दो दशक बाद उत्तर प्रदेश में हो सकता है टिड्डियों का हमला, हाई अलर्ट जारी
Divendra Singh 24 May 2020 2:20 PM GMT
लखनऊ। कोरोना संकट में किसानों की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं, राजस्थान और मध्य प्रदेश में फसलों को नुकसान पहुंचाने के बाद अब उत्तर प्रदेश के कई जिलों में टिड्डियां पहुंच रही हैं। कृषि विशेषज्ञों अनुसार तो दो दशक बाद उत्तर प्रदेश में टिड्डियों का हमला होगा। कृषि विभाग ने पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी किया है।
मध्य प्रदेश से झांसी के रास्ते के रास्ते टिड्डियों का झुंड प्रवेश कर गया है। अब जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, इटावा व कानपुर देहात जैसे जिलों में हाईअलर्ट घोषित कर दिया है। इसके साथ ही दूसरे दल के जयपुर से आगे बढ़कर आगरा व मथुरा आदि जिलों में पहुंचने की आशंका है। टिड्डी दल के खतरे को देखते हुए सहारनपुर, शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर व बागपत आदि जिलों में भी सतर्कता बढ़ा दी गयी है।
टिड्डी नियंत्रण संगठन (एलडब्ल्यूओ) के उपनिदेशक डॉ. केएल गुर्जर बताते हैं, "अभी तक राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में टिड्डियों का प्रकोप रहा है, यहां पर पाकिस्तान से टिड्डियां हर साल ही आती हैं। लेकिन इस बार मध्य प्रदेश तक टिड्डियां पहुंच गईं हैं, जोकि आगे उत्तर प्रदेश तक भी पहुंचने की सूचना है। इसके पहले 1993 में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में टिड्डियों ने नुकसान पहुंचाया, तब से इतने साल बाद ये यहां दिखीं हैं।"
राजस्थान, मध्य प्रदेश और पंजाब/हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में टिड्डियों के प्रकोप और उत्तर प्रदेश आक्रमण के संभावना को देखते हुए, कृषि विभाग उत्तर प्रदेश ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों और कृषि और दूसरे विभागों के साथ बैठक की है।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही बताते हैं, "जिन जिलों में राजस्थान और मध्य प्रदेश से टिड्डियों के आने की संभावना है, वहां के जिलाधिकारी और कृषि अधिकारियों के साथ वीडियो कांसफ्रेसिंग के माध्यम से बैठक कर के सचेत कर दिया गया है। सभी को निर्देश दिया गया है कि वो पहले से तैयार रहें और किसानों तक भी बात पहुंचाएं। जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि दवाइयों के छिड़काव में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। लोग पहले से सचेत रहेंगे तभी नुकसान से बच पाएंगे।"
उप कृषि निदेशक(फसल सुरक्षा) वीके सिंह बताते हैं, "आज झांसी में एक टिड्डी दल की आने की संभावना है, जो अभी उड़ रहे हैं और कहां रुक सकती हैं, ये अभी पता लगाया जा रहा है। एक दूसरा दल जो दौसा (राजस्थान) से उड़ा है जो करौली (राजस्थान) तक पहुंचा है। हवा के दिशा के अनुसार इसके मुरैना और ग्वालियर तक पहुंचने की संभावना है। झांसी, जालौन, हमीरपुर जैसे बुंदेलखंड के जिलों के अधिकारियों को सतर्क रहने और टिड्डे के दल को मारने का हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश जारी किया गया है।"
टिड्डी दल के प्रकोप की सूचना ग्राम प्रधान, लेखपाल, कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों और ग्राम पंचायत अधिकारी के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने का निर्देश दिया गया है।
टिड्डी दल को भगाने के लिए थालियां, ढोल-नगाड़े, लाउडस्पीकर आदि से शोरगुल किया जा सकता है।
#LocustAttack in RLBCAU, Jhansi
— Dr. Sanjeev #संजीवनी #stay@🏡 (@sanjeevagri) May 22, 2020
