Vikas Dubey Encounter: विकास दुबे के बारे में क्या कहते हैं स्थानीय लोग ?

कानपुर एनकाउंटर के 10 दिन बाद पुलिस ने 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे मुठभेड में मारा गया। विकास दुबे के खिलाफ स्थानीय लोग एक शब्द बोलने को तैयार नहीं है। कुछ लोग इसे विकास की मदद करने का एहसान मानते हैं तो कुछ उसकी दबंगई से खौफ़ खाते हैं।

Neetu SinghNeetu Singh   3 July 2020 3:31 PM GMT

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Vikas Dubey Encounter: विकास दुबे के बारे में क्या कहते हैं स्थानीय लोग ?

आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी विकास दुबे, 62 से ज्यादा वारदातों में नामजद, दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री की हत्या करने वाला विकास दुबे बिकरू कांड के 10 दिन बाद पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। उसे 9 जुलाई को उज्जैन से गिरफ्तार किया गया था, मध्य प्रदेश से कानपुर लाते वक्त पुलिस के अऩुसार गाड़ी पलटने के बाद उसने एसटीएफ का पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की और जवाबी कार्रवाई में मारा गया। ये पुलिस की कहानी है। पुलिस ने बिकरू और उसके आसपास से भी कई लोगों को पूछताछ के लिए उठा रखा है। कानपुर के इस इलाके में विकास दुबे के खिलाफ कोई बोलने को तैयार नहीं

विकास दुबे हिस्ट्रीशीटर बनने के पीछे के कई किस्से उसके गांव बिकरु और आसपास के क्षेत्रीय लोगों ने बताए, लेकिन बाकी वो कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। कानपुर एनकाउंटर के बाद इस गांव में बहुत सारे लोगों के फोन बंद हो गए।

"विकास अपने गाँव के कई घरों के लड़कों को अपनी सुरक्षा के लिए रखता है। पहले उन्हें संरक्षण देता है फिर उनके शौक पूरे करता है। इन लड़कों की और इनके परिवारों की जरूरतें विकास ही पूरी करता है," घटनास्थल पर पहुंचे एक व्यक्ति ने बताया, "कई परिवारों की रोजी-रोटी का खर्चा विकास उठाता है। आसपास के बहुत लोग उसके अहसानों तले दबे हैं।"

कानपुर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गाँव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का घर है, जिसके खिलाफ लगभग 60 मामले दर्ज हैं। विकास ने कई मामलों को जेल में रहकर अंजाम अंजाम दिया। एक स्थानीय निवासी के मुताबिक विकास दुबे का नाम पहली बार चर्चा में तब आया जब उसने शिवली थाने के अन्दर वर्ष 2001 में राज्यमंत्री संतोष शुक्ला पर गोली चलाई थी, जिसमें किसी ने भी विकास के खिलाफ गवाही नहीं दी, जिसकी वजह से उसे कोई सजा नहीं हो सकी।


इस घटना के बाद से विकास का मनोबल बढ़ा और उसने आसपास की कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया। कई राजनैतिक पार्टियों में अच्छी पकड़ होने की वजह से विकास दुबे कुछ दिन जेल में बंद रहता और फिर जमानत पर रिहा हो जाता। वर्तमान में विकास की पत्नी रिचा दुबे जिला पंचायत सदस्य हैं।

विकास दुबे के हिस्ट्रीशीटर बनने के कई किस्से बिकरू गाँव से लगभग तीन किलोमीटर दूर शिवली कस्बे में रहने वाले विकास के एक करीबी बताते हैं, "जब विकास 17 साल का था तब इसने पहला मर्डर अपने ननिहाल में एक व्यक्ति का कर दिया था। जब इस मामले में कुछ नहीं हुआ तब से विकास छोटी-मोटी लूटपाट करने लगा। बिकरू गाँव में झुन्ना नाम का व्यक्ति था जिसके पास 17-18 बीघा जमीन थी, उसका कोई नहीं था। उसकी जमीन हड़पने के लिए विकास ने झुन्ना को 1991 में मार दिया।"

इन घटनाओं के बाद से विकास का दबदबा क्षेत्र में बढ़ गया। क्षेत्रीय लोग विकास से दहशत खाने लगे तो कुछ जरूरतमंद जिनकी विकास हमेशा मदद करता था वो इसे अपना हमदर्द मामने लगे। आपसी रंजिश के चलते पास के गाँव सुज्जा निवादा में रहने वाले रामबाबू की विकास ने 1993 में हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद वर्ष 2000 में श्री ताराचन्द्र इंटर कॉलेज शिवली के प्रिंसिपल श्री सिद्धेश्वर पाण्डेय की हत्या भी विकास के सह पर इसके छोटे भाई दीपू ने की।


