कुंभ: धर्म की राह पर क्यों आये किन्नर ?

'यह हमारे ऐतिहासिक समय है। हम जूना अखाड़ा के साथ सभी शाही स्नान में भाग लेंगे। हम यहां समाज को अपने प्रति जागरूक करने आये हैं। हमारे कुंभ में आने से यह फायदा होगा कि लोगों की सोच हमारे प्रति बदलेगी'

Mithilesh DharMithilesh Dhar   18 Jan 2019 7:30 AM GMT

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  • देश का 14वां अखाड़ा बना किन्नर अखाड़ा
  • पहली बार लिया शाही स्नान में भाग
  • इस अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं

प्रयागराज। कुंभ में इस बार में बहुत कुछ नया हो रहा है। इसी क्रम में पहली बार किन्नर अखाड़े ने शाही स्नान में भाग लिया। ऐसे में सवाल यह भी उठता कि क्या इन सबसे किन्नरों के प्रति लोगों की सोच बदलेगी, इस बारे में गांव कनेक्शन ने किन्नर अखाड़ा के पीठाधीश्वर पवित्रा माई से विशेष बातचीत की।

"बहुत अच्छा लग रहा है कि जूना अखाड़ा के साथ हमने शाही स्नान में भाग लिया। ये बदलाव की कहानी है, हमारी बड़ी जीत है। आज कहीं न कहीं हमें धर्म में जगह मिली है, धर्म में तो हम पहले भी थे लेकिन किन्नर शब्द के कारण हमें हमेशा कलंकित समझा गया। हम सनातन धर्म का ही हिस्सा हैं और अपने इस वजूद को जिंदा रखने के लिए हमने कि किन्नर अखाड़ा बनाया।" पवित्रा माई ने कहा।

अपनी बात जारी रखते हुए पवित्रा आगे कहती हैं " यह हमारे ऐतिहासिक समय है। हम जूना अखाड़ा के साथ सभी शाही स्नान में भाग लेंगे। हम यहां समाज को अपने प्रति जागरूक करने आये हैं। हमारे कुंभ में आने से यह फायदा होगा कि लोगों की सोच हमारे प्रति बदलेगी, सम्मान बढ़ेगा और भेदभाव की भावना मिटेगी, क्योंकि सनातन धर्म ऐसा है जो हर मुश्किल, हर कठिनाई को दूर करता है। धर्म है तो सारी दुनिया है।"

शाही स्नान में किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी

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किन्नर अखाड़े में अभी 100 से ज्यादा किन्नर हैं। आने वाले शाही स्नान में इनकी संख्या और बढ़ेगी। इस अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी हैं जो पहले से ही लिंग भेदभाव के खिलाफ काम कर रही हैं। इसके अलावा इस अखाड़े में उत्तर भारत की महामंडलेश्वर भवानी मां, अन्तर्राष्ट्रीय महामंडलेश्वर डॉक्टर राज राजेश्वरी, जयपुर की मंडलेश्वर पुष्पा माई, दिल्ली की महामंडलेश्वर कामिनी कोहली और पश्चिम बंगाल की मंडलेश्वर गायत्री माई, महाराष्ट्र नासिक की मंडलेश्वर संजना माई समेत देशभर के किन्नर कुंभ में जुट रहे हैं।

2014 में जब सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड जेंडर दिया तभी किन्नर अखाड़े के बारे में चर्चा शुरू हो गयी थी। 2015 में हुए उज्जैन कुंभ में किन्नर अखाड़े का गठन किया गया। इसी साल अक्टूबर में इसका रजिस्ट्रेशन भी किया गया।

क्या किन्नरों के प्रति लोगों की सोच बदल रही है, इस सवाल के जवाब में पवित्रा ने कहा " कहीं न कहीं किन्नर के प्रति 99 फीसदी तक भेदभाव कम हुआ है। हम अपनी आनी वाली पीढ़ी के लिए कुछ करना चाहते हैं, हम यह नहीं चाहते कि जिल दिक्कतों का सामना हमने किया, वो आने वाली पीढ़ी भी करे, इसीलिए हमने धर्म का दामन थामा ताकि वे अपने सनातन परंपरा से जुड़े रहें।"

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" हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हमारे प्रति लोगों का नजरिया बदले। हमें बुरी नजर न से देख जाए। हम पूरी तरह से समाज का हो जाना चाहते हैं और हमें लगता है कि कुंभ में आने से हमारी बातें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी, लोग हमें समझेंगे।" पवित्रा ने आगे कहा।


  

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