राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुझे पिता की तरह रास्ता दिखाया: मोदी

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुझे पिता की तरह रास्ता दिखाया: मोदी‘प्रेसीडेंट प्रणब मुखर्जी-अ स्टेट्समैन’ नामक किताब के विमोचन के दौरान प्रणब मुखर्जी और नरेंद्र मोदी।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक किताब का लोकार्पण किया जिसमें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल से जुड़े चित्रों और लेखों का संकलन पेश किया गया है। इस मौके पर पीएम मोदी ने राष्ट्रपति मुखर्जी की जमकर तारीफ की। मोदी ने कहा, 'राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुझे पिता की तरह रास्ता दिखाया। मेरे जीवन का बड़ा सौभाग्य रहा कि मुझे प्रणब दादा की उंगली पकड़ कर दिल्ली की जिंदगी में स्वयं को सेट करने की सुविधा मिली। मेरा सौभाग्य है कि मैंने राष्ट्रपति मुखर्जी के साथ काम किया। वहीं राष्ट्रपति ने इस बात का खुलासा किया कि उनके और पीएम के बीच कुछ वैचारिक मतभेद रहे हैं, लेकिन दोनों ने अपने-अपने मतभेद अपने पास रखे और सरकार के कामकाज को प्रभावित नहीं होने दिया।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के रिश्ते को प्रभावित नहीं किया: प्रणब मुखर्जी

प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में अपने जीवन पर 'प्रेसीडेंट प्रणब मुखर्जी-अ स्टेट्समैन' नामक किताब के विमोचन के अवसर पर कहा, “हमने मिलकर काम किया। निश्चित रूप से वैचारिक मतभेद रहे हैं। लेकिन हमने उन मतभेदों को अपने पास ही रखा। मैंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के रिश्ते को प्रभावित नहीं किया।” इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'इस किताब में मौजूद तस्वीरों में हम अपने राष्ट्रपति के मानवीय पहलू भी देखने को मिलेंगे और हमें उन पर गर्व होगा।'

मुखर्जी के जीवन पर आधारित किताब का मोदी ने किया विमोचन

13वें राष्ट्रपति के रूप में मुखर्जी के जीवन की चित्रमय यात्रा वाली इस किताब का प्रकाशन स्टेटमैन समूह ने किया है, जिसका विमोचन मोदी ने किया और उसकी पहली प्रति राष्ट्रपति को भेंट की। वित्तमंत्री अरुण जेटली की तरफ देखते हुए मुखर्जी ने कहा कि वह खास मुद्दों के बारे में जानकारी के लिए जेटली को अक्सर फोन किया करते थे, और जेटली एक सक्षम और प्रभावी वकील की तरह हमेशा उन्हें समझाते थे।

मुखर्जी ने कहा, “मुझे नहीं पता कि मैंने कितनी बार वित्तमंत्री को फोन कर के परेशान किया और उनसे चर्चा की कि ऐसा क्यों और ऐसा क्यों नहीं? लेकिन उन्होंने मुझे एक सक्षम और प्रभावी वकील की तरह समझाया और मैं उनके तर्कोँ से सहमत हुआ। सरकार का कामकाज कभी प्रभावित नहीं हुआ, कभी रुका नहीं और कभी लटका नहीं।”

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