ये हैं 'चमकी बुखार' के लक्षण, इस घरेलू उपाय से बच सकती है आपके बच्‍चे की जान

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

लखनऊ। बिहार में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। चमकी बीमारी से पीड़ित बच्चों की संख्या सरकारी अस्पतालों में बढ़ती जा रही है। इसका समय रहते इलाज होना चाहिए। यह बीमारी अत्‍यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में फैलती है। 1 से 15 साल की उम्र के बच्‍चे इस बीमारी से ज्‍यादा प्रभावित होते हैं।

मस्‍तिष्‍क ज्‍वर (चमकी बुखार) के लक्षण...

-तेज बुखार आना,

-चमकी अथवा पूरे शरीर या किसी खास अंग में ऐंठन होना

-दांत पर दांत लगना

-बच्‍चे का सुस्‍त होना

-बेहोश होना व चिउंटी काटने पर शरीर में कोई हरकत नहीं होना।

ये लक्षण दिखते ही अपने नजदीक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र पर जाकर डॉक्‍टर को दिखाएं। अगर इन लक्षणों को नजरअंदाज किया जा रहा है तो आगे चलकर ये गंभीर हो सकती है।

चमकी बुखार होने पर क्‍या करें...

-तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें एवं पंखा से हवा करें ताकि बुखार कम हो सके।

-बच्‍चे के शरीर से कपड़ें हटा लें एवं गर्दन सीधा रखें। पेेरासिटामोल की गोली व अन्‍य सीरप डॉक्‍टर की सलाह के बाद ही दें।

-अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा है तो उसे साफ कपड़े से पोछें, जिससे सांस लेने में कोई दिक्‍कत न हो।

-बच्‍चों को लगातार ओआरएस का घोल पिलाते रहें।

-तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंखों को पट्टी से ढंके।

-बेहोशी व मिर्गी आने की अवस्‍था में मरीज को हवादार स्‍थान पर लिटाएं।

-अगर दिन में बच्‍चे ने लीची खाई है तो उसे रात में भरपेट भोजन कराएं।

-चमकी आने की दशा में मरीज को बाएं या दाएं करवट लिटाकर ले जाएं।

चमकी बुखार होने पर क्‍या न करें...

-बच्‍चे को खाली पेट लीची न खिलायें, अधपके अथवा कच्‍ची लीची को खाने से बचें।

-बच्‍चे को कंबल अथवा गर्म कपड़ों में न लपेटें, बच्‍चे की नाक न बंद करें।

-मरीज के बिस्‍तर पर न बैठे साथ ही ध्‍यान रखें की मरीज के पास शोरगुल न हो।

-बच्‍चे की गर्दन झुकाकर न रखें।

जानलेवा बुखार के लिए सामान्य उपचार व सावधानियां...

1.अगर आपके बच्चे में चमकी बीमारी के लक्षण दिखें तो सबसे पहले बच्चे को धूप में जाने से बचाएं।

2.बच्चा तेज धूप के संपर्क में न आने पाए।

3.बच्‍चों को दिन में दो बार स्‍नान कराएं।

4.गर्मी के दिनों में बच्‍चों को ओआरएस अथवा नींबू-पानी-चीनी का घोल पिलाएं।

5.रात में बच्‍चों को भरपेट खाना खिलाकर ही सुलाएं।


    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.