लखीमपुर खीरी में 8 मौतों के बाद किसानों और सरकार का संघर्ष उबाल पर; बयान से शुरू हुई कहानी खूनी दंगल में बदली

संघर्ष के इस अध्याय की कहानी प्रत्यक्षतौर पर एक बयान से शुरू हुई थी। केंद्रीय मंत्री को आंदोलनकारी किसानों ने एक काले झंडे दिखाए थे, जिसके बाद केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ने एक बयान दिया, किसान संगठनों ने फिर उसका विरोध शुरु किया और हालात यहां तक पहुंच गए
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तिकुनिया (लखीमपुर खीरी,  उत्तर प्रदेश) एक राजनीतिक बयान और फिर उसके विरोध से शुरू हुआ मनमुटाव उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में राजनीतिक दंगल में बदल रहा है। 3 अक्टूबर को यहाँ हुई आठ मौतों के बाद चुनाव की ओर बढ़ रहे उत्तर प्रदेश में किसान राजनीति में एक नया उबाल आया है।

लखीमपुर खीरी में हेलिपैड के पास किसानों के प्रदर्शन के बाद 3 अक्टूबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा “टेनी” के बेटे की गाड़ी के नीचे कुचल गए चार किसानों की घटनास्थल पर या अस्पताल में मौत हो गयी। इसके बाद उग्र भीड़ के सदस्यों ने गाड़ी में मौजूद तीन भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों और ड्राइवर को सड़क के किनारे लाठियों से पीट पीट कर मार डाला। किसानों का आरोप है मंत्री का बेटा फायरिंग करते हुए अपने कुछ साथियों के साथ फरार हो गया।

किसानों का आरोप है कि गाड़ियों के काफ़िले की अगुवाई केंद्रीय मंत्री का बेटा कर रहा था और उसी की गाड़ी के नीचे किसानों को कुचल दिया गया। मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने माना कि गाड़ी उनकी थी लेकिन ये दावा किया कि उनका बेटा घटना स्थल पर मौजूद नहीं था। उन्होंने कहा कि किसानों के प्रदर्शन में कुछ अराजक और हिंसा भड़काने वाले लोग शामिल थे।

3 अक्टूबर की हिंसा के बाद रात में बारिश होती रही, लेकिन अब भी किसानों का प्रदर्शन जारी है।

किसान नेता राकेश टिकैत कुछ ही घंटों में अपने साथियों के साथ लखीमपुर पहुँच गए। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत समेत दस किसानों, मृतक किसानों के परिजनों के साथ घटना स्थल पर अपनी बैठक की, फिर उसमे लखीमपुर के जिलाधिकारी और एसएसपी भी शामिल हुए। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने कहा की पुलिस कह रही है हमने एफआईआर दर्ज की है जो हमने उसकी कॉपी मांगी है, उसी के बाद ही आगे बात की जाएगी।

“हमारी मांग है कि मंत्री को बर्खास्त किया जाए, मंत्री के बेटे को गिरफ्तार किया जाए और मंत्री को मुख्य साजिशकर्ता मानते हुए 120बी के तहत कार्यवाही की जाए और मृतक किसानों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए और न्याय दिया जाए। तब तक न तो शवों का अंतिम संस्कार किया जाएगा और न ही पोस्टमार्टम होगा, “उन्होंने कहा।

राकेश टिकैत समेत की नेताओं ने मौके पर डेरा डाल दिया है। हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं और ड्राइवर की मौतों को उन्होंने “आत्मरक्षा” बताया। “बाकी लोग जो मारे गए हैं वो आत्मरक्षा में मारे गए हैं, क्योंकि हमलावर यहां आ गए थे।” उन्होंने कहा कि उनके मंत्री रहते जांच ठीक से कैसे होगी

कांग्रेस पार्टी की नेता प्रियंका गांधी गाड़ी से लखीमपुर की ओर रवाना हुईं और उन्हें जब बीच रास्ते में रोका गया तो वे पैदल ही सड़क पर चल दीं। सोशल मीडिया पर कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो से ये स्पष्ट नहीं था कि वे कितनी दूर पैदल चलीं। एक और वीडियो में दिखाया गया कि उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया है। उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से इस पर कोई बयान अभी उपलब्ध नहीं है। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करके कहा: “जनपद लखीमपुर खीरी में घटित हुई घटना अत्यंत दुःखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। उत्तर प्रदेश सरकार इस घटना के कारणों की तह में जाएगी तथा घटना में शामिल तत्वों को बेनकाब करेगी व दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करेगी।”

