क्‍या आपको भी ऐसा लगता है कि 14 या 20 साल की होती है उम्र कैद?

साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद को लेकर इस गलतफहमी को दूर किया था।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   10 Jun 2019 11:26 AM GMT

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क्‍या आपको भी ऐसा लगता है कि 14 या 20 साल की होती है उम्र कैद?

लखनऊ। अक्सर लोगों से सुनने में आता है कि 'उम्र कैद का मतलब 14 साल की सजा।' अगर आप भी ऐसा ही सुनते और कहते आए हैं तो आप गलत बात सुन और कह रहे हैं। साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद को लेकर इस गलतफहमी को दूर किया था। कोर्ट ने साफ कहा था कि उम्र कैद का मतलब है ताउम्र जेल में रहना।

न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की पीठ ने इस गलतफहमी को दूर करते हुए कहा था, 'हमें लगता है कि इस बाबत कुछ गलतफहमी है। ऐसा सुनने में आता है कि उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी को 14 साल या 20 साल की सजा पूरी हो जाने पर रिहा होने का अधिकार है। कैदी को ऐसा कोई अधिकार नहीं है। उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी को ताउम्र कैद में रहना है। वह इससे पहले तभी रिहा किया जा सकता है जब राज्‍य सरकार उसके लिए अपील करे।' सीआरपीसी की धारा 433-ए के तहत सजा की अवधि 14 साल से कम नहीं की जा सकती। उम्र कैद 15 साल 30 साल या उम्र भर भी हो सकती है, लेकिन 14 साल से कम नहीं होगी।

दिल्‍ली हाईकोर्ट के वकील अजय प्रताप सिंह बताते हैं, ''कोर्ट अगर अपने आदेश में सजा की अवधि तय करता है कि '14 साल की उम्र कैद' या '16 साल की उम्र कैद', तब उम्र कैद की उवधि निर्धारित होगी। अगर ऐसा नहीं है तो उम्र कैद का मतलब पूरी जिंदगी जेल में रहने से है।''


उम्रकैद 14 साल की नहीं होती है। ये सिर्फ अफवाह है। ये संविधान में कहीं नहीं लिखा। ये उम्र भर की सजा है। भारतीय संविधान के सीआरपीसी सेक्‍शन 433 ए की तहत राज्‍य सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वो कैदियों की सजा कम कर सकती है या खत्‍म कर सकती है। सजा कैसी भी हो राज्‍य सरकार के पास उसे कम करने की गुजारिश करने का अधिकार है।

राज्‍य के पास ये अधिकार इसलिए है कि न्‍याय पालिका के द्वार सजा सुनाने के बाद कैदी की जिम्‍मेदारी राज्‍य की होती है। जबतक उसकी सजा चलती है उसकी निगरानी का जिम्‍मा राज्‍य का होता है। ऐसे में राज्‍य सरकार सजा कम करने की अपील करता है तो उसे सुन लिया जाता है। लेकिन राज्‍य 14 साल के बाद ही अपील कर सकता है।

14 साल के बाद सरकार कैदी के चाल चलन, बीमारी या पारिवारिक मुद्दों के आधार पर उसकी रिहाई कर सकती है। इसके लिए जेल प्रशासन को स्‍टेट रिव्‍यू कमेटी को कैदियों के नाम भेजने होते हैं। स्‍टेट रिव्‍यू कमेटी राज्‍यपाल के पास इन नामों को भेजती है। भारतीय संविधान के आर्टिकल 72 में राष्‍ट्र‍पति जबकि आर्टिकल 161 में राज्‍यपाल को ये अधिकार है कि वो किसी भी सजायाफ्ता या मुजरिम की सजा को माफ कर सकता है।

ऐसे में अब अगर आपसे कोई कहे कि उम्र कैद का अर्थ 14 साल की जेल होता है तो उसे ये बात बताएं कि उम्र कैद का अर्थ जीवन भर जेल में रहने से है। हां, अगर कोर्ट ने अपने आदेश में उम्र कैद की अवधि का जिक्र किया है तो उम्र कैद उतने साल की होगी, लेकिन तब भी ये 14 साल से कम नहीं हो सकती।

   

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