किसान मुक्ति मार्च: किसानों के बहाने एक मंच पर आए राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल

देश के अन्नदाता का आक्रोश एक बार फिर सड़कों पर है। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले देशभर के हजारों किसान नई दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद भवन की ओर कूच कर रहे हैं

Mithilesh DharMithilesh Dhar   30 Nov 2018 5:58 AM GMT

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दिल्ली से रणविजय सिंह और आकाश सिंह के साथ लखनऊ से मिथिलेश

लखनऊ। देश के अन्नदाता का आक्रोश एक बार फिर सड़कों पर दिखा। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अपनी मांगें मनवाने के लिए ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले देशभर के हजारों किसान नई दिल्ली में शुक्रवार को रामलीला मैदान से संसद भवन पहुंचे। समिति को 208 किसान संगठनों का समर्थन मिला। किसानों को संबोधित करने क लिए कई राजनीति दलों के नेता भी पहुंचे। अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी भी एक ही मंच पर दिखे। किसानों से बातचीत के दाैरान राहुल गांधी ने केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा।

शुक्रवार को रामलीला मैदान से संसद तक हुए मार्च को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि देश में दो मुद्दे हैं, एक देश के किसानों का मुद्दा दूसरा देश के युवाओं का मुद्दा और लड़ाई इन्हीं दोनों के लिए है। नरेंद्र मोदी ने साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का कर्जा 15 उद्योगपति का माफ किया है। अगर 15 लोगों का साढ़े तीन करोड़ कर्ज माफ किया जा सकता है तो हिंदुस्तान के किसानों का भी कर्ज माफ किया जाएगा। हिंदुस्तान का किसान कोई तोहफा नहीं मांग रहा है।

राहुल गांधी ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था एमएसपी बढ़ाई जाएगी, कर्जमाफी किया जाएगा लेकिन ये पैसा अनिल अंबानी की जेब में जाता है। आपका कर्ज माफ नहीं किया जाता, खोखले वादे किए जाते हैं। हिदुस्तान का किसान अनिल अंबानी का एरोप्लेन नही मांग रहा है। अगर आप 3000 करोड़ वायुसेना के विमानों के लिए विदेशों में दे सकते हो तो किसानों को क्यों नहीं और नरेन्द्र मोदी और बीजेपी से हम हम कहना चाहते हैं कि यदि हमें प्रधानमंत्री बदलना पड़े तो हम किसानों के लिए बदल देंगे। हर प्रदेश में जो आवाज उठा रही है वो किसान की और इस देश के की युवाओं की आवाज है।


किसान संगठन, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पहली बार एक मंच पर

किसानों को संबोधित करने के लिए नई दिल्ली के अरविंद केजरीवाल पहुंचे। उन्होंने कहा "मैं मुख्यमंत्री होने के नाते आप सब किसानों का स्वागत करता हूं। पर दुख इस बात का है कि आप इस दुख की घड़ी में दिल्ली आए हैं, सरकार से नारज होकर आए हैं। जिस देश का किसान दुखी हो वो देश कभी खुश नहीं हो सकता। बड़े दुख की बात है खेत मे किसान दुखी है और बॉर्डर पर जवान दुखी हैं। बीजेपी ने चुनाव से पहले किसानों से जितने वादे किए थे सबसे सरकार मुकर गयीं। इन्होंने स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने के लिए किसानों से कहा था।

किसान मार्च में मद्रास से पहुंचीं महिला किसान (फोटो- Gaonconnection)

रैली को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा "देश के अंदर जो सरकार चल रहा है और समस्याएं जिसको किसान उठा रहे हैं चाहे वो एमएसपी की बात हो या फिर गन्ना भुगतान की, इन सभी मुद्दों पर आम आदमी पार्टी समर्थन करती है। लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जुमले बाज हैं भाषणवादी हैं और इसी कारण ये किसान की फसल का डेढ़ गुना भुगतान नहीं करते और न ही बिल पास करते हैं। बस चुनाव आते ही मंदिर की बात करते हैं और राम के नाम पर एंटीरोमियो और गाय के नाम पर वोट मांगते हैं। समय-समय पर जो भी सरकार रही उन्ही की नीतियों के कारण आज किसान की ये हालत हो गयी। चुनाव आ रहा है और फिर से आपको बांट कर वोट मांगने आएंगे और कहेंगे कि ताजमहल तोड़ डालो उसको मुगलो ने बनाया, पार्लियामेंट को तोड़ डालो उसको अंग्रेजों ने बनाया है।

