जानें भारत के राष्ट्रपति भवन के बारे में जिसे बनना था चार वर्ष में, पर बना 17 वर्ष में

Astha SinghAstha Singh   1 Nov 2017 4:44 PM GMT

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जानें भारत के राष्ट्रपति भवन के बारे में जिसे बनना था चार वर्ष में, पर बना 17 वर्ष मेंराष्ट्रपति भवन 

लखनऊ। दिल्ली के दिल में बसा राष्ट्रपति भवन महज एक इमारत नहीं है, ये गवाह है आजादी की लड़ाई का, ये गवाह है हिंदुस्तान की आजादी का और भारत के गणतंत्र का। वायसराय के महल तौर पर बनी ये इमारत कभी ब्रिटिश साम्राज्य का प्रतीक थी, लेकिन बाद में ये बन गया महामहिम का महल।

राष्ट्रपति भवन की भव्यता बहुआयामी है। यह एक विशाल भवन है और इसका वास्तुशिल्प विस्मयकारी है। इससे कहीं अधिक, इसका लोकतंत्र के इतिहास में गौरवमय स्थान है क्योंकि यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रपति का निवास स्थल है। आकार, विशालता तथा इसकी भव्यता के लिहाज से दुनिया के कुछ ही राष्ट्राध्यक्षों के सरकारी आवासीय परिसर राष्ट्रपति भवन की बराबरी कर पाएंगे।

ऐतिहासिक कहानी

इस इमारत की एक-एक दीवार पर लिखी है भारत की गौरव गाथा। इस इमारत में ब्रिटिश हुकूमत के आगमन के साथ ही हिंदुस्तान में उनके सूरज के अस्त होने का काउंटडाउन शुरू हो गया था। हम आपको बताते रहे हैं राष्ट्रपति भवन के इतिहास और इसकी भव्‍यता के बारे में। राष्ट्रपति भवन भारत के राष्ट्रपति का सरकारी निवास स्थान है। सन 1950 तक इसे वायसराय हाउस ही कहते थे। इसकी इमारते तब अस्तित्व में आई जब भारत की राजधानी को कोलकत्ता से दिल्ली में स्थानांतरित किया गया। इस महल में 340 कमरे है।

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कैसे शुरुआत हुई?

1911 में जब अंग्रेजों ने कोलकाता की जगह दिल्ली को राजधानी बनाने का फैसला किया, तो वो एक ऐसी इमारत बनाना चाहते थे, जो आने वाले कई सालों तक एक मिसाल बने। रायसीना हिल्स पर वायसराय के लिए एक शानदार इमारत बनाने का फैसला किया गया । इस इमारत का नक्शा बनाया एडविन लुटियंस ने। लुटियंस ने हर्बट बेकर को 14 जून, 1912 को इस आलीशान इमारत का नक्शा बनाकर भेजा।

राष्ट्रपति भवन यानी उस समय के वायसराय हाउस को बनाने के लिए 1911 से 1916 के बीच रायसीना और मालचा गांवों के 300 लोगों की करीब 4 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया। लुटियंस की यही तमन्ना थी कि ये इमारत दुनिया भर में मशहूर हो और भारत में अंग्रेजी राज्य का गौरव बढ़ाए।

17 साल में बना राष्ट्रपति भवन

इस इमारत को कुछ इस तरह से बनाने का फैसला किया गया कि दूर से ही पहाड़ी पर ये महल की तरह नजर आए। राष्ट्रपति भवन को बनने में 17 साल लग गए।1912 में शुरू हुआ निर्माण का काम 1929 में खत्म हुआ।इमारत बनाने में करीब 70 करोड़ ईंटों और 30 लाख पत्थरों का इस्तेमाल किया गया।

उस वक्त इसके निर्माण में 1 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च हुए थे। राष्ट्रपति भवन में प्राचीन भारतीय शैली, मुगल शैली और पश्चिमी शैली की झलक देखने को मिलती है। राष्ट्रपति भवन का गुंबद इस तरह से बनाया गया कि ये दूर से ही नजर आता है।

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रोचक बात

यह एक रोचक तथ्य है कि जिस भवन को पूरा करने की समय-सीमा चार वर्ष थी, उसे बनने में 17 वर्ष लगे और इसके निर्मित होने के अट्ठारहवें वर्ष भारत आजाद हो गया।

