के प्रधान प्रतिनिधि फणीश्वर जायसवाल ने बताया कि कनहर डूब क्षेत्र में आबादी विस्थापितों का कहना है कि हम कहीं से विकास में बाधक नहीं हैं। हमारी जायज मांगों को पूरा करने में प्रशासनिक अधिकारी उदासीनता बरत रहे हैं। पैकेज का लाभ न मिलने से लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। परिवार में पांच सदस्य है तो किसी एक सदस्य को लाभ दे दिया गया, शेष को दौड़ाया जा रहा है।

कई मूल विस्थापित परिवारों के वर्तमान पीढ़ी का नाम सूची में जोड़ा ही नहीं गया है। प्रपत्र छह के मामले का अभी सुनवाई भी शुरू नहीं हो पाई है और क्षेत्र में बारिश न होने के कारण किसानों की फसल भी बर्बाद हो गई है।

परियोजना से लाभान्वित होने वाले किसान सुग्रीव प्रसाद निवासी धनौरा ने बताया कि सरकार क्षेत्र के लाखों किसानों को सत्तर के दशक से ही बंजर भूमि में हरियाली का सपना दिखा रही है। विगत कुछ वर्षों में लगा कि अब उनके दु:ख के दिन बहुरने वाले हैं पर विभागीय एवं प्रशासनिक उदासीनता की वजह से यह मामला और लंबा खींचता दिखाई दे रहा है।

वहीं दुद्धी निवासी किसान रत्नेश कुमार ने बताया कि क्षेत्र में बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती पर संकट मंडराने लगा है। यहां की खेती सिर्फ मौसमी बारिश से होती है। और क्षेत्र में नहरों व अन्य संसाधन की सुविधा नहीं होने के कारण हर वर्ष खेती में नुकसान होता है।



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अमवार में 2239 करोड़ रुपये की भारी भरकम धनराशि से निर्माणाधीन कनहर सिंचाई परियोजना के मुख्य बांध का निर्माण कार्य विभागीय दावे के मुताबिक आगामी वर्षों में भले ही पूरा हो जाय लेकिन इसका लाभ लेने के लिए क्षेत्रीय किसानों को अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। महकमे के शीर्ष अधिकारी मुख्य बांध को 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इसी को केंद्र में रखकर मुख्य बांध के साथ अन्य कार्यों को पूरा कराने के लिए महकमे के अभियंता लगे हुए हैं।

दूसरी ओर की हकीकत यह है कि महकमे द्वारा सूचीबद्ध किये गये डूब क्षेत्र के तेरह गांव में आबाद 3719 विस्थापित परिवारों में से अब तक महज 2160 विस्थापितों को विस्थापन पैकेज का लाभ मिल पाया है। इसमें से महज पांच-छह दर्जन परिवार ही विस्थापित हो पाये, शेष पैकेज की धनराशि एवं आवासीय भूखंड की पत्रावली लेने के बावजूद वहीं गांव में ही पूरी तरह से आबाद है। ऐसे में तय समय सीमा के अंदर परियोजना का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बावजूद उसका लाभ मिलने में क्षेत्रीय किसानों को संदेह होने लगा है।


कनहर सिचाई परियोजना के अधिशासी अभियंता विनय कुमार ने कहा कि प्रशासन निर्माण कार्य के लिए गंभीर है। उतना ही विस्थापन समस्या के निस्तारण के लिए भी। छत्तीसगढ़ की समस्या का शत-प्रतिशत निस्तारण करते हुए वहां के राज्य सरकार के डिमांड के अनुसार 70 करोड़ रुपये की धनराशि का भुगतान किया जा चुका है। झारखंड को भी मांग के अनुसार धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। जबकि यहां के अब तक चिन्हित किये जा चुके 3719 विस्थापित परिवारों में से 2160 को विस्थापन पैकेज का लाभ दिया जा चुका है। शेष की भुगतान प्रक्रिया जारी है। पर्याप्त मात्रा में धन भी उपलब्ध है। उम्मीद जताई कि आगामी कुछ माह में वंचित लोगों को भी पैकेज की राशि एवं अन्य लाभ से लाभान्वित कर दिया जायेगा।

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दुद्धी उपजिलाधिकारी सुशील कुमार यादव ने बताया कि शासकीय कार्यों की व्यस्तता की वजह से कुछ विलंब हुआ है। उन्होंने कहा कि चिन्हित किये गये वृद्ध, विकलांग, बीमार विस्थापित परिवारों की जांच कराई जा चुकी है। प्राथमिकता के आधार पर उनके खाते में पैकेज की धनराशि भेज दी जायेगी। इसके अलावा सूचीबद्ध तरीके से विस्थापितों का भुगतान बगैर किसी अड़चन के करने की व्यवस्था की जा रही है।

इस मामले की और जानकारी के लिए गांव कनेक्‍शन की टीम ने जिलाधिकारी सोनभद्र, तहसीलदार दुद्धी, वरिष्ठ कोशाधिकारी सोनभद्र, परियोजना अधिकारी डूडा सोनभद्र व जिला विकास अधिकारी सोनभद्र से बात करने की कोशिश की। कई बार फोन म‍िलाने के बाद भी किसी अध‍िकारी ने फोन नहीं उठाया।

   

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