जानिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने क्यों कहा - फाइजर कोरोना वैक्सीन की नहीं पड़ेगी जरूरत, इन पांच वैक्सीन पर टिकी है सरकार की उम्मीदें

एक ओर भारत में जहाँ बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस से 480 लोगों की मौत हो चुकी है और हर दिन नए रिकॉर्ड मामले सामने आ रहे हैं, दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ आज कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर चर्चा की। ऐसे समय में जानिए इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा, भारत में कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर क्या हो रहा है और सरकार को किस वैक्सीन से ज्यादा उम्मीद है ...

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जानिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने क्यों कहा - फाइजर कोरोना वैक्सीन की नहीं पड़ेगी जरूरत, इन पांच वैक्सीन पर टिकी है सरकार की उम्मीदेंभारत में दिल्ली समेत मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में हर दिन सामने आ रहे कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड मामले। फोटो साभार : द इकोनोमिक टाइम्स

भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की। इस लम्बी चर्चा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह हमारे हाथ में नहीं है कि कोरोना वैक्सीन कब तक आएगी, हमारे वैज्ञानिक वैक्सीन को लेकर काम कर रहे हैं। कई वैक्सीन आखिरी चरण में हैं, लेकिन तब तक कोरोना से हमारी लड़ाई ढीली नहीं पड़नी चाहिए।

दूसरी ओर कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका की फाइजर कंपनी ने 90 फीसदी असरदार वैक्सीन बनाने का सबसे पहले दावा किया। इस वैक्सीन के सार्थक परिणाम सामने आने के बाद भारत में भी जल्द इसके आने की उम्मीद जगी थी। हालाँकि अब इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया है कि भारत में भी कई कोरोना वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के अंतिम चरणों में हैं और शायद देश को फाइजर की वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

दुनिया भर में लोग कोरोना वायरस की एक प्रमाणिक वैक्सीन बनने का इंतजार कर रहे हैं। भारत में भी कई फार्मा कंपनियां कोरोना की वैक्सीन को लेकर काम कर रही हैं और इनमें से कुछ क्लिनिकल ट्रायल के अंतिम चरणों में चल रही हैं। ऐसे में भारत में भी जल्द कोरोना वायरस की एक प्रमाणिक वैक्सीन सामने आ सकती है।

मगर भारत में फाइजर की वैक्सीन आने की अटकलों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने साफ़ कर दिया है और कहा है कि फिलहाल भारत में भी कई कोरोना वैक्सीन के सार्थक परिणाम निकल कर सामने आये हैं और क्लिनिकल स्टेज के पूरा होते ही जल्दी ही भारत को भी अपनी एक प्रमाणिक वैक्सीन मिल सकेगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज द इकनोमिक टाइम्स के इंटरव्यू में कहा, "अमेरिका की फाइजर की वैक्सीन को अभी तक स्वयं अमेरिकी नियामक प्राधिकरण से मंजूरी नहीं मिली है। और अगर आने वाले दिनों में मंजूरी मिल भी जाती है तो सबसे पहले वे अपनी स्थानीय आबादी को वैक्सीन देने का प्रयास करेंगे न कि दूसरे देशों को आपूर्ति करेंगे, ऐसे में फाइजर-बायोइंटेक की वैक्सीन पर फिलहाल विचार करने पर कोई मतलब नहीं है।"

फिलहाल भारत में फाइजर की वैक्सीन आने पर भी कई समस्याएँ सामने थीं। इनमें सबसे मुख्य फाइजर की वैक्सीन का शून्य से 70 डिग्री कम तापमान में भंडारण किये जाने को लेकर भी था। ऐसे में वैक्सीन को लेकर भारत में बने कोल्ड चैन में इतने कम तापमान में वैक्सीन का भंडारण किया जाना चुनौतीपूर्ण होता।

भारत में रोज सामने आ रहे कोरोना संक्रमण के नए मामले। फोटो : पीटीआई

लंबे अरसे से भारत सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम से जुड़े रहे और भारत में कई वैक्सीन पर काम कर चुके पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट के. सुरेश किशनराव 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "हमारे देश में शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस कम तापमान तक ही किसी वैक्सीन को बड़े कोल्ड स्टोरेज में रखने की सुविधा है। और फाइजर की कोरोना वैक्सीन के लिए हमारे लिए माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचना भी मुश्किल होगा, सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, कई ऐसे विकसित देश भी हैं जहाँ इतने तापमान में स्टोरेज की सुविधा नहीं है।"