too deadly for crop... It finishes every thing that lies in its path.. pic.twitter.com/Joh4klh6Ib
बचने के लिए किसान यह उपाय करें
40 मिली लीटर नीम के तेल को 10 ग्राम कपडे़ धोने वाले पाउडर के साथ 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़कने से टिड्डी फसल को नहीं खाती हैं।
टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए खेत में 100 किलो धान की भूसी को 0.5 किलो फेनीट्रोथियोन और पांच किलो गुड के साथ मिलाकर खेत में डाल दें, इसके जहर से टिड्डी मर जाता है।
क्लोरोपायेरीफास 20 फीसदी ईसी 1200 एमएल या डेल्टामेथ्रीन 2.8 प्रतिशत ईसी, 625 एमएल या मैलाथियान 50 फीसदी ईसी 1850 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
टिड्डी दल हमेशा बलुई मिट्टी में अंडे देता है, ऐसे में किसान खेतों की गहरी जुताई कर पानी भर दें। टिड्डी के अंडे खुद ही नष्ट हो जाएंगे।
किसान क्लोरोपायेरीफास 20 फीसदी या लेमडासाइहैलोथ्रीन पांच फीसदी का छिड़काव कर सकते हैं।
फसलों को खराब करने वाला कीट (टिड्डी) उत्तर प्रदेश के झांसी में बडी संख्या में देखा जा रहा है, ये खेतों पर हमला कर सकते हैं। पहले ये पंजाब, राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश के उज्जैन में देखे गए। अब झाँसी में बडी संख्या में दिखाई दे रहे है जिससे किसानों में दहशत है
— आकाशवाणी समाचार (@AIRNewsHindi) May 22, 2020
रिपोर्ट-विकास कुमार pic.twitter.com/NkhYzUtiFw
किसान इन नंबरों पर कर सकते संपर्क
टिड्डी नियंत्रण कक्ष भी बना दिया गया है। किसान प्रदेश स्तर पर विजय कुमार सिंह, उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) 9450020578 और विनय सिंह, सहायक निदेशक (कृषि रक्षा) से 9452487879 से संपर्क कर सकते हैं। साथ ही केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र लखनऊ के कंट्रोल रूम नंबर 0522-2732063 पर भी जानकारी कर सकते हैं।
पिछली बार 1993 के बाद सबसे बड़ा टिड्डी हमला था
भारत सरकार के टिड्डी नियंत्रण एवं अनुसंधान विभाग के अनुसार, टिड्डियों का अब तक का सबसे बड़ा हमला 1993 में हुआ था। इस साल करीब 172 बार टिड्डियों के झुंडों ने फसलों और वनस्पति को नुकसान पहुंचाया। विभाग ने 1993 में करीब 3.10 लाख हेक्टेयर भूमि का उपचारित किया था। इससे पहले 1964 से लेकर 1989 तक अलग-अलग साल में 270 बार टिड्डी दलों ने भारत का रुख किया था। इसमें 1968 में 167 बार टिड्डी दल राजस्थान और गुजरात में आए थे। मई 2019 से फरवरी 2020 तक दो हजार से ज्यादा टिड्डी स्वार्म भारत में घुसे थे। 11 अप्रैल से अब तक 8 स्वार्म आ चुके हैं। हालांकि इस बार अब तक टिड्डियों को आना जारी है इसीलिए स्वार्म की संख्या कितनी पहुंचेगी इसकी कोई सही आंकलन नहीं किया गया है।
भुखमरी की कगार तक पहुंचा सकती हैं टिड्डियां
टिड्डी हमेशा से इंसानों के लिए अभिशाप की तरह ही रही हैं। लाखों की संख्या में एक दल में रहने के कारण इनके खाने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है। कई हेक्टेयर फसलों को टिड्डी दल एक दिन में ही खत्म कर देते हैं। औसतन टिड्डियों का एक छोटा झुंड एक दिन में दस हाथियों, 25 ऊंट या 2500 व्यक्तियों के बराबर खा सकता है। टिड्डी पत्ते, फूल, बीज, तने और उगते हुए पौधों को खाती है। टिड्डियों का प्रकोप कई साल तक भी रहता है। ज्यादा मात्रा में खाने के कारण टिड्डी पूरे फसल चक्र को ही बर्बाद कर देते हैं। जिसके कारण उत्पादन कम होता है और भुखमरी तक की स्थिति आ जाती है।
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