भारतीय आइस हॉकी में पहचान बना रहीं ये लद्दाखी महिलाएं 

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भारतीय आइस हॉकी में पहचान बना रहीं ये लद्दाखी महिलाएं लद्दाख में हॉकी खेलतीं महिलाएं।

डेचेन डोलकर

लद्दाख। भारतीय सेना द्वारा जम्मू कश्मीर के क्षेत्र लद्दाख में पहली बार आइस हॉकी को देश की स्वतंत्रता के बाद पेश किया गया, यहां के युवा प्राकृतिक रूप से जमे हुए तालाब पर केवल ढाई महीने ही हॉकी खेल पाते हैं क्योंकि लेह में आइस हॉकी खेलने के लिए कोई विशेष स्थान नहीं है। आइस हॉकी भारत के दूसरे हिस्सों में लोकप्रिय नहीं है क्योंकि आइस हॉकी के लिए न केवल विशाल स्थान की आवश्यकता है बल्कि बर्फ की भी आवश्यकता होती है। लेकिन यह लद्दाख के दोनों जिलों यानी लेह और कारगिल में काफी लोकप्रिय है।

लद्दाख के युवा लड़के और लड़कियों को यह अवसर प्राप्त है कि आइस हॉकी में वह भारत का प्रतिनिधित्व दुनिया भर में करते हैं। लड़कों की टीम ने छह बार एशिया कप में भाग लिया है। इस साल यह टीम कुवैत गई थी, जहां उसने रजत पदक हासिल किया। जबकि महिला आइस हॉकी टीम ने पिछले साल और इस साल को मिलाकर मात्र दो बार भाग लिया। इस साल महिला टीम एशिया कप में भाग लेने के लिए थाईलैंड गई थी।

लद्दाख में आइस हॉकी के मौसम में LWSC (लद्दाख वेनटर स्पोट्रस क्लब) टूर्नामेंट का आयोजन किया, जिसमें लड़कों की बहुत सारी टीमों ने भाग लिया, लेकिन लड़कियों की केवल चार टीमों ने ही भाग लिया, जो इस बात का संकेत है कि लड़कियों को इस खेल के लिए कम प्रेरित किया जाता है। परिणामस्वरुप जो लड़कियां आइस हॉकी खेलती हैं उन्होंने मिलकर संगठन LWIHF (लद्दाख वुमेन्स आइस हॉकी फाउंडेशन) को बनाया है।

इसलिए मैंने यह फैसला किया है कि महिलाओं की हॉकी फाउंडेशन टीम की सभी सदस्य और अध्यक्ष से बात करके इस संगठन के उद्देश्य को पाठकों के सामने लाया जाना चाहिए।

इस संबध में संगठन की 27 वर्षीय अध्यक्ष कुनज़ेस आंगमो हॉकी को लेकर बताती हैं ,"मैंने 2003 से आइस हॉकी खेलना शुरू किया और कुछ तकनीक सीखने के बाद कड़ी मेहनत की, मुझे दो देशों में जाकर स्पीड स्केटिंग प्रतियोगिता के अंतर्गत हॉकी खेलने का मौका मिला। उनमें से एक पोलैंड और दूसरा पड़ोसी देश चीन था। जब उनसे फाउंडेशन की स्थापना के संबंध में पूछा गया तो वे कहती हैं, "वर्ष 2015 में -उक्त फाउंडेशन की स्थापना की गई थी। ताकि महिला आइस हॉकी खिलाड़ियों को सम्मान के साथ आगे बढ़ने का अवसर दिया जाए।

सर्दियों में एल-डब्लू-आई-एच-एफ बच्चों के लिए कोचिंग कैंप का भी आयोजन करती है ताकि भविष्य के लिए लड़के और लड़कियों की अच्छी आइस हॉकी टीम तैयार हो सकें। हम ध्यान रखते हैं कि भविष्य के खिलाड़ियों को उत्तम और आधुनिक सुविधाएं दे सकें। "

इस साल तीन कोचिंग कैंप का आयोजन किया गया था, फाउंडेशन की कोशिश है कि अपना ध्यान आइस हॉकी के अलावा अन्य खेल पर भी लगाए इसलिए इस वर्ष फाउंडेशन ने रोलर स्केटिंग कैंप का भी आयोजन किया था और अपने सदस्यों को वॉली बॉल और अन्य टूर्नामेंटों में भी भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

भारतीय आइस हॉकी टीम की 23 वर्षीय सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी ज़ेवांग चुस्किट अपने खेल की शुरुआत के बारे में बताते हुए कहती हैं "जब मैं छोटी थी तो अक्सर नदी पर तिब्बत के सैनिकों और लद्दाख स्काउट को आपस में आइस हॉकी खेलते देखा करती थी। मैंने पहली बार ग्यारह साल की उम्र में आइस हॉकी टीम का जूता पहना था, मेरा पहला टूर्नामेंट नेशनल वीमेन चैंपियनशिप था। मैंने “मोस्ट वैलयुबल प्लेयर " और " सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी” जैसे कई पुरुस्कार भी प्राप्त किए हैं। इस साल मुझे थाईलैंड एशिया कप के दौरान “मोस्ट वैलयुबल प्लेयर” पुरस्कार मिला था।"