विकास ने ऐसी दर्जनों घटनाओं को अंजाम दिया पर कभी लंबे समय तक जेल में बंद नहीं रहा। विकास का नाम एकदम से सुर्ख़ियों में तब आया जब उसने 2001 में शिवली थाने के अन्दर चौबेपुर विधानसभा के विधायक और राजनाथ सिंह की सरकार में राज्यमंत्री संतोष शुक्ला को गोली मार दी। इसके बाद ये बसपा सरकार में जिला पंचायत सदस्य भी बना।

एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, "विकास इतना शातिर दिमाग का था कि वो जेल में बंद रहता था और बाहर मर्डर करवा देता था। शिवली के पूर्व चेयरमैन लल्लन वाजपेयी के घर 2002 में तब बम काण्ड विकास ने कराया जब वो किसी मामले में जेल में बंद था। पुलिस का बहुत साथ मिलता था तभी इस केस में भी वो फंसा नहीं।"

लल्लन वाजपेयी से विकास दुबे की दुश्मनी 1995 में शुरू हुई जो अभी तक चल रही है। शिवली न्याय पंचायत में 20-25 साल लगातार अध्यक्ष रहे लल्लन वाजपेयी बताते हैं, "जब उसने बम काण्ड कराया था तब उसमें तीन लोग मारे गये थे। पर मामले में कुछ हुआ नहीं। विकास बहुत दूर पैदल नहीं चल सकता उसके पैर में रॉड पड़ी है। इलाके में उसका रुतबा भी है और दबदबा भी। हमेशा काफिले के साथ निकलता है पर उसने अपने गाँव के लोगों को कभी हानि नहीं पहुंचाई।"

वो दीवार जिसपर गोलियों के निशान बने हैं.

एक साधारण किसान परिवार में जन्मा विकास दुबे तीन भाईयों में सबसे बड़ा है, इसके कारनामों की वजह से इसके बीच वाले भाई अविनाश का सात आठ साल पहले मर्डर हो गया था। इसके छोटे भाई दीपू की पत्नी अंजली 10 साल से इस पंचायत की प्रधान है। गाँव के विकास कार्यों को देखते हुए कुछ साल पहले देश के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम अंजली को दिल्ली में पुरस्कृत भी कर चुके हैं। विकास का बड़ा बेटा इंग्लैण्ड में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है और छोटा बेटा कानपुर में पढ़ता है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक पिछले 15-20 सालों से आसपास की कई ग्राम पंचायतों में विकास के आदमी ही प्रधान बनते हैं इससे क्षेत्रीय लोगों को कोई ख़ास ऐतराज इसलिए नहीं है क्योंकि विकास के जितने काम पंचायत में होने चाहिए वो हो जाते हैं।

नजदीकी गाँव के एक व्यक्ति ने बताया, "प्रधान बनने से कभी आपत्ति इसलिए नहीं हुई क्योंकि वो सब काम हुए जो शायद दूसरा ग्राम प्रधान न करता। नाली, सड़क, शौचालय, कालोनी, पेंशन, सरकारी योजनाओं का लाभ सब यहाँ के लोगों को मिलता है। यहाँ के लोग उनके खिलाफ इसलिए भी नहीं बोलेंगे क्योंकि उसने यहाँ के लोगों की बहुत मदद की है।"

घटना के बाद अपने दरवाजें बैठी बिकरू गाँव की महिलाएं.

"गाँव के कुछ लोग उसे अपना मसीहा भी मानते हैं। आसपास क्षेत्र में किसी भी गरीब घर में अगर शादी होती है तो विकास दुबे वहां मदद के लिए जरूर पहुंचता है। कभी पैसों से मदद करता तो कभी सामान देकर। जरूरत उधार पैसे भी दे देता", नजदीकी गाँव के उस व्यक्ति ने बताया।

इस व्यक्ति ने ये भी बताया कि क्षेत्र में इतना दबदबा है कि किसी का कोई भी मामला हो वह सुलझा देता है। हमने छोटी उम्र से अब तक इनके कई किस्से सुने हैं पर गरीबों का कभी शोषण किया हो ऐसा नहीं सुना। तीन जुलाई को दिनभर इस गाँव में पुलिस, एसटीएफ के जवान और मीडिया की गाड़ियाँ दिनभर इस गाँव में आती-जाती रहीं। पुलिस फ़ोर्स, मीडियाकर्मी के अलावा गाँव में गिने-चुने घरों के लोग ही बाहर दिखे। विकास दुबे के बारे में पूछने पर अपने दरवाजे बैठी राजवती ने बताया, "हमारे लिए तो वह बहुत अच्छा आदमी है। पिछली साल हमारी बिटिया की शादी में 5,000 रुपया नकद दिए थे, इतने का ही सामान दिया था। पिछले हफ्ते ही गाँव में एक बिटिया की शादी में मदद करने के लिए आया था।"

शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिजन.

