जानिए कौन हैं वो टेसी, जिनके नाम पर गाड़ियों का नया एडिशन लाना चाहती है महिंद्रा
Anusha Mishra 27 Nov 2017 4:15 PM GMT
हाल ही में महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा - टेसी बॉलिवुड की किसी भी ऐक्ट्रेस से ज्यादा प्रसिद्ध होने की योग्यता रखती हैं। टेसी के पोस्टर हर भारतीय स्कूल में होने चाहिए, जो रूढ़ियों को खत्म करेगा और लड़कियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।'
Tessy deserves to be more famous than the biggest Bollywood star.A poster of Tessy in every Indian school will wreck stereotypes&create enormous career aspirations for girls.RT to make her a star.Maybe you can download this pic, turn it into a poster.Give it to the nearest school https://t.co/EzNmiLy3ez
— anand mahindra (@anandmahindra) November 25, 2017
इस बात पर एक ट्विटर यूज़र ने उन्हें जवाब दिया कि आप अपनी किसी गाड़ी का नाम टेसी पर ही क्यों नहीं रख लेते।
Why dont you name the next SVU from Mahindra after Tessy ? Mahindra Tessy
— Vishy Sankara (@honshomyoshu) November 25, 2017
आनंद महिंद्रा को उसका सुझाव काफी पसंद आया और उन्होंने इसके जवाब में हिंद्रा ऐंड महिंद्रा के वाइस प्रेज़िडेट विजय नाकरा को टैग कर ट्वीट किया, 'शानदार आइडिया। विजय तुम सुन रहे हो ना? TUV टेसी एडिशन कैसा रहेगा?'
Intriguing idea. @vijaynakra you listening? Perhaps a TUV Tessy edition?! https://t.co/TEaT3JujVN
— anand mahindra (@anandmahindra) November 25, 2017
अब आप सोच रहे होंगे कि आख़िर आनंद महिंद्रा किसा टेसी के बारे में बात कर रहे थे। हो सकता है कि आप में से कई लोग टेसी को जानते हों लेकिन जो नहीं जानते वो अब जान सकते हैं।
वो ग्लैमर से दूर हैं। आम तौर पर मीडिया कवरेज से भी दूर रहती हैं। दूसरी भारतीय महिलाओं की ही तरह अपने घर का खाना खुद बनाती हैं। अक्सर बॉर्डर वाली सिल्क की साड़ी पहनती हैं, बिंदी लगाती हैं, मंगलसूत्र पहनती हैं, बिल्कुल एक आम भारतीय महिला की तरह लेकिन इसके बावजूद उनमें कुछ खास है। हम में से कई लोग ऐसे होंगे जो किसी कठिन काम को करने की कोशिश करते वक्त एक - दूसरे से कहते होंगे - हो जाएगा, कोई रॉकेट साइंस नहीं है। वो रॉकेट साइंस जिसे ज़्यादातर लोग बहुत कठिन मानते हैं। डॉ. टेसी थॉमस उस 'रॉकेट साइंस' के बारे में सिर्फ बात नहीं करतीं, बल्कि उसकी ज्ञाता हैं। उन्होंने भारतीय मिसाइल कार्यक्रम में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है जिसके बल पर आज हमारा देश मिसाइल सुपर पॉवर के मामले में अग्रणी देशों में आता है।
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डॉ. टेसी थॉमस भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआडीओ) में एक वैज्ञानिक हैं, एक अकेली ऐसी महिला वैज्ञानिक जिसने लंबी दूरी की परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल 'अग्नि' को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें दुनिया में रणनीतिक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों पर काम कर रही बहुत कम महिलाओं में से एक माना जाता है। देश के अत्यधिक गोपनीय मिसाइल विकास कार्यक्रम की पुरुष-प्रभुत्व वाली दुनिया में डीआरडीओ में डॉ. थॉमस, 1988 में शामिल हुई थीं।
डॉ. थॉमस में बचपन से ही मिसाइलों के प्रति एक आकर्षण था, ऐसा इसलिए क्योंकि उनका जन्म मिसाइल लॉन्च स्टेशन के पास ही हुआ था। भारत में कोई महिला, वैज्ञानिक बने यही एक अलग तरह की बात है, और अगर वो महिला मिसाइल वैज्ञानिक हो तब वाकई बहुत ख़ास है, टेसी थॉमस से पहले इसके बारे में शायद किसी महिला ने सोचा भी नहीं होगा। वेब पोर्टल इंडियन फ्रंट लाइनर्स को दिए एक इंटरव्यू में डॉ. थॉमस ने बताया कि उन्हें अपने कार्यस्थल पर कभी किसी तरह के भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा।
डॉ. टेसी थॉमस वरिष्ठ स्तर पर विभिन्न मिसाइल प्रोजेक्ट टीमों का हिस्सा रहीं। वो अग्नि 4 और अग्नि 5 मिसाइल प्रोजेक्ट की डायरेक्टर भी रहीं, जिनका सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। डॉ. थॉमस ने आईएएस की परीक्षा भी दी थी लेकिन डीआरडीओ का इंटरव्यू भी उसी दिन था जिस दिन आईएएस का और उन्होंने डीआडीओ को चुना। सबसे ख़ास बात ये थी कि डॉ. टेसी थॉमस को अपने पहला मिसाइल प्रोजेक्ट डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अध्यक्षता में पूरा किया और वे 'मिसाइल मैन' के सानिध्य में 'मिसाइल वुमेन' बन गईं।
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उन्होंने - पृथ्वी, आकाश, अग्नि, नाग, धनुष, त्रिशूल और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों के अनुसन्धान और विकास पर काफी काम किया है। मिसाइल परियोजना में उन्होंने अग्नि मिसाइल के लगभग सभी संस्करणों को जन्म दिया है इसीलिए उन्हें देश की अग्निपुत्री कहा जाता है।
डॉ. टेसी थॉमस का जन्म अप्रैल, 1964 में केरल के एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। डॉ. थॉमस जब स्कूल में पढ़ती थी, उन दिनों 'नासा' का अपोलो यान चाँद पर उतरने वाला था। उन्हें उस यान के बारे में सुनकर प्रेरणा मिलती थी कि वो भी एक दिन ऐसा एक रॉकेट बनाएं, जो इसी तरह आसमान की ऊंचाई को छू सके और उन्होंने अपने इस सपने को पूरा भी कर दिखाया। थॉमस अग्नि-5 परियोजना की अगुआई कर रही हैं और उनके साथ पांच अन्य महिला वैज्ञानिक भी काम कर रही हैं।
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डीआरडीओ में प्रक्षेपास्त्र परियोजना से जु़ड़े 250 वैज्ञानिकों में 20 महिला वैज्ञानिक हैं। थॉमस 2008 में अग्नि प्रणाली की परियोजना निदेशक बनीं। उसी समय उन्हें अग्नि-2 का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई थी। वर्ष 2009 में उन्हें अग्नि-4 की परियोजना निदेशक बनाया गया। आगे की योजना के बारे में उन्होंने कहा, दिल थाम कर अग्नि-5 की प्रतीक्षा कीजिए। उनके निर्देशन में फरवरी 2012 में अग्नि प्रक्षेपास्त्र के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्रों का विकास करने में सक्षम अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की श्रेणी में शामिल हो चुका है।
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार नई दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री प्रबंधन संस्थान द्वारा लोक प्रशासन, शिक्षा और प्रबंधन क्षेत्र में किसी व्यक्ति द्वारा किए गए योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। 2012 में टेसी थॉमस को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयन किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया था।
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