महिला टीमें कम हैं।

वर्ष 2017 में आयोजित होने वाले एशिया कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली टीम इंडिया के सदस्य के रूप में भाग लेने वाली 16 वर्षीय ताशी डोलकर एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं। उन्होंने अपनी क्षमता मलेशिया के खिलाफ एक मैच में दो गोल करके साबित किया जिसमें भारत ने जीत हासिल की। उसी मैच में, ताशी को “प्लेयर ऑफ दी मैच” से सम्मानित किया गया। ताशी ने आइस हॉकी 2011 से खेलना शुरू किया है वह अपने खेल को लेकर बताती हैं, "मैंने आइस हॉकी अपने दोस्तों से सीखा है, जब मैं SECMOL (स्टुडेन्ट एजुकेशनल एण्ड कलचरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख) की एक वर्ष की छात्रा थी, उसी समय मुझे अपने खेल को विकसित करने का एक मौका मिला। उस समय सेकमौल में विदेश से आए वालेन्टेयर के रुप में एक कोच ने सर्दियों के महीने में हमें आइस हॉकी का प्रशिक्षण दिया। मगर परेशानी तब हुई जब मुझे आइस हॉकी उपकरण की आवश्यकता थी, क्योंकि हमारे लिए आइस हॉकी के महंगे सामान खरीदना असंभव था, लेकिन किस्मत से बाहरी देशों से आए छह पर्यटकों का सेकमौल आना हुआ और उन्होंने आइस हॉकी के लिए काफी अच्छे और उपयोगी उपकरण दान में दिए।

वह आगे कहती हैं, " मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण और खुशी का दिन वह था जब मैंने एशिया कप के मैच में मलेशिया के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन करते हुए भारत को जीत दिलाई। आइस हॉकी के खेल ने मुझे मौका दिया कि दूसरे देशों के लोगों से मिल सकूं, मेरी हार्दिक इच्छा है कि अधिक से अधिक महिलाएं लेह में खेलकूद का हिस्सा बनें, खासकर हमारे गांव डोमखरसे से । मुझे आशा है कि आइस हॉकी हमारे देश में क्रिकेट की तरह लोकप्रिय होगी। "

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भारतीय महिला आइस हॉकी टीम के कप्तान रीनचीन डोलमा अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहती हैं , "सचमुच एक समय हो गया जब मैंने पहली बार वर्ष 2001 में आइस हॉकी टीम का जूता पहना था, मेरे पिता आइस हॉकी खेलते थे उन्होंने ही मुझे आइस हॉकी खेलना सिखाया और यह भी व्यावहारिक रूप से बताया कि आइस हॉकी खेलने के लिए विशेष जूते पर काबू कैसे पाया जाता है। कुछ दिनों बाद विशेषज्ञ प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए LWSC (लद्दाख वेनटर स्पोट्र्स क्लब) द्वारा लगाए गए प्रशिक्षण शिविर में भी भाग लिया। मैंने 2003 में अपना पहला टूर्नामेंट जीता था, वह एक स्थानीय टूर्नामेंट था जबकि मेरी पहली राष्ट्रीय टूर्नामेंट साल 2005 में कारगिल में आयोजित हुई थी।”

भारतीय आइस हॉकी टीम के बारे में वह बताती हैं, " इस साल मार्च के महीने में आई-आई एच-एफ (आइस हॉकी चैलेंड कप ऑफ एशिया) के लिए हम लोग थाईलैंड गए थे, जहां सात देशों की टीमों ने भाग लिया था जिनमें सिंगापुर, मलेशिया, यूएन, थाईलैंड, न्यूजीलैंड, फ़िलिपींस और भारत शामिल थे। भारतीय टीम ने मलेशिया और फ़िलिपींस के खिलाफ जीत दर्ज की थी, हम सभी टीमों के खिलाफ जीत हासिल करना चाहते थे, लेकिन हमारे पास एक स्थायी कोच नहीं है। इस साल हमने किर्गिज़स्तान में केवल दो सप्ताह का प्रशिक्षण लिया था। हमारी टीम को पूरे साल अभ्यास करने का मौका नहीं मिल पाता है, क्योंकि बर्फ केवल दो ढाई महीने ही होती है इसका मतलब यह है कि हमारे राष्ट्रीय आइस हॉकी टीम को साल में तीस से चालीस दिन ही मिल पाते हैं, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है।”

लद्दाखी महिलाओं की टीम।

बतातें चलें की इस टीम का चयन आइस हॉकी एसोसेशन ऑफ इंडियाना राष्ट्रीय चैंपियनशिप के दौरान किया गया था, एक कप्तान होने के नाते, वह अच्छी तरह से जानती हैं कि टीम का नेतृत्व कैसे किया जाए। खिलाड़ी होने के नाते, वह यह भी समझती हैं कि एक सकारात्मक खेल कैसे प्रस्तुत किया जा सकता है और कैसे अपने देश को जीत दिलाई जा सकती है। निसंदेह बड़ी मात्रा में संसाधन न होने के बाद भी लद्दाखी महिलाओं के प्रदर्शन और उनके उत्साह में कहीं कोई कमी नज़र नही आती। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि आइस हॉकी में बेहतर और प्रदर्शन के लिए महिलाओं को अधिक से अधिक संसाधन उपलब्ध कराएं जाएं। (चरखा फीचर्स)

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