अन्य विशेषताएं

राष्ट्रपति भवन की एक अन्य विशेषता इसके खंभों में भारतीय मंदिरों की घंटियों का प्रयोग है। यह सर्वविदित है कि मंदिरों की घंटियां हमारी सामासिक संस्कृति, खासकर हिंदू, बौद्ध तथा जैन परंपराओं का अभिन्न अंग है। इन घंटियों का हेलेनिक शैली के वास्तुशिल्प के साथ मिश्रण, वास्तव में भारतीय और यूरोपीय डिजाइनों के सम्मिश्रण का एक बेहतरीन उदाहरण है। खास बात यह है कि इस तरह की घंटियां नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लाक तथा संसद भवन में मौजूद नहीं हैं। यह उल्लेख करना रोचक होगा कि राष्ट्रपति भवन के खंभों में इस तरह की घंटियों के प्रयोग का विचार कर्नाटक के मुदाबिदरी नामक स्थान पर स्थित एक जैन मंदिर से प्राप्त हुआ।

राष्ट्रपति भवन के बारे में कुछ और आश्चर्यजनक तथ्य

  • राष्ट्रपति भवन जो राष्ट्रपति निवास से भी जाना जाता है, इटली के रोम स्थित क्यूरनल पैलेस के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निवास स्थान है।
  • इसे तैयार होने में पूरे 17 वर्षों का समय लगा था। इसका निर्माण कार्य 1912 में शुरू हुआ था और 1929 में यह बन कर तैयार हुआ था ।इसके निर्माण कार्य में करीब 29000 लोग लगाए थे।
  • इसमें राष्ट्रपति कार्यालय, अतिथि कक्षों समेत 300 से भी अधिक कमरे हैं।
  • इसमें 750 कर्मचारी काम करते हैं, जिनमें से 245 राष्ट्रपति के सचिवालय में कार्यरत हैं।
  • इसे रायसीना हिल पर बनाया गया है, जिसे (रायसिनी और माल्चा) दो गाँवों के नाम पर दिया गया था और इस महल के निर्माण के लिए इन गाँवों को हटा दिया गया था। इसका निर्माण वास्तुकार सर एडविन लैंडसीर लुटियन द्वारा किया गया था।
  • स्वतंत्रता से पहले इसे वायसराय हाउस के नाम से जाना जाता था और यह भारत का सबसे बड़ा निवास स्थान था।
  • प्रत्येक वर्ष फरवरी के महीने में राष्ट्रपति भवन के पीछे बने मुग़ल गार्डन को उद्यानोत्सव नाम के त्योहार के दौरान जनता के लिए खोला जाता है।
  • राष्ट्रपति भवन के बैंक्वेट हॉल में एक साथ 104 अतिथि बैठ सकते हैं।
  • राष्ट्रपति भवन के अशोका हॉल में मंत्रियों के शपथग्रहण आदि जैसे समारोह होते हैं।
  • सबसे अद्भुत राष्ट्रपति भवन का विज्ञान एवं नवाचार गैलरी है। इसमें एक रोबोट कुत्ता है, जिसका नाम क्लम्सी है जो बिलकुल असली कुत्ते जैसा दिखता है।
  • प्रत्येक शनिवार को सुबह 10 बजे से 30 मिनटों तक चलने वाला "चेंज ऑफ गार्ड " समारोह आयोजित किया जाता है और यह जनता के लिए भी खुला होता है।

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अब तक 13 राष्ट्रपति की मेजबानी कर चुका है राष्ट्रपति भवन

पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से लेकर प्रणब मुखर्जी तक 13 राष्ट्रपति यहां रह चुके हैं। हर राष्ट्रपति की अपनी यादें इस महल से जुड़ी हुई हैं। राजेंद्र प्रसाद चाहते थे कि हर राष्ट्रपति के हाथ से बनी तस्‍वीरें यहां लगाई जाएं, तब से इस परंपरा को निभाया जा रहा है। बैंक्वेट हॉल में सभी पूर्व राष्ट्रपति की पेंटिंग देखी जा सकती है।

हर राष्ट्रपति ने कुछ न कुछ नया किया

  • दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन टीचर थे।उन्होंने यहां की लाइब्रेरी में कई अच्छी किताबों का कलेक्शन किया।जाकिर हुसैन को गुलाब के फूलों से बहुत प्यार था। उन्हीं की देन है कि आज राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में गुलाब की 100 से ज्यादा किस्में हैं।
  • पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमन ने राष्ट्रपति भवन में एक संग्रहालय बनवाया । इस म्यूजियम में चांदी का 640 किलो को वो सिंघासन भी रखा है, जिस पर ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम बैठा करते थे । म्यूजियम में सूरजमुखी का एक फूल भी रखा है, जो महात्मा गांधी के पार्थिव शरीर पर चढ़ाया गया था।
  • पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन ने अपने कार्यकाल में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग का प्लांट लगवाया। नारायणन के बाद राष्ट्रपति बने डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति भवन का एक कोना बच्चों के नाम करके गए थे। इसे चिल्ड्रेन गैलरी कहा जाता है, जिसमें बच्चों की बनाई कलाकृतियां हैं।
  • वर्तमान में रामनाथ कोविंद भारत के 14वें राष्ट्रपति हैं।

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