वहीं राकांपा चीफ शरद पवार शरद यादव ने कहा "जो देश के हालात हैं इन हालातों में सबसे ज्यादा परेशान किसान हैं। उन्हें न तो एमएसपी का लाभ मिल रहा है और न ही स्वामीनाथन आयोग की बातें लागू की जा रही हैं। कर्जमाफी पूंजीपतियों की करने को तैयार हैं लेकिन किसानों का कर्ज माफ करने में ये तैयार नहीं हैं। किसान बारबार दिल्ली में आकर हाजिरी लगा रहे ही हैं लेकिन इनको कोई फर्क नहीं पड़ता। ये भारत है, किसान और मजदूर मिल जाए तो यही असली भारत है। सब एक हो जाओ। एक भी वोट बीजेपी पर नहीं गिरना चाहिए। कमल कीचड़ में है इसे कीचड़ में ही रहने दो। हम सड़क लेकर संसद तक किसानों के साथ खड़े हैं। बीजेपी हटाओ कमल हटाओ, यही एक नारा है।"

इस बार की रैली को 'किसान मुक्ति मार्च' का नाम दिया गया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर देशभर के 208 से ज्यादा किसान और मजदूर संगठनों के साथ-साथ लगभग एक लाख किसानों ने नई दिल्ली को अपना ठिकाना बना लिया है। ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2019 को देखते हुए किसान संगठन सरकार पर दबाव बनाकर अपनी मांगें मनवाने का दबाव बना रहे हैं। पिछले छह महीनों के दौरान देशभर के कई हिस्सों में अलग-अगल किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में किसान पहली बार इकट्ठा हुए हैं।

आंध्र पेदश की किसान

इस बार के किसानों मार्च को गैर कृषि संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। 'लॉयर्स फॉर फार्मर्स', 'स्टूडेंट्स फॉर फार्मर्स', 'फोटोग्राफर्स फॉर फार्मर्स', 'टेकीज फॉर फार्मर्स' जैसे बैनर लिए लोग भी किसानों के समर्थन में दिखे। दिल्ली विश्वविद्यालय से सैकड़ों छात्र किसानों की मांग मांग और समर्थन में उतरे।

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किसान मुक्ति मार्च को 21 राजनीतिक दल भी अपना समर्थन दे रहे हैं। मेघालय, जम्मू कश्मीर, गुजरात और केरल सहित देश के विभिन्न राज्यों से किसान दिल्ली पहुंचे हैं। समिति के संयोजक हन्नान मोल्लाह ने एक प्रेस वार्ता में कहा "सह अब तक का सबसे बड़ा किसान आंदोलन है। गुरुवार को रामलीला मैदान में किसान सभा के आयोजन के बाद शुक्रवार को किसानों का हुजूम रामलीला मैदान से संसद मार्च करेगा।

क्या है किसानों की मांग

  • किसानों के कर्ज माफ किये जाएं, उन्हें लागत का डेढ़ गुना दाम देना सुनिश्चित हो। ये किसानों की मुख्य दो मांगें हैं।
  • किसानों के लिए न्यूनतम आय तय करने, 60 साल की उम्र के बाद किसान को 5,000 रुपए प्रति महीने पेंशन भी मिले।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बदलाव हो क्योंकि इससे किसानों की जगह बीमा कंपनियों को लाभ मिल रहा है।
  • सरकार पूर्ण कर्जमाफी करे और बिजली के बढ़ाए दाम वापस ले।
  • किसानों को सिंचाई के लिए पानी मुफ्त मिले।
  • दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से ज्यादा पुराने ट्रैक्टरों पर रोक हटा दी जाए।
  • किसान क्रेडिट कार्ड योजना में बिना ब्याज लोन मिले। महिला किसानों के लिए क्रेडिट कार्ड योजना अलग से बनाई जाए।
  • जिन किसानों ने खुदकुशी की है, उनके परिजनों ने नौकरी की मांग की है।
  • स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर किसानों की आय सी-2 लागत में कम से कम 50 प्रतिशत जोड़ दी जाये।
  • सभी फसलों की शत-प्रतिशत खरीद की गारंटी दी जाए।
  • खेती में उपयोग होने वाली सभी चीजें को जीएसटी से बाहर हों।
  • चीनी का न्यूनतम मूल्य 40 रुपए प्रति किलो किया जाए और सात से 10 दिन के अंदर गन्ना किसानों का भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

   

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