"वह गाँव में सबकी मदद करता है। सबकी पेंशन बंधी है, सबको कालोनी मिली है, घर-घर शौचालय बने हैं। पूरे गाँव में पक्की सड़कें हैं। गाँव में किसी बात की कोई कमी नहीं है। वक़्त जरूरत पड़ने पर उधार पैसा भी दे देता है," राजवती बोलीं।

राजवती की बातों का आसपास बैठी तीन और औरतों ने समर्थन किया। लेकिन कई लोग ऐसे हैं, जिनको विकास से सबसे ज्यादा जान का खतरा है, उसपर जो 60 मुकदमे दर्ज हैं, उसके जिन हत्याओं का आरोप है, उनमें से ज्यादातर इसी इलाके के थे।

घटना के 24 घंटे पहले भी पड़ोसी गाँव के राहुल तिवारी नाम के के व्यक्ति ने विकास के खिलाफ धारा 307 के तहत केस दर्ज कराया था। राहुल के जानने वाले एक व्यक्ति ने बताया, "कुछ रूपये-पैसों के लेनदेन का मामला था। राहुल को कुछ दिन पहले विकास ने मारा भी था और उसकी मोटरसाइकिल अपने दरवाजे खड़ी करवा ली थी। जब राहुल पुलिस की मदद से अपनी मोटरसाइकिल लेने विकास के घर पहुंचे तो पुलिस वालों से विकास की झड़प भी हुई थी।"

बीते रिकॉर्ड और इस मामले को संज्ञान में लेते हुए 2 जुलाई को देर रात यूपी पुलिस हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को गिरफ्तार करने जब उसके गाँव पहुंची तो घर से कुछ दूरी पर जेसीबी खड़ी होने की वजह से विकास दुबे के घर जाने का रास्ता बंद था। कुछ ही देर में वहां हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गये। जिसमें स्थानीय सीओ, तीन सबइंस्पेक्टर, चार कांस्टेबल शामिल थे। इस घटना में सात पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं।

बिकरू गाँव पहुंचे एक व्यक्ति ने बताया, "विकास के घर से कुछ दूर पर पहले से ही जेसीबी खड़ी थी। पुलिस किसी भी कीमत पर विकास के घर नहीं घुस सकती थी। विकास की छत से और आसपास के घरों से बहुत देर तक गोलियां चलती रहीं जिसमें पुलिस वाले मारे गये। पड़ोस के जिन घरों में पुलिस मदद के लिए छिपी थी वहां भी उन्हें मार दिया गया।"

इस घटना को अंजाम देने के बाद विकास समेत गाँव के कई लोग फरार हैं। गिनती के बचे 20-25 लोगों से पूरे दिन पुलिस पूछताछ करती रही।

उत्तर प्रदेश, पुलिस महानिदेशक, हितेश चन्द्र अवस्थी ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया, "ये एक शातिर अपराधी है। पहले से 60 मामले दर्ज हैं, घटना के 24 घंटे पहले धारा 307 का एक केस दर्ज हुआ था। इस मामले के साथ-साथ पहले के अपराधिक रिकॉर्ड को देखते हुए पुलिस एक ऑपरेशन के लिए इस गाँव पहुंची थी। आरोपी जहाँ से फायरिंग कर रहे थे वो रात के अँधेरे में दिखाई नहीं पड़े। जिसकी वजह से पुलिस के जवान वीरगति को प्राप्त हुए।"

यूपी पुलिस ने घटना के लगभग छह सात घंटे बाद सुबह हुई मुठभेड़ में विकास दुबे के चचेरे भाई और मामा को मार गिराया है। वहीं आइजी मोहित अग्रवाल ने विकास पर 50,000 रूपये का इनाम भी घोषित कर दिया है। पुलिस का ऑपरेशन अभी जारी है।

शुक्रवार की शाम को कानपुर की पुलिस लाइन पहुंचकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहीद हुए आठ पुलिसकर्मियों के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने कहा है कि शहीद हुए आठ पुलिस जवानों के परिवारों को सरकार एक-एक करोड़ रुपए की मदद देगी। साथ ही शहीदों के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को शासकीय सेवा प्रदान की जाएगी और आश्रित को असाधारण पेंशन का लाभ दिया जाएगा। उन्हाेंने यह कहा कि पुलिस जवानों की इस शहादत को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। इस घटना में दोषी किसी भी व्यक्ति को छोड़ा नहीं जाएगा।

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