"मां गंगा" के संरक्षण के लिए प्राण देने वाले संत का आखिरी संदेश

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मां गंगा के संरक्षण के लिए प्राण देने वाले संत का आखिरी संदेश

गंगा के संरक्षण के लिए 112 दिनों से अनशन कर रहे 86 वर्ष के प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने अपने निधन से ठीक पहले अपनी सेहत के बारे में एक प्रेस रिलीज लिखकर अपने समर्थकों और बाकी जनता को जानकारी दी। हाथ से लिखी उनकी यह चिट्ठी उनका आखिरी संदेश है जिसमें उन्होंने बार-बार गंगा के संरक्षण और उसके प्रति अपने समर्पण का जिक्र किया है। प्रोफेसर अग्रवाल को स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के नाम से भी जाना जाता था। पढ़िए उनकी चिट्ठी का हिंदी अनुवाद:


प्रेस रिलीज

एम्स ऋषिकेश, 11 अक्टूबर 2018, 6:45 सुबह

कल (10 अक्टूबर, 2018) लगभग दोपहर 1 बजे हरिद्वार प्रशासन ने मुझे मातृ सदन से जबर्दस्ती उठाकर एम्स ऋषिकेश में भर्ती करा दिया। एम्स के डॉक्टरों ने मां गंगाजी के संरक्षण और कायाकल्प के मेरे अभियान और मेरी तपस्या के प्रति पूरा समर्थन जताया है। लेकिन, चिकित्सीय इलाज के एक पेशेवर संस्थान के तौर पर उन्होंने कहा कि केवल तीन विकल्प हैं:

1. नाक या मुंह के जरिए जबर्दस्ती खाना खिलाया जाए

2. जबर्दस्ती ड्रिप लगाई जाए

3. अस्पताल में भर्ती ही न कराया जाए

विस्तृत जांच और परीक्षण के बाद पता चला कि मेरे शरीर में पोटैशियम तत्व की गंभीर कमी है (न्यूनतम 3.5 होना चाहिए और यह केवल 1.7 है) और शरीर में निर्जलीकरण की शुरूआत हो गई है। अनुरोध करने पर, मैं मुंह के जरिए और ड्रिप के माध्यम से रोजाना 500 मिलीलीटर पोटैशियम लेने पर राजी हो गया हूं। एम्स ने मेरे लक्ष्य और मेरी तपस्या के प्रति जो समर्थन दिखाया है उसके लिए मैं ह्रदय से आभारी हूं।

प्रोफेसर जीडी अग्रवाल

यह भी देखें: गंगा के लिए अनशन पर बैठे प्रो जीडी अग्रवाल का निधन, बुधवार को सरकार ने अस्पताल में कराया था भर्ती

यह भी देखें: सरकार गंगा के संरक्षण के लिये 20000 करोड़ मंजूर कर चुकी है, फिर भी बैठना पड़ा था एक साधु को ११२ दिन अनशन पर

       

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