बेंगलुरू में उत्तर कर्नाटक का स्वाद परोसने वाला एक छोटा सा भोजनालय, जिसे चार प्रवासी भाई चलाते हैं

श्री सिद्धेश्वर, बेलगावी के ऐनापुर गाँव के चार भाई एक ऐसे रेस्टोरेंट को चला रहे हैं जहां पर उत्तर कर्नाटक के ज्वार की रोटी, अवलाक्की, गिरमिट और होलिगे जैसे पारंपरिक और पौष्टिक व्यंजन परोसे जाते हैं।

Apoorva SharmaApoorva Sharma   7 Jan 2022 9:45 AM GMT

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बेंगलुरू में उत्तर कर्नाटक का स्वाद परोसने वाला एक छोटा सा भोजनालय, जिसे चार प्रवासी भाई चलाते हैं

चारों भाइयों ने अपने उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र के लिए विशिष्ट पारंपरिक और पौष्टिक भोजन परोसना शुरू करने का फैसला किया।

व्यस्त बेंगलुरू की एक छोटी सी गली में, एक छोटे से कमरे में चलने वाला रेस्टोरेंट- श्री सिद्धेश्वर - दुनिया भर के आईटी पेशेवरों के साथ सिलिकॉन वैली में उत्तरी कर्नाटक के स्वाद को जीवित रख रहा है। देखने में तो यह भोजनालय दूसरे फैंसी कैफे की तुलना में बहुत साधारण सा दिखता है, लेकिन यहां पर उत्तरी कर्नाटक का पौष्टिक और पारंपरिक खाना परोसा जाता है। और सबसे खास बात यहां पर मिलने वाला खाना किफायती दाम में मिलता है, तभी तो यह स्टूडेंट्स और ऑफिस जाने वाले लोगों को खूब पसंद आता है।

इस भोजनालय की कहानी 2013 में शुरू हुई जब चार भाई - रायप्पा, नरसीमा, प्रशांत और श्रीसाई - काम की तलाश में उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी जिले के अपने पैतृक ऐनापुर गांव से बेंगलुरु आए थे, सबसे बड़े भाई रैयप्पा ने खाना पकाने की अपनी प्रतिभा को निखारा और अपने छोटे भाइयों को यह कला सिखाई।

चने की दाल और दही के साथ जोलाडा रोटी।

भाइयों को अपने पैतृक गांव से 500 किलोमीटर से अधिक दूर बेंगलुरु में एक रेस्टोरेंट शुरू करने का विचार आया। अपने रिश्तेदारों से कर्ज लेने के बाद, उन्होंने दक्षिण बेंगलुरु के एसजी पाल्या इलाके में वेंकटेश्वर लेआउट में एक दुकान किराए पर ली।

यह आसान नहीं था और उन्हें पैसों और ग्राहकों की कमी के कारण कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इससे उन्होंने अपने ग्राहकों की जरूरतों के बारे में बात की और उन्हें जल्द ही एहसास हो गया कि पार्टी में जाने वाली युवाओं की भीड़ वीकेंड्स में उनकी दुकान पर नहीं आएगी। उन्हें अपनी खुद की यूएसपी की जरूरत थी। चारों भाइयों के लिए भाषा एक और बाधा थी क्योंकि भले ही वे कन्नड़ बोलते थे, ग्राहक उनकी उत्तर कर्नाटक बोली को नहीं समझते थे।

चारों भाइयों ने अपने उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र के लिए विशिष्ट पारंपरिक और पौष्टिक भोजन परोसना शुरू करने का फैसला किया।

जबकि एसजी पाल्या क्षेत्र के अधिकांश स्थानीय कैंटीन में मोमोज, सैंडविच और मिल्कशेक जैसे लोकप्रिय खाद्य पदार्थ परोसे जाते हैं, श्री सिद्धेश्वर ने क्षेत्रीय व्यंजन पेश करना शुरू कर दिया।

मेनू में उत्तर कर्नाटक व्यंजन जैसे जोलादा रोटी, अवलाक्की, गिरमिट, होलिगे और कुछ अन्य लोकप्रिय खाद्य पदार्थ जैसे इडली सांभर, पड्डू, वड़ा शामिल हैं। ये खाद्य पदार्थ पौष्टिक भी होते हैं।


जोलाड़ा रोटी, जिसे ज्वार भाकरी के नाम से भी जाना जाता है, ज्वार के आटे से बनाई जाती है। यह ग्लूटेन फ्री, और एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और फाइबर से भरपूर होती है।

यह कार्बोहाइड्रेट और स्टार्च में कम है और माना जाता है कि गर्मी के दौरान उत्तरी कर्नाटक में पारा बढ़ने के कारण शरीर की गर्मी को कम करने में मदद मिलती है।

होलिगे, मीठा पसंद करने वालों की पसंदीदा है, जोकि मैदा (कभी-कभी गेहूं), चना दाल, गुड़, घी और इलायची, दालचीनी, जायफल और सौंफ जैसे मसालों से बनायी जाती है। आमतौर पर सिर्फ खास मौकों पर बनने वाली इस फेस्टिव डिश को यहां रोजाना परोसा जाता है।

देश के उत्तर और पश्चिम में पोहा के रूप में जाना जाने वाला अवलाकी, भी एक ग्लूटेन फ्री व्यंजन है जो पचाने में आसान होता है।


यह सामान्य दिखने वाला भोजनालय किसी भी अन्य शानदार दिखने वाले रेस्तरां की तुलना में सस्ती दर पर अधिक स्वस्थ और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ प्रदान करता है।

अन्य क्षेत्रों की तरह, COVID-19 महामारी के कारण श्री सिद्धेश्वर को भी भारी आर्थिक नुकसान हुआ। 2020 में लॉकडाउन के बाद दो महीने तक, भाइयों ने अपनी बचत से खाना बनाया और घर वापस जाने से पहले मुफ्त में भोजन वितरित किया। एक बार जब चीजें बेहतर हुईं, तो वे अपने रेस्तरां को फिर से शुरू करने के लिए बेंगलुरु लौट आए।

यदि आप दक्षिण बेंगलुरु में हैं और कुछ पारंपरिक उत्तर कर्नाटक व्यंजनों को ट्राई करना चाहते हैं, तो एक ऑटोरिक्शा में बैठें और श्री सिद्धेश्वर में पौष्टिक भोजन का आनंद लेने के लिए एसजी पाल्या में वेंकटेश्वर लेआउट पर जाएं।

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