‘साइमन आयोग के विरोध में लोगों ने ‘गो बैक’ के नारे लिखी पतंगें उड़ाई थीं 

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‘साइमन आयोग के विरोध में लोगों ने ‘गो बैक’ के नारे लिखी पतंगें उड़ाई थीं साइमन कमीशन को भारत से लौटाने के लिए लोगों ने नारे लिखकर उड़ाई थीं पतंगें।

नई दिल्ली (भाषा)। पूरे देश में खास तौर पर उत्तर भारत में आजादी का जश्न मनाने के लिए लोग सुबह से ही 15 अगस्त को अपने घरों की छतों पर पतंग लेकर पहुंच जाते हैं और दिन ढलने तक पतंगबाजी में मशगूल रहते हैं।

पतंगबाजी के दौरान संदेश लिखी पतंगें एवं रंग-बिरंगी पतंगों को उड़ाया जाता है। साथ ही दिल्ली, लखनऊ, रामपुर, मुरादाबाद तथा अन्य हिस्सों में लोग तथा क्लब पतंगबाजी के मैच करते हैं, जिनके विजेताओं को इनाम एवं ट्रॉफी दी जाती है।

पतंगों पर संदेश लिखकर उड़ाने का इतिहास काफी पुराना है। जब साइमन आयोग भारत आया था तो लोगों ने इसके विरोध में पतंगों पर नारों को लिखकर उड़ाया था। काइट क्लब इंडिया के निभुल पाठक ने अहमदाबाद से फोन पर बातचीत में कहा, ''15 अगस्त के मौके पर खास तौर पर उत्तर भारत में पतंगबाजी की जाती है और लोग आपस में पतंगबाजी के मैच लड़ाते हैं, खास तौर दिल्ली, लखनऊ, रामपुर, मुरादाबाद, बरेली सहित अन्य शहरों में।''

करीब 20 साल से दिल्ली के लाल कुएं पर हर साल पतंग की दुकान लगाने के लिए जयपुर से यहां आने वाले मो. इमरान ने कहा, ''हर साल प्रमुख फिल्मों, कार्टूनों और नेताओं की तस्वीर वाली पतंगे बाजार में आती हैं जैसे इस बार, आमिर खान की 'दंगल', शाहरुख खान की 'रईस', 'बाहुबली' के अलावा कार्टूनों में डोरीमोन आदि की पतंगे आई हैं। इस साल फिर से मोदी की तस्वीर वाली जो पतंगे आई हैं उनमें एक पतंग पर एक तरफ दो हजार रुपए का नोट और एक ओर पांच सौ रुपए का नोट है और बीच में मोदी की तस्वीर है। दूसरी पतंग में लाल किला और मोदी की तस्वीर है।''

स्वतंत्रता दिवस पर काइट फेस्टिवल।

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दिल्ली के 'मॉर्डन काइट क्लब' के गुफरान मोहम्मद ने कहा, ''हम साधारण पतंग नहीं उड़ाते हैं हमारी पतंग पांच फीट और इससे ज्यादा लंबाई वाली होती है और मांझा भी कॉटन का बना होता है।'' वहीं पतंग दुकानदार शफीकुद्दीन नवाब ने कहा, ''पतंगबाजी तो पहले से होती थी लेकिन 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ था तो लोगों ने जश्न मनाने के लिए पतंगबाजी की और तभी से लोग हर साल 15 अगस्त को त्यौहार के तौर पर मनाने लगे और इस दिन पतंगबाजी करने लगे।''

पतंगबाजी का इतिहास

पाठक ने कहा, ''पतंगों पर संदेश लिखकर उड़ाने का सिलसिला बहुत पुराना है। 1927 में जब साइमन आयोग भारत आया था तो लोगों ने इसके विरोध में 'गो बैक' के नारे लिखकर पतंगो को उड़ाया था। इसके बाद भी पतंगों पर तरह तरह के संदेश लिखकर उडाया जाता रहा है।'' गौरतलब है कि बाजार में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ' योजना, 'दो हजार एवं पांच सौ रपये के नोट और बीच में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर वाली पतंग के अलावा, फिल्मों, कार्टूनों की तस्वीर वाली और तिरंगे की पतंगे मिल रही हैं।

पतंगबाजी की होती है प्रतियोगिता

पतंगबाजी के मैच के बारे में दिल्ली के 'मॉर्डन काइट क्लब' के गुफरान मोहम्मद ने कहा कि 15 अगस्त के दिन खास तौर पर पतंगबाजी के मैच किए जाते हैं। यह मैच दो क्लबों के बीच होते हैं और दोनों क्लबों की कई टीमें इसमें हिस्सा लेती हैं। उन्होंने कहा कि आम तौर पर पतंगबाजी के मैच में 32 टीमें हिस्सा लेती हैं और हर टीम में सात लोग होते हैं, जिन्हें 12-12 पतंगे दी जाती हैं जो दूसरे की सारी पतंगे पहले काट देता है वह जीत जाता है। इसके अलावा पतंगबाजी के टूर्नामेंट भी होते हैं जिसमें शुरुआती दौर के मैच होते हैं फिर क्वार्टर फाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल मैच होता हैं।

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