येदियुरप्पा ने आसानी से हासिल किया वि‍श्वासमत, अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा

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येदियुरप्पा ने आसानी से हासिल किया वि‍श्वासमत, अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा

कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली तीन दिन पुरानी सरकार ने ध्वनि मत से आसानी से वि‍श्वास प्रस्ताव जीत कर राज्य विधानसभा में सोमवार को बहुमत साबित कर दिया। विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने येदियुरप्पा के वि‍श्वासमत जीतने के तुरंत बाद अपने इस्तीफे की घोषणा की। वि‍श्वासमत की प्रक्रिया सदन की कार्यवाही शुरू होने के एक घंटे के भीतर ही निपट गई।

विधानसभा के 17 बागी विधायकों को अयोग्य साबित किए जाने से सदन की संख्या घटने के बाद भाजपा को आसान जीत मिलने की पूरी संभावना के चलते विपक्षी कांग्रेस और जद (एस) ने मत विभाजन के लिए दबाव नहीं बनाया। अध्यक्ष ने घोषणा की कि येदियुरप्पा की तरफ से उनके नेतृत्व वाली सरकार में सदन का वि‍श्वास जताने वाले एक पंक्ति के प्रस्ताव को सदन ने स्वीकार कर लिया है।

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वि‍श्वासमत से पहले रविवार शाम कुमार ने कांग्रेस के 11 विधायकों और जद (एस) के तीन विधायकों को सदन के मौजूदा कार्यकाल की समाप्ति यानि 2023 तक अयोग्य करार दे दिया था। इससे पहले भी तीन को अयोग्य करार दिया गया था जिससे बहुमत के लिए महज 105 विधायकों के समर्थन की जरूरत रह गई थी। यह संख्या सदन में भाजपा के मौजूदा सदस्यों के बराबर है जिसे एक नि‍र्दलीय का भी समर्थन प्राप्त है। विधानसभा में कांग्रेस के 66, जद (एस) के 34 सदस्य हैं और एक अध्यक्ष (बराबरी की सूरत में जिनका वोट अहम होगा) और बसपा के एक बर्खास्त सदस्य हैं। रविवार को की गई अध्यक्ष की यह कार्रवाई भाजपा के लिए बड़ी राहत लेकर आई जो उम्मीदों के मुताबिक ही विजेता साबित हुई।

साथ ही अनुमान के ही अनुरूप, अध्यक्ष ने भी 14 माह के कार्यकाल के बाद इस्तीफा दे दिया। यह उन खबरों के बीच हुआ कि भाजपा उनके खिलाफ अवि‍श्वास प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। अध्यक्ष ने कहा, मैंने इस पद से खुद को अलग करने का फैसला किया है...मैंने इस्तीफा देने का फैसला लिया है। उन्होंने उपाध्यक्ष कृष्ण रेड्डी को अपना त्यागपत्र सौंपा। कुमार ने कहा कि अध्यक्ष के तौर पर अपने 14 माह के कार्यकाल में उन्होंने अपने विवेक के अनुरूप और संविधान के मुताबिक काम किया।

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उन्होंने कहा, मैंने अपनी क्षमता के अनुरूप अपने पद की गरिमा बरकरार रखने का प्रयास किया। इससे पहले प्रस्ताव पेश करते हुए येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस- जद (एस) शासन के दौरान प्रशासनिक तंत्र पटरी से उतर गया है और कहा कि उनकी प्राथमिकता इसे वापस पटरी पर लाना है। उन्होंने कहा कि वह प्रतिशोध की राजनीति में लि‍प्त नहीं होंगे क्योंकि वह भूल जाने और माफ करने के सि‍द्धांत में वि‍श्वास करते हैं।

येदियुरप्पा ने कहा,मेरा मुख्यमंत्री बनना लोगों की उम्मीदों के अनुरूप है। उन्होंने एचडी कुमारस्वामी की जगह ली है जिनकी 14 माह पुरानी सरकार बागी विधायकों के विरोध के चलते गिर गई। कांग्रेस के 14 और जद (एस) के तीन बागी विधायक 23 जुलाई को वि‍श्वासमत की कार्यवाही के दौरान विधानसभा सत्र में शामिल नहीं हुए थे जिससे कुमारस्वामी सरकार गिर गई जो वि‍श्वासमत नहीं हासिल कर पाई क्योंकि 99 सदस्यों ने पक्ष में मत किया वहीं 105 ने उसके खिलाफ मत डाला।

येदियुरप्पा ने कहा कि उन्होंने ऐसी कठिन स्थिति में पद संभाला है जब राज्य सूखे से ग्रस्त है। प्रशासनिक तंत्र ढह गया है...मेरी प्राथमिकता इसे वापस पटरी पर लाने की है। साथ ही उन्होंने इसमें विपक्ष के सहयोग की भी मांग की।

हालांकि कांग्रेस विधायक दल के नेता सद्धिरमैया ने कहा कि येदियुरप्पा सरकार असंवैधानिक एवं अनैतिक है और उन्होंने इसके ज्यादा समय तक चल पाने पर संदेह जताया। सदन ने विनियोग विधेयक भी पारित किया। (इनपुट भाषा)

   

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