हर मां को पता होना चाहिए क्या है कंगारू मदर केयर

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हर मां को पता होना चाहिए क्या है कंगारू मदर केयरक्या है केएमसी।

35 वर्षीय महिला एक बच्चे की माँ हैं और एक साधारण परिवार की रहने वाली है। उन्होंने एक नवम्बर 2017 को अपने प्रसवकाल के आठवें माह में अबन्तीबाई महिला अस्पताल लखनऊ में दो जुड़वां लड़कियों को जन्म दिया। उनका जन्म के समय वजन क्रमशः 2 किग्रा और 1.5‍ किग्रा था जबकि प्रसव सामान्य था। प्रसव के बाद महिला को सामान्य ओपीडी में भर्ती कराया गया, चूंकि बच्चियां सामान्य से कम वजन की थी इसलिए उनको के.एम.सी (कंगारू मदर केयर) की सलाह दी गई जिसके द्वारा उनके बच्चों के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो सकता है, परन्तु प्रसव के तीन दिन बाद वह अपने घर चली गयी। वहां वह अपने बच्चों की तबियत बिगड़ते देख दोबारा अस्पताल गयी और केएमसी के लिए तैयार हो गयी।

केएमसी सलाहकार ने महिला को एक चार्ट और व्यवहारिक माध्यम से केएमसी प्रकिया को समझाया। उसने निर्देशों का पालन किया और तीन दिन बाद जब दोबारा उन बच्चों का वजन किया गया तो उनमे 0.2 किलो की वृद्धि पाई गयी। महिला और उसके परिवार वाले बहुत खुश हुए और उसे इस प्रक्रिया का महत्व समझ में आया वह कहती हैं, "जब तक मेरे बच्चों का वजन पूरी तरह से सामान्य नहीं हो जाता तब तक मैं केएमसी देती रहूंगी और दूसरी माओं को भी केएमसी के लिए भी कहूंगी।"

शिशु मृत्युदर में आई कमी

सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे 2016 के आंकड़े बताते हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं एवं समुदाय पर किये जा रहे निरंतर प्रयास से हमारे प्रदेश में 1000 जीवित बच्चों पर शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। 7 वर्ष 2014 के आंकड़ो से अनुसार ये संख्या 48 थी जो अब घटकर 43 हो गयी है।

कंगारू मदर केयर यूनिट कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा संचालित है। यह नवजात शिशुओं की मृत्यु दर घटाने के लिए चलाया गया एक अभियान है। इस दृष्टि से बीमार बच्चे को मां के स्पर्श में रखने हेतु कंगारू मदर केयर इकाइयों को स्थापित किया गया। गाँव में आशा बहुएं, माताओं को नवजात बच्चों की देखभाल के आधुनिक तरीके बता रही हैं, साथ ही माताओं को प्रशिक्षण भी दे रही हैं कि नवजात शिशु की उचित देखभाल कैसे करनी चाहिए।

आशाएं दे रहीं हैं ये संदेश

प्रतापगढ़ जिले की खरवई ब्लॉक की आशा बहू माधुरी सिंह बताती हैं, हमें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर इसकी ट्रेनिंग दी जाती है कि कैसे जन्म के बाद बच्चों को गर्म तौलिए या छोटे कंबल से बच्चे को तिकोनादार बनाकर उसमें रखकर अपने बच्चे को सीने से लगाएं। इस तरह बच्चे की रोग प्रग्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है, वो कम बीमार होता है।

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नवजात शिशु की उचित देखभाल में कंगारू मदर केयर विधि कैसे है उपयोगी

समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में संक्रमण, पीलिया, लर्निंग डिसऑर्डर (यानि सीखने में देरी) और सेरिब्रल पॉल्सी (एक रोग जिसमें दिमागी अक्षमता के कारण चलने-फिरने में दिक्कत होती है) जैसी बीमारियों की संभावनाएं काफी प्रबल होती हैं। ऐसे बच्चों को नियंत्रित तापमान में रखने की जरूरत होती है। ऐसे में नवजात शिशु के लिए संजीवनी है कंगारू मदर केयर। कंगारू की तरह अपने बच्चे को अपनी स्किन से लगाकर रखने की वजह से ही इसे कंगारू केयर कहा जाता है। इस विधि में समय से पहले हुए नवजात शिशु को प्रतिदिन कुछ घंटों तक मां आपने सीने से लगाकर रखती है। विशेषज्ञों का मानना है कि त्वचा के संपर्क से शिशु के विकास में सहायता मिलती है, बच्चे का वजन बढ़ता है और उसे सांस लेने में आसानी होती है। यह तकनीक उन इलाकों में बेहद कारगर साबित हुई है जहां इनक्यूबेटर (समय से पूर्व जन्मे शिशु को जिंदा रखने की मशीन) की सुविधा मौजूद नहीं होती।

अवन्ती बाई महिला चिकित्सालय लखनऊ की के.एम.सी वार्ड की नर्स शिरीन बताती हैं, केएमसी तभी बंद करें जब बच्चे का वजन ढाई किग्रा से साढ़े तीन (3.5) किग्रा तक हो जाए, बच्चा तीन दिन से लगातार वजन में वृद्धि कर रहा हो, बच्चा अच्छी तरह से मां का दूध पी रहा हो। माँ यह सुनुश्चित करे कि वह घर पर बच्चे की अच्छे से देखभाल कर सकेगी और फॉलोअप के लिए हर आठवें दिन डॉक्टर से मिलने आएगी।

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