तनाव भरे माहौल में सरकार और किसानों के बीच 11वें दौर की वार्ता बेनतीजा खत्म

किसान संगठऩों ने साफ कहा है कि जब तक तीन कानून की वापसी नहीं, उनकी घर वापसी नहीं होगी। जबकि सरकार कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित और साझा कमेटी बनाने की बात कर रही थी,

Arvind ShuklaArvind Shukla   22 Jan 2021 5:30 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
किसान संगठन कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े हैं जबकि सरकार संसोधन और स्थगन की बात कर रही है।सरकार और 40 से ज्यादा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच आज 11वें दौर की वार्ता होगी। फोटो- अमित पांडे, गांव कनेक्शन

कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच तनाव भरे माहौल में 11वें दौर की वार्ता बनेतीजा खत्म हो गई। अगली बैठक के लिए कोई तारीख भी तय नहीं की गई है। सरकार ने किसान संगठनों (यूनियन) से कहा कि उन्होंने अपनी तरफ से सभी संभावित विकल्प किसानों को दिए हैं। अब किसान संगठनों को अपने स्तर पर कृषि कानूनों के डेढ़ साल तक निलंबित रखने पर चर्चा करनी चाहिए। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के किसान संगठनों ने कहा- सरकार एक और बैठक के लिए तैयार है अगर किसान संगठन कृषि कानूनों के डेढ़ साल निलंबित रखने के प्रस्ताव पर चर्चा को तैयार हों।

संबंधित खबर-किसान आंदोलन: 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा, सरकार ने अगले दौर की बैठक के लिए रखी शर्त

तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन को आज 59 दिन हो गए हैं। किसान 27 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर जमे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, कड़ाके की सर्दी में करीब 2 महीने में अलग-अलग जगहों पर 147 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। सरकार के साथ शुक्रवार (22 जनवरी) को 11वें दौर की वार्ता है। इससे पहले हुई वार्ता में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने डेढ़ साल तक कृषि कानूनों को स्थगित रखने का प्रस्ताव दिया था। विज्ञान भवन से निकलने के बाद किसान नेताओं ने कहा कि वो सरकार के प्रस्ताव पर विचार करेंगे। किसान संगठनों की बृहस्पितवार को संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बॉर्डर पर कई घंटे की मैराथन बैठक के बाद किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

किसान आंदोलन के 22 जनवरी को 59 दिन हो गए हैं। और ये सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता है।

संबंधित खबर- संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव ठुकराया

बैठक के बाद डॉ. दर्शनपाल ने कहा, "किसानों के बीच सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। लेकिन आम सहमति इस बात पर बनी कि जब तक कानून रद्द नहीं होंगे हम वापस नहीं जाएंगे। एमएमपी की लड़ाई पूरे देश के लिए हैं इसलिए हम वापस नहीं जाएंगे। किसान संगठनों के बीच ये भी तय हुआ है कि किसान 26 जनवरी को दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर परेड करेंगे। पंजाब और हरियाणा से हजारों ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं। ये परेड़ पूरी दुनिया देखेगी।"

डॉ. दर्शनपाल ने कहा, "खेती को कॉरपोरेट से बचाने के लिए पूरे देश के किसानों के हित के लिए कृषि कानूनों की वापसी जरुरी है। जब तक कानून वापसी नहीं, घर वापसी नहीं होगी।"

आज सरकार के साथ बैठक के बाद पंजाब की किसान यूनियन किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रदेश महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार किसी तरह हमारा आंदोलन खत्म कराना चाहती थी, इसलिए कृषि कानून स्थगन का प्रस्ताव दिया था लेकिन हम लोगों ने उसे सर्व सम्मति के अस्वीकार कर दिया है। आज की बैठक में कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी के मुद्दे पर ही चर्चा होगी।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत

वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर धरने पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, " किसानों की बैठक में सबने मिलकर निर्णय लिया है कि कानून वापसी होने तक किसान यहां जमें रहेंगे। सरकार के साथ शुक्रवार की वार्ता में एमएसपी के अहम मुद्दे पर चर्चा होगी। हम चाहते हैं कि पूरे देश के किसानों को एमएसपी का फायदा मिले।"

राकेश टिकैत ने अपने फेसबुक पर पेज लाइव के दौरान 26 जनवरी की परेड को लेकर कहा कि किसानों ने आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड के लिए दिल्ली पुलिस से इजाज़त मांगी है। बृहस्पतिवार को इस पर वार्ता हुई है, शुक्रवार को फिर इस पर वार्ता होगी।"

राकेश टिकैत ने देश भर के किसानों से कहा कि वो दिल्ली ट्रैक्टर परेड में शामिल होने आएं और नहीं आ सकते तो अपने जिले, तहसील में ट्रैक्टर रैली निकालकर किसानों को अपना समर्थन दें।

बैठक के बाद किसान स्वराज के संयोजक और संयुक्त किसान मोर्चा की सात सद्सीय कोर कमेटी के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा, "26 जनवरी को ये देश एक नया इतिहास बनते हुए देखेगा। 26 जनवरी को अलग-अलग राज्यों की झांकियां देखकर हमारा सीना चौड़ा हो जाता है लेकिन इस बार किसान परेड होगी। लोगों को लग रहा है हम लोग गणतंत्र दिवस पर विरोध करेंगे लेकिन गणतंत्र दिवस में गण की प्रतिष्ठा का पर्व मनाएंगे हम लोग। क्योंकि इतने सालों में गण दब गए हैं और तंत्र हावी होगा। 70 साल में पहली बार ऐसा होगा कि एक तरफ जवान परेड कर रहे होंगे दूसरी तारफ किसान परेड़ कर रहेंगे।"

ये भी देखें- किसान आंदोलन: 26 जनवरी को 'ट्रैक्टर मार्च' के लिए तैयार हैं किसान, तस्वीरों में देखिए

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.