देसी बीजों के संरक्षण में प्रदेश में सबसे आगे हैं सीतापुर के किसान

Divendra SinghDivendra Singh   5 Oct 2017 12:46 PM GMT

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देसी बीजों के संरक्षण में प्रदेश में सबसे आगे हैं सीतापुर के किसानपुराने किस्म के बीज को दिखाती महिला किसान

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश भर में ऐसे किसान हैं, जिन्होंने कई ऐसे पुरानी देसी किस्म के बीजों का संरक्षण किया है, जिनके अपने अलग-अलग गुण हैं, सीतापुर जिले के 176 किसानों ने ऐसे ही बीजों का संरक्षण किया है। जिन्होंने बीजों का संरक्षण किया है, लेकिन उन्हें अधिकार नहीं मिल पाता है, ऐसे किसानों को अधिकार दिलाने के लिए कृषक अधिकार संरक्षण कार्यशाला का आयोजित किया गया।

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पौधा किस्म व कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, भारत सरकार व कृषि विज्ञान केंद्र कटिया सीतापुर के संयुक्त तत्वावधान मे पीपीवी व एफआर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. यूएस गौतम ने किया।

डॉ. गौतम ने कहा, “प्रजातियों के संरक्षण व कृषकों को उनका अधिकार दिलाने में कृषि विज्ञान केंद्र बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं, प्रदेश में सबसे अधिक पारंपरिक प्रजातियों का संकलन जनपद सीतापुर से हुआ है व उनके अधिकार दिलाने के लिए किसानों ने 176 आवेदन जमा किए हैं।

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सीतापुर जिले के महेशपुर रेउसा गाँव के रामचन्द्र ने काली मसूर, बंडिया गाँव के परमानंद ने नीलगाय मुक्त उर्द (जिसे नीलगाय नहीं खाती), बेनीपुर गाँव के सुभाष कुमार ने गोल मिर्च की बीज का संरक्षण किया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पौधा किस्म व कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के रजिस्ट्रार डॉ. रवि प्रकाश ने जनपद सीतापुर के किसानों द्वारा संरक्षित फसलों की विभिन्न जैव विविधताओं का अवलोकन करते हुए कहा कि इन किस्मों के रजिस्ट्रेशन से जहां एक और नई प्रजातियों के अनुसंधान एवं विकास में मदद मिलेगी वहीं दूसरी और किसानों की आमदनी दुगनी करने में यह एक मील का पत्थर साबित होगा

पीपीएफआरए के उप रजिस्ट्रार डॉ. आरएस सेंगर ने कृषि विज्ञान केंद्र कटिया के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि दूरदराज क्षेत्रों की विलुप्तप्राय प्रजातियों वाली गुणवत्तायुक्त किस्मों जिसमें प्रमुख रुप से काली मसूर, काली अरहर, फूट ककड़ी, सावा, कोदो, मडुआ जैसी 176 प्रजातियों का संकलन यह दर्शाता है किस जनपद सीतापुर में कितनी अपार जैव विविधता में विराजमान है।

पीपीएफआरए रजिस्ट्रार को किसानों के आवेदन देते डॉ डीएस श्रीवास्तव

उपकार के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. सुजीत कुमार ने बोलते हुए कहा, “जनपद स्तर पर विशेष कृषि पारिस्थितिकी को पहचानना होगा एवं कृषकों को अधिकार दिलाने में अधिक से अधिक जागरुक करना होगा तभी हमारा देश विश्व की कृषि चुनौतियां से लड़ने में सक्षम होगा।”

बीज संरक्षण के लिए सीतापुर जिले के 176 किसानों ने किया आवेदन

जिला उद्यान अधिकारी विनय कुमार यादव ने जनपद सीतापुर के देसी खीरे, मिर्च, टमाटर, फूट ककड़ी के बारे में बताया कि यहां पारंपरिक रुप से किसान कई वर्षों से इसे लगा रहे हैं और वातावरण के लिए यह प्रजातियां बहुत ही अनुकूल है।

कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. आनंद सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जनपद के किसानों के उत्थान में चलाई जा रही परियोजनाओं के बारे में बोलते हुए बताया कि सीतापुर प्रमुख रूप से मूंगफली के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन धीरे-धीरे पुरानी प्रजातियां लगभग समाप्त होती गई कृषि विज्ञान केंद्र उनके पुनरुत्थान व विकास के लिए लगातार अग्रणी प्रयास कर रहा है जिससे जनपद की मूंगफली को पुनः पहचान मिल सके।

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फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. डीएस श्रीवास्तव ने पीपीएफआरए के कार्यक्रमों का संक्षिप्त सारांश प्रस्तुत कर प्राधिकरण को 176 किसानों के आवेदन प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में तकनीकी बुलेटिन ”जनपद सीतापुर की जैव विविधता ” नामक पुस्तिका का विमोचन किया गया।

          

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