हालाँकि फाइजर कंपनी के वैक्सीन के असरदार होने के दावे के तीन दिनों के बाद अमेरिका की एक और कंपनी मॉडर्ना ने भी अपनी वैक्सीन के 95 फीसदी तक असरदार होने का दावा किया है।

फिलहाल भारत सरकार की नजर अपने देश में तैयार हो रही कोरोना वायरस वैक्सीन पर टिकी हैं और अब तक कई भारतीय कंपनियों की वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे चरणों में पहुँच चुकी हैं। आइये जानते हैं कि कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए भारत में कौन सी कंपनी बना रही है वैक्सीन और क्या है उनकी स्थिति।

सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कोवीशील्ड

भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड को लेकर काम कर रहा है। इस वैक्सीन के परिक्षण भारत के 15 अलग-अलग केंद्रों में किये जा रहे हैं। ब्रिटेन की आस्ट्राजेनेका कंपनी भी इस वैक्सीन को लेकर सहयोग कर रही है।

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने 23 नवंबर को अपनी वैक्सीन के 70 से 90 फीसदी तक असरदार होने का दावा किया है। इस वैक्सीन से भारत के सीरम इंस्टीट्यूट से जुड़े होने के कारण मिली सफलता को भारत के लिए खास माना जा रहा है। इस वैक्सीन के तीसरे चरण के शुरूआती नतीजों में यह परिणाम निकल कर सामने आये हैं।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के सीइओ अदार पूनावाला ने पीटीआई न्यूज़ एजेंसी से कहा है, "यह वैक्सीन अगली साल फ़रवरी तक आ सकती है और आम जनता के लिए अप्रैल तक उपलब्ध हो सकती है। इस वैक्सीन की दो जरूरी खुराक की कीमत ज्यादा से ज्यादा 1,000 रुपये तक होगी।"

भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया दुनिया की सबसे सस्ती और विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता प्राप्त टीकों की खुराक 170 से ज्यादा देशों में आपूर्ति करता आया है। यही वजह है कि सीरम दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनियों में शामिल है।

भारत बायोटेक की कोवाक्सिन

सीरम इंस्टीट्यूट के बाद भारत में कोरोना वैक्सीन को लेकर तेजी से काम कर रही कंपनी भारत बायोटेक है। इस बायोटेक कंपनी ने अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन कोवाक्सिन को लेकर तीसरे चरण का ट्रायल 16 नवंबर से शुरू कर दिया है।

भारत बायोटेक की शीला पनिकर 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं, "अपनी वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में हम देश भर में 26,000 से ज्यादा वोलेंटियर पर परिक्षण कर रहे हैं। यह भारत में सबसे बड़ा क्लिनिकल ट्रायल होगा। हमें उम्मीद है कि हम अगले साल के दूसरी तिमाही में अपनी वैक्सीन लेकर आ जायेंगे।" हालाँकि इस वैक्सीन की कीमत को लेकर फिलहाल उन्होंने अभी कुछ भी कहना से मना कर दिया।

स्पुतनिक-5 कोरोना वायरस वैक्सीन

रूस में कोरोना वायरस वैक्सीन स्पुतनिक-5 तैयार की जा रही है और भारत में डॉ. रेड्डी फार्मा कंपनी इस वैक्सीन का परिक्षण कर रही है। रूस में गैमेलिया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबॉयोलॉजी और रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड इस वैक्सीन को मिलकर विकसित कर रही है।

फिलहाल क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे चरण के नतीजों में इस वैक्सीन के 95 फीसदी तक प्रभावी होने के संकेत मिले हैं और यह वैक्सीन अब तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के अंतिम चरणों में है।

रूस की गैमेलिया की ओर से दावा किया गया है कि पहली खुराक के बाद इस वैक्सीन को 91.4 फीसदी प्रभावी माना गया है, जबकि इसके 42 दिन बाद दूसरी खुराक देने पर 95 फीसदी तक यह वैक्सीन असरदार साबित हुई है।

दो और वैक्सीन कैडिला और बायोलॉजिकल ई

इसके अलावा भारत में दो और फार्मा कंपनियां कोरोना वैक्सीन बनाने को लेकर तैयारी में हैं। इनमें अहमदाबाद की जायडस कैडिला कंपनी की वैक्सीन है जिसने अब तक दूसरे चरण का ट्रायल पूरा कर लिया है और तीसरे चरण के ट्रायल शुरू करने की तैयारी में है। इसके अलावा हैदराबाद के बायोलॉजिकल ई की वैक्सीन का दूसरे चरण का ट्रायल भी जल्द शुरू हो जाएगा।

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