पॉश कॉलोनी में बिना खेत सुजाता नफड़े उगाती हैं जैविक सब्जियां और फल

Astha SinghAstha Singh   30 Oct 2018 7:06 AM GMT

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पॉश कॉलोनी में बिना खेत सुजाता नफड़े उगाती हैं जैविक सब्जियां और फलकिचन गार्डन की प्रतीकात्मक तस्वीर।

पुणे (महाराष्ट्र)। खेती किसानी के लिए पर्याप्त खेत या जमीन होना आवश्यक होता हैं, लेकिन महाराष्ट्र की एक महिला ऐसी भी है जिसके पास न तो तो खेत है और न ही जमीन फिर भी वह सब्जियों और फलों का उत्पादन करती है।

महाराष्ट्र की सुजाता नफड़े (40 वर्ष) अपने परिवार को खिलाने के लिए पर्याप्त जैविक सब्जियां और फलों का उत्पादन करती है और जिसका उपयोग वह नहीं कर पाती उसको बेच देती हैं। पुणे में जैविक खेती की एक लहर चली है, जिसमें लोग सिर्फ ऐसे ही सब्जी या फल खरीद रहें हैं जो बिना किसी रसायनिक खाद या कीटनाशक से उगाई गई हो।

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जैविक तरीके से करती हैं फल-सब्जियों की खेती

सुजाता नफड़े जैविक तरीके से पर्याप्त मात्रा में सब्जियां और फल उगा लेती हैं जो उनकी 14 सदस्यीय परिवार के लिए पर्याप्त पड़ता है और जो बच जाता है, वो उसे बेच देती हैं। इसके अलावा ऐसे किसान जो जैविक तरीके से खेती करते हैं वो उन्हें उत्साही उपभोक्ताओं से भी जोड़ती हैं।

एक शहरी महिला हैं सुजाता

सुजाता कोई किसान नहीं हैं और उनके पास खेती लायक ज़मीन भी नहीं है। वो एक शहरी महिला हैं और पुणे में एक पॉश सोसाइटी में रहती हैं। सुजाता अपने घर के पीछे बने 3300 स्क्वायर फीट के प्लाट पर बिना किसी रसायनिक तत्व का इस्तेमाल किए बगैर सब्जियों की खेती करती हैं।

अधिक पैदावार के लालच में हमें ज़बरदस्ती नहीं डालनी चाहिए खाद

सुजाता गाँव कनेक्शन से बातचीत के दौरान बताती हैं, "पौधों में अधिक पैदावार के लिए उनमें ज़बरदस्ती खाद नहीं डालनी चाहिए। उनमें प्राकृतिक तरीके से फल एवं फूल को उगने देना चाहिए। हमें इस बिंदु पर रुक जाना चाहिए जहां हम प्रकृति के साथ गलत कर रहें हैं और उसे बर्बाद कर रहे हैं। हमें संतुलन ढूँढने का प्रयास करना चाहिए कि कैसे प्रकृति की देखभाल करते हुए भी हमें लाभ मिल सकता है? मुझे लगता है कि इस पद्धति के साथ ही हमें स्थिरता मिलेगी।"

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सूखे पत्तों से बनाती हैं जैविक खाद

सुजाता बताती हैं, "पौधों पर शोषण करने से बचने के लिए, वो सिर्फ सूखे पत्तों से ही खाद बनाती हैं। पत्तों को पौधों के नीचे दबाके उन्हें मिट्टी से ढक देना चाहिए। वो फिर ज़मीन पर जीवामृत के घोल से छिड़काव करती हैं। जीवामृत गाय की खाद, गाय के मूत्र, गुड़, छाछ, और किसी भी तरह के आटे का मिश्रण होता है।"

पति ने दिया साथ

सुजाता अपने बचपन को याद करते हुए बताती हैं कि वो जब अकोला वाले घर में अपने पापा के साथ रहती थीं तो उनके साथ मिलकर बागवानी करती थीं। उनकी कृषि में स्नातक डिग्री भी है। वर्ष 2008 में, जब दुनिया भर में रसायनिक खादों से उपजी फसल बिकने लगी तब मैंने और मेरे पति जो की एक सॉफ्टवेर इंजीनियर हैं, ने जैविक खेती करने की ठानी। हालांकि सास थोड़ी सोच में पड़ गईं थी की किसी रासायनिक खाद के प्रयोग के बिना खेती कैसे हो पाएगी। तब हमनें अपने पीछे के खाली पड़ी जगह पर टमाटर, और कुछ फल और सब्जी उगानी शुरू की। और मैं सफल रही।

परिवार करता है मदद

सुजाता बताती हैं कि खेती करते हुए मुझे डेढ़ साल हो गए हैं। मेरा पूरा परिवार रोज़ एक घंटा मेरे प्लाट पर देता है और जिससे जो पाता है करता है। ज्यादा काम बढ़ता देख मैंने आकाश अंगरख को एक हेल्पर के तौर पर रख लिया है जो रोज़ का काम देखता है। उन्होंने बताया, "इस समय 50 तरह के सब्जी और फल के पौधे लगे हैं। घोसावली, भोपला, करली, करंद, कंघारा, आलू, अरबी, अदरक, हलद, कापूस, पपई, द्राक्ष, और ऐसे कई पौधे लगाए हैं।

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आंवले के एक पेड़ से 80 किलो मिला आंवला

सुजाता बताती हैं कि पिछले साल तो एक आंवला के पेड़ ने एक ही मौसम में 80 किलोग्राम के आंवले दिए थे। सिर्फ चार बेल पर टिकी स्पंज लौकी के पौधे ने जून महीने से अब तक 81 किग्रा लौकी मिल चुकी है| कुल मिलकर अब तक वह 100 तरह के फल फूल सब्जी उगा चुकी हैं। उनका मकसद एक बीज बैंक बनाने का है।

सोशल साइट्स के माध्यम से बेचती है प्रोडक्ट

वो मौसमी फलों जैसे आंवला, नींबू से जूस तैयार करके उसे साल भर के लिए संरक्षित कर लेती हैं। वो स्ट्रॉबेरी और मलबरी और ब्रोकली जैसे पौधे भी लगाई हैं। इसके अलावा वह मूंगफली, नारियल, कपूर और तिल का शुद्ध तेल भी निकालती हैं। जो फल या जूस ज्यादा निकल जाता हैं वो उसे बेच भी देती हैं। सारा बेचने का काम वो एक वाटसप्प और फेसबुक जैसे सोशल प्लेटफार्म पर बने ग्रुप के माध्यम से करती हैं।

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शुरुआती दिनों में सब्जियों के मौसम का नहीं था ज्ञान

अपनी खेती के शुरूआती दिनों को याद करते हुए हँसते हुए बताती हैं कि, " जब हम लोग खेती करना सीख रहे थे तो हमें यही नही पता था की मेथी किस मौसम में उगाई जाती है। हमने कई किलो मेथी सीखने में बर्बाद कर दी। अंत में हमने जाना की मेथी सर्दी के मौसम में उगाई जाती है। मैंने इन्हीं सब गलतियों से सीखते हुए प्राकृतिक तरीके से खेती करना सीखा।

लोगों के लिए संदेश

वह कहती हैं कि लोग सूखे पत्ते जलाए नहीं बल्कि उससे खाद बनाए| इस जैविक खाद से लोग शुद्ध सब्जी और फल प्राप्त कर सकते हैं|

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