आखिर बरेली में क्यों बनाया गया 22 फिट लंबा सेनेटरी पैड?

पैडबैंक से जुड़े युवा महिलाओं और किशोरियों को जागरूक कर उन्हें मुफ्त में सैनेटरी पैड देते हैं और इसके इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करते हैं

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   7 Jan 2019 1:29 PM GMT

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आखिर बरेली में क्यों बनाया गया 22 फिट लंबा सेनेटरी पैड?

लखनऊ। सेनेटरी पैड को लेकर लोगों झिझक और जागरूकता फैलाने वाली संस्था पैडबैंक के नाम एक और किर्तीमान जुड़ गया है। 23 दिसंबर 2018 को रामपुर गार्डन स्थित गाँधी उद्यान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका विषय पैड ऑफ़ यूनिटी था। इसी विषय को ध्यान रखते हुए पैडबैंक ने एक बड़ा पैड बनाया जिसकी लम्बाई 22 फिट और चौड़ाई 12 फिट रखी थी।

कार्यक्रम को उद्देश्य लोगों में पीरियड्स के प्रति जागरूकता और पीरियड्स के समय पैड्स को इस्तेमाल करना था। पैडबैंक ने यूपी बुक ऑफ रिकॉर्ड में जगह बनाई। शनिवार को बरेली के मेयर उमेश गौतम ने पैडबैंक के संस्थापक चिंत्राश को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।

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चित्रांश ने बताया, हमारा मकसद लोगों में जागरूकता फैलाना है। हम लोगों ने १७२० पैक्ड पैड से 22 फिट लंबा और १२ फिर चौड़ा पैड बनाया गया था।

फिल्म पैडमैन देखकर बरेली निवासी एक छात्र चित्रांश सक्सेना इतने प्रभावित हुए की उन्होंने पैड बैंक खोल डाली। इस पैड बैंक में दस युवा छात्र-छात्राएं हैं जो इस अनोखे बैंक का काम संभालते हैं। ये सभी छात्र-छात्राएं अलग-अलग कॉलेज से पढ़ाई कर रहे हैं जो गाँव और शहर के आसपास घरों में जाकर महिलाओं और किशोरियों को जागरूक कर उन्हें मुफ्त में सैनेटरी पैड देते हैं और इसके इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करते हैं।


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चित्रांश ने बताया, " जागरुकता और अशिक्षा के कारण आज भी गांव और झुग्गी झोपड़ी में रहनी वाली किशोरियां और महिलाएं माहवारी के दौरान गंदे कपड़े का प्रयोग करती हैं। उन्हें नहीं पता कि यह उनकी सेहत के लिए कितना खतरनाक है। इसके साथ ही कई महिलाओं के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वे पैड खरीद सकें।


पैड बैँक में काम करने वाली नितिका सिंह गौर ने बताया," हम लोग ग्रामीण इलाकों की, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली गरीब और बीमारियां झेल रही महिलाओं को तलाश करके उन्हें सेनेटरी पैड बांटने का काम करते हैं। हम लोग स्कूलों में भी जाते हैं, क्योंकि वहां एक साथ बहुत सी बच्चियां मिल जाती हैं। बच्चियों को समझाना बहुत आसान होता है। जब हम लोग गांव में गए तो पता चला कि बहुत से ग्रामीण इलाकों की महिलाएं सेनेटरी पैड के बारे में जानती ही नहीं थी। वहां महिलाएं पीरियड के वक्त सिर्फ कपड़ा ही इस्तेमाल करती थीं। हम चाहते हैं कि महिलाओं में पीरियड से संबंधित बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़े। हमारे इस काम से बहुत सी महिलाएं बेहद खुश हैं।

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