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को किसान यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के आने के लिए बनाए गए हैलीपैड पर उन्हें काले झंडे दिखाने के लिए किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे थे, जहां पर हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 4 किसान और 3 बीजेपी कार्यकर्ता और एक पत्रकार शामिल है। किसानों के मौत के बाद से किसान संगठनों का प्रदर्शन और बढ़ गया है।

संघर्ष के इस अध्याय की कहानी 10 दिन पहले मंत्री के एक बयान से शुरू हुई। केंदीय मंत्री 10 दिन पहले एक जनसभा को संबोधित करने जा रहे थे, जहां कुछ किसान नेताओं ने उन्हें काले झंडे दिखाए थे। जिसके बाद उन्होंने मंच से विवादित बयान दिया था।

3 अक्तूबर को मंत्री के गांव में उनके पिता जी की स्मृति में दंगल था, जिसमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य शामिल हो रहे थे, उनका लिए मंत्री के गांव से 3 किलोमीटर पहले हेलीपेड बनाया था था,जहां किसानों से सुबह से कब्जा कर लिया था।

मंत्री ने उस वक्त अपने बयान में कहा था “सामना करो आके हम आपको सुधार देंगे, दो मिनट नहीं लगेगा,” अजय कुमार मिश्रा एक सार्वजनिक सभा में कहते हुए एक वायरल वीडियो में देखे गए।

घटनास्थल के करीब में गुरु नानक देव एकेडमी है,जहां सैकड़ों किसान जहां है। इसी के एक कमरे ने किसान नेताओं की प्रशासन के साथ बैठक चल रही है। बाहर किसान उनके फैसले का इंतज़ार कर रहे हैं। इसी में एक हैं, अखिलेश वर्मा (33 साल) ने गाँव कनेक्शन से कहा: “मंत्री जी 10 दिन से लगातार गलत बयानबाजी कर रहे थे, संयुक्त किसान मोर्चा के कॉल पर।”

अखिलेश वर्मा यहाँ से 10 किलोमीटर दूर बिलरायां गांव के रहने वाले हैं।

“हम लोग केशव प्रसाद मौर्य को काला झंडा दिखाने वाले थे, प्रदर्शन के चलते केशव जी हेलिप्सिड पर नहीं आए और मेन कुश्ती नहीं हो पाई। इस लिए उनका ईगो हर्ट हो गया। इनको दिखाना था कि हमारा विरोध करोगे तो हम कुछ कर सकते हैं। ये तीन गाडियां से आए, लहराते हुए, फायरिंग हुई। जिसमे 1 गाड़ी निकल गई। दो गाडियां फैंस गई। हमारे चालीस किसान घायल हुए हैं।” गाँव कनेक्शन बताए गए घटनाक्रम की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पाया है।

“हमने टेनी (अजय कुमार मिश्रा) को ही वोट दिया था, क्योंकि हमारी इनसे कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है,” सर पर काली पगड़ी बांधे हुए होशियार सिंह (50 वर्ष) ने कहा। होशियार सिंह का घर केंद्रीय ग्रह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के गांव के पास ही है।

“इनके पिता के नाम पर हर साल 2 अक्टूबर को दंगल होता है, हर साल हम दंगल देखने जाते हैं, क्योंकि हमारी इनसे कोई जाति दुश्मनी नहीं है, हमारी लड़ाई तो केंद्र सरकार और कृषि कानूनों को लेकर है। लेकिन टेनी ने किसानों को ललकारा इसलिए हम विरोध कर रहे थे, हर बार दंगल में कोई न कोई नेता या मंत्री आता है, इस बार केशव प्रसाद मौर्या आया आ रहे हैं, जिनके विरोध में हम प्रदर्शन कर रहे थे।”

लखीमपुर में किसानों की मौत के विरोध में लखीमपुर ही नहीं, शाहजहांपुर, पीलीभीत, सीतापुर जैसे जिलों के साथ ही उत्तराखंड के किसान भी शामिल हो गए। इसके साथ ही राजनीतिक दलों के लोग हमलावर हैं।

रिपोर्टिंग सहयोग/कैमरा: मोहम्मद सलमान

(इस खबर को गाँव कनेक्शन वेबसाइट पर लगातार अपडेट किया जा रहा है)


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