इस महिला चिकित्सक ने लोगों के सहयोग से स्वास्थ्य केंद्र का कर दिया कायाकल्प
गोरखपुर के बसंतपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्साधिकारी, चिकित्साधिकारियों के लिए नजीर हैं, यूपी में नंबर वन बनी बसंतपुर यूपीएचसी
Chandrakant Mishra 8 July 2019 8:45 AM GMT
लखनऊ। एक महिला चिकित्सक की मेहनत और लगन ने शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की तस्वीर बदल दी। आज यह शहरी स्वास्थ्य केंद्र पूरे प्रदेश में अव्वल है। स्थानीय मरीजों का सरकारी स्वास्थ्य सेवा के प्रति भरोसा बढ़ा, जिससे ओपीडी में मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद के बसंतपुर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) की प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. पल्लवी के जज्बे और जुनून के कारण इस शहरी स्वास्थ्य केंद्र ने पूरे प्रदेश में 83 अंकों के साथ कायाकल्प श्रेणी में पहला स्थान हासिल किया और अब नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्विसेज (एनक्वास) के मुकाबले में सूबे का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में लचर स्वास्थ्य सेवाएं, न डॉक्टर हैं न दवाएं
डॉक्टर पल्लवी श्रीवास्तव(26वर्ष) ने गाँव कनेक्शन को बताया, " वर्ष 2017 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद 18 अप्रैल 2018 को पहली बार गोरखपुर जनपद के बसंतपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र में बतौर प्रभारी चिकित्साधिकारी मेरी नियुक्ति हुई। जब मैंने यहां ज्वाइन किया, उस समय यहां की ओपीडी महज 30-35 मरीजों की थी। चूंकि यूपीएचसी वीरान जगह पर थी और भवन की स्थिति भी अच्छी नहीं थी लिहाजा वहां कोई मरीज आना नहीं चाहता था। यहां की चुनौतियों को मैंने स्वीकार किया। सुबह नौ बजे से शाम के पांच बजे तक मरीज रहें या न रहें, उन्होंने पूरा समय देना शुरू किया।"
ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर: "मैंने कभी इतने शव नहीं देखे, इतने लोगों को कभी बिलखते नहीं देखा"
" जब आशा व एएनएम के माध्यम से इलाके में लोगों तक जानकारी पहुंची कि एक महिला चिकित्सक यूपीएचसी पर आई हैं, तो धीरे-धीरे भीड़ बढ़ने लगी। महज तीन महीने के भीतर ओपीडी दोगुनी हो गई और यह संख्या 80 ओपीडी प्रतिदिन पहुंचने लगी। यूपीएचसी के स्टाफ ने इस भीड़ को बेहतरीन सेवा दिया और बखूबी संभाला। इसी बीच जून 2018 में यह यूपीएचसी आयुष्मान भारत जनआरोग्य योजना के तहत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर घोषित हो गयी। इस योजना के तहत आने के बाद पीएचसी के भवन के भी दिन बहुर गए। यहां की व्यवस्था और सुदृढ़ हुई। यह यूपीएचसी मई 2018 में ही ई-यूपीएचसी बन चुकी थी। यहां ओपीडी से लेकर लैब तक पेपरलेस वर्क होता है।" डॉक्टर पल्लवी ने आगे बताया।
बसंतपुर के रहने वाले श्याम नारायण(60वर्ष) ने बताया, " मुझे हाई ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन है। पहले इलाज के लिए या जिला अस्पताल जाना पड़ता था या मेडिकल कॉलेज। दोनों जगह जाने में बहुत समय लगता था। लंबी लाइन में लगने के बाद कहीं नंबर आता था। पूरा दिन इसी में बीत जाता था। पैसा भी बहुत खर्च होता था। जबसे नई डॉक्टर यहां आई हैं, यहीं पर इलाज और दवाई दोनों मिल जाती है। पूरे मोहल्ले के लोग अब यहीं इलाज कराने जाते हैं।"
गोरखपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी डा. श्रीकांत तिवारी ने बताया, " बसंतपुर यूपीएचसी की प्रभारी व वहां की टीम के प्रयासों से बंसतपुर यूपीएचसी को कायाकल्प में पूरे यूपी में पहला स्थान मिला है। यह यूपीएचसी नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्विसेज (एनक्वास) की प्रतिस्पर्धा के लिए चयनित सूबे की एक मात्र यूपीएचसी है। यह सब डॉक्टर पल्लवी और उनकी टीम की मेहनत का नतीजा है। "
- बसंतपुर यूपीएचसी पर शुगर, बीपी समेत कई प्रमुख बीमारियों की वह दवाएं भी निशुल्क उपलब्ध हैं जो प्राइवेट में मिलती हैं। इसके लिए डा. पल्लवी ने कई मौकों पर खुद स्टोर पहुंच कर इन दवाओं को स्क्रीन किया। अगर कोई दवा नहीं मिली तो उच्चाधिकारियों से अनुरोध कर इंतजाम करवाया।
- वह अपने यूपीएचसी के कर्मचारियों को लगातार प्रोत्साहित करती रहती हैं कि वे टीम भावना के साथ काम करें। डा. पल्लवी व उनकी टीम किसी भी ट्रेनिंग व इवेंट को नहीं छोड़ती है। यूपीएचसी परिसर की साफ-सफाई के लिए सभी लोग समर्पित रहते हैं।
- प्राइवेट अस्पताल की तर्ज पर डा. पल्लवी ने विभागीय उच्चाधिकारियों के मार्गदर्शन में फ्रंट डेस्क समेत अलग-अलग विंग को साज-सज्जा के साथ संचलित करवाया। उन्होंने यूपीएचसी से बाहर निकल कर 20-25 साफ-सफाई, बीमारियों के प्रति जागरूकता, किशोरी स्वच्छता सरीखे आउटसाइड कैंपेन चलवाए जिससे कम्युनिटी का जुड़ाव हुआ।
- डा. पल्लवी ने व्यक्तिगत प्रयास कर एक सम्मानित व्यापारी की मदद से मरीजों के लिये वाटर कूलर लगवा लिया है और वेटिंग कक्ष में इसी तरह एलईडी का भी इंतजाम करवाया।
नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्विसेज में यूपी की एक मात्र यूपीएचसी
ये भी पढ़ें: केजीएमयू के डॉक्टरों ने बेसहारा मरीज को दी नई जिंदगी, माता-पिता से भी मिलवाया
ई-यूपीएचसी और आयुष्मान भारत योजना के मानकों को डा. पल्लवी ने मेंटेन किया और धीरे-धीरे बसंतपुर स्वास्थ्य केंद्र की सूरत बदलने लगी। स्थिती यह हो गयी है कि यहां की ओपीडी कभी-कभी 100 की संख्या भी पार कर जाती है। एक बार तो यहां 135 की अधिकतम ओपीडी देखी गयी।
नवम्बर 2018 में ही डा. पल्लवी के सामने कायाकल्प अवार्ड की चुनौती आई जिसे उन्होंने स्वीकार किया। इस अवार्ड के लिए जिन सात मानकों का पालन करना था उनमें आउटसाइड बाउंड्रीज के महत्वपूर्ण मानक को उन्होंने दिन रात एक करके पूरा किया। इसके तहत आसपास के इलाकों में साफ-सफाई करवाया। यूपीएचसी कैंपस में हर्बल गार्डन लगवाया। पौधारोपण करवाए। स्कूली बच्चों को स्वच्छता के बारे में जानकारी दी।
ये भी पढ़ें: सोचने-समझने की क्षमता खत्म कर देती है यह बीमारी, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
डा. पल्लवी ने बताया, " कायाकल्प अवार्ड के लिए उनको सीएमओ डा. श्रीकांत तिवारी, एसीएमओ डा. आईवी विश्वकर्मा के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) से जुड़े सभी संबंधित अधिकारियों मार्गदर्शन व बसंतपुर के स्टाफ का पूरा सहयोग मिला। हर एक सुझाव को सकारात्मक तरीके से स्वीकार किया और उस पर अमल किया। नतीजतन बसंतपुर को प्रदेश में सबसे ज्यादा अंक मिले और वह टाप की यूपीएचसी बन सकी।"
येे भी पढ़ें: गोरखपुर कैम्पियरगंज की सीएचसी क्यों है पूरे उत्तर प्रदेश में नंबर वन, जानिए
More Stories