पीएम मोदी ने किया काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना का उद्घाटन, जानिए क्या हैं खासियतें?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया। लोकार्पण करने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि आप यहां जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे। आपको यहां अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा।

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पीएम मोदी ने किया काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना का उद्घाटन, जानिए क्या हैं खासियतें?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 13 दिसंबर को वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया है, पढ़िए प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना की क्या खासियतें हैं।

पीएम मोदी ने मंदिर में मंत्रोच्चार के साथ पूजा-पाठ की और मंदिर के निर्माण में शामिल मजदूरों पर फूलों की वर्षा कर सम्मानित किया और उनके साथ सीढ़ी पर बैठ फोटो भी खिंचाई।

काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोजपुरी में कहा, "मेरे प्यारे काशीवासियों और देश-विदेश से इस अवसर के साक्षी बन रहे सभी श्रद्धालुजन। बाबा विश्वनाथ के चरणों में हम शीश नवावत हैं। माता अन्नपूर्णा के चरणन के बार-बार वंदन करत हैं। अभी मैं बाबा के साथ-साथ नगर कोतवाल काल भैरव जी के दर्शन करके आ रहा हूं। देशवासियों के लिए उनका आशीर्वाद लेकर आ रहा हूं। काशी में कुछ भी खास हो, कुछ भी नया हो तो सबसे पहले उनसे पूछना आवश्यक है। मैं काशी के कोतवाल के चरणों में भी प्रणाम करता हूं।"


कॉरिडोर प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी ललिता घाट से जोड़ता है, इसकी आधारशिला प्रधानमंत्री ने 8 मार्च, 2019 को रखी गई थी। कॉरिडोर परियोजना का उद्देश्य ललिता घाट पर गंगा नदी में स्नान के बाद पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों को मंदिर तक आसानी से पहुंचाना है। इससे पहले, भक्तों को काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा करने के लिए भीड़भाड़ वाली तंग गलियों से गुजरना पड़ता था।

परियोजना के पहले चरण में कुल 23 भवनों का उद्घाटन किया गया। ये भवन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों को कई तरह की सुविधाएं प्रदान करेंगे, जिनमें शामिल हैं- यात्री सुविधा केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, मुमुक्षु भवन, भोगशाला, सिटी म्यूजियम, दर्शक दीर्घा, फूड कोर्ट आदि।

इस परियोजना के अंतर्गत श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास 300 से अधिक संपत्तियों की खरीद और अधिग्रहण किए गए। सभी को साथ लेकर चलने का प्रधानमंत्री का विजन ही वह सिद्धांत था, जिसके आधार पर इन अधिग्रहणों के लिए आपस में बातचीत से हल निकाला जाता था। इस प्रयास में करीब 1400 दुकानदारों, किराएदारों और मकान मालिकों का पुनर्वास किया गया। इसकी सफलता का प्रमाण यह है कि परियोजना के विकास से संबंधित अधिग्रहण या पुनर्वास को लेकर देश के किसी भी न्यायालय में कोई भी मुकदमा लंबित नहीं है।


प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के तहत यह भी सुनिश्चित किया जाना था कि परियोजना के विकास के दौरान सभी विरासत संरचनाओं को संरक्षित किया जाए। पुरानी संपत्तियों को नष्ट करने की प्रक्रिया के दौरान 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को फिर से खोज निकाला गया। इन मंदिरों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है और इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि मूल संरचना में कोई बदलाव न हो।

इस परियोजना की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह परियोजना अब लगभग 5 लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैली हुई है, जबकि पहले संबंधित परिसर तकरीबन 3000 वर्ग फुट तक ही सीमित था। कोविड महामारी के बावजूद इस परियोजना का निर्माण कार्य निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही पूरा कर लिया गया है।

पीएम मोदी का वाराणसी दौरा

उत्तर प्रदेश में अपने लोकसभा क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे में पीएम मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना के अलावा कई अन्य कार्यक्रमों में शामिल होंगे।

14 दिसंबर को दोपहर करीब साढ़े तीन बजे प्रधानमंत्री वाराणसी के स्वरवेद महामंदिर में सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान के 98वें वर्षगांठ समारोह में शामिल होंगे।

दो दिवसीय यात्रा के दौरान, प्रधान मंत्री असम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों और बिहार व नागालैंड के उपमुख्यमंत्री के एक सम्मेलन में भी भाग लेंगे।

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