कर्नाटक सरकार दोबारा शुरू करेगी श्रमिक ट्रेन, सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में थे प्रवासी मजदूर
चौतरफा विरोध के बाद कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार ने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए विशेष ट्रेनें रद्द करने का फैसला आखिरकार वापस ले लिया है।
Kushal Mishra 7 May 2020 4:02 PM GMT
चौतरफा विरोध के बाद कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार ने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए विशेष ट्रेनें रद्द करने का फैसला आखिरकार वापस ले लिया है। इस फैसले से पहले ट्रेनें रद्द करने पर कर्नाटक में फँसे प्रवासी मजदूर सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में थे।
हालाँकि अब सरकार ने दोबारा ट्रेनें शुरू करने के अपने फैसले में नौ राज्य सरकारों को पत्र लिखकर कहा है कि कर्नाटक सरकार प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए सहमत है और इन मजदूरों को इनके घर भेजना चाहती है।
इधर बिल्डरों के साथ बैठक के बाद सरकार की ओर से पहले मजदूरों के लिए ट्रेनें रद्द करने का फैसला लिया जाने पर कर्नाटक में बड़ी संख्या में फँसे प्रवासी मजदूर 'बस मुझे घर जाना है' के नाम की तख्ती लेकर सरकार के खिलाफ विरोध जताना शुरू कर चुके थे।
इस बारे में मंगलोर के दक्षिण कन्नड़ में फँसे एक मजदूर नौशाद आलम बताते हैं, "पहले जब श्रमिक ट्रेनें शुरू करने का फैसला आया तो हम लोग रजिस्ट्रेशन का फॉर्म पूरा कर जाने के लिए पूरी तरह तैयार थे, सुबह 6.30 बजे ट्रेन था हम लोगों का, तीन सौ लोगों ने फॉर्म जमा किये थे, सारे लोग जाना चाह रहे थे, कोई यहाँ रहना नहीं चाह रहा था, लेकिन बाद में मेसेज आ गया कि ट्रेन रद्द कर दी गयी हैं।"
नौशाद बताते हैं, "तब हम सभी मजदूरों ने मिलकर कर्नाटक सरकार के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला लिया। हम लोग अपनी मुहीम 'बस मुझे घर जाना है' नाम से शुरू कर चुके थे और दूसरे राज्यों के फँसे मजदूरों को भी साथ लाने की कोशिश कर रहे थे। हम लोग की तैयारी थी कि हम कल सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ आवाज उठाएंगे। मगर हमें ख़ुशी है कि सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया।"
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श्रमिकों के लिए ट्रेनें रद्द करने के फैसले पर सोशल मीडिया पर कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार को तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा था। कर्नाटक मंय फँसे प्रवासी मजदूरों की संख्या लाखों में है। बेंगलुरु मिरर के मुताबिक श्रमिक स्पेशल ट्रेन से घर वापसी के लिए कर्नाटक में बेंगलुरु समेत दूसरे क्षेत्रों में फँसे 2.4 लाख प्रवासी मजदूरों ने घर जाने के लिए आवेदन किया था।
झारखण्ड में दूसरे राज्यों में फँसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए सक्रिय रूप से भूमिका निभा रहे सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली बताते हैं, "कर्नाटक में करीब तीन हज़ार झारखण्ड के मजदूर ऐसे हैं जिन्होंने ट्रेनों से घर वापसी के लिए आवेदन किया था, जबकि फँसे हुए मजदूरों की संख्या करीब पांच हज़ार से ज्यादा हो सकती है।"
"ये सभी मजदूर बहुत परेशान हो चुके थे और लॉकडाउन के इतने दिन बीत जाने के बाद ट्रेनें रद्द करने के फैसले पर कर्नाटक सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे थे। इन मजदूरों की सिर्फ इतनी ही मांग है कि इन्हें इनके घर जाने दिया जाए, फिलहाल यह ख़ुशी की बात है कि सरकार ने फैसला वापस ले लिया है।"
इन मजदूरों की घर वापसी को लेकर आम नागरिक भी सामने आ रहे थे और कर्नाटक सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया में मुखर होकर सामने आ रहे थे। ये लोग अपने हाथों में तख्ती लेकर कर्नाटक सरकार से इन प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए तुरंत ट्रेन उपलब्ध कराने और बंधुआ मजदूरी को न कहने की गुहार लगा रहे थे।
#TrainsForMigrantsNow https://t.co/5mB7TzqCyl
— AICCTU HQ (@AICCTUhq) May 7, 2020
Karnataka government, Make arrangements for workers to go home! #TrainsforMigrants #EndSlaveLabour pic.twitter.com/iIO3zEOsBg
— Aiman J (@aimanjkhan) May 7, 2020
Workers are people with families and dreams, not mere labour for your projects #TrainsForMigrantsNow pic.twitter.com/w7qwdgL6pl
— Avani Chokshi (@avani_chokshi) May 7, 2020
कर्नाटक में कुल्लुर में फँसे बिहार के मोतिहारी के गाँव सरनपुर के मजदूर विकास कुमार कहते हैं, "हमारे इलाके में 200 से ज्यादा बिहार के मजदूर फँसे हुए हैं और दूसरे राज्यों में ट्रेन चलने के बावजूद हमें यहाँ से जाने नहीं दिया गया। इसलिए हम भी सभी प्रवासी मजदूरों को लेकर इस मुहीम में शामिल हो रहे थे। हमारी बस सरकार से यही मांग है कि हमें अब घर जाने दिया जाए।"
वहीं कर्नाटक सरकार की ओर से ट्रेनें दोबारा शुरू करने का फैसला लेने के बाद जिन नौ राज्यों से प्रवासी मजदूरों को भेजने की अनुमति मांगी है, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और राजस्थान शामिल हैं। कर्नाटक सरकार ने पत्र में राज्यों से आठ से 15 मई तक ट्रेनों की संचालन की अनुमति मांगी है। इसमें पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और झारखण्ड से प्रतिदिन दो ट्रेनें चलने का अनुरोध किया है, जबकि राजस्थान, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश और मणिपुर के लिए एक ट्रेन चलाने की बात कही है।
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