Locust Swarm Attack: तस्वीरों में देखिए कैसे कुछ ही देर में फसलों को बर्बाद कर देते हैं टिड्डी दल

Abhishek VermaAbhishek Verma   13 July 2020 7:25 AM GMT

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Locust Swarm Attack: तस्वीरों में देखिए कैसे कुछ ही देर में फसलों को बर्बाद कर देते हैं टिड्डी दल

टिड्डी दलों के हमले से भारत सहित कई देशों में फसलों को पहुंचा हुआ है। आने वाले कुछ दिनों में टिड्डियों की संख्या और भी बढ़ सकती है। तस्वीरों में देखिए किस तरह लाखों टिड्डियां कुछ ही देर में सब कुछ तबाह कर देती हैं।

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में थाली बजाकर टिड्डियों को भगाती महिला

कोरोना संकट में जब किसानों को पहले से रबी फसलों में नुकसान उठाना पड़ा है, ऊपर से अब खरीफ की फसलों में टिड्डियों के हमले से किसानों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। इस समय देश के कई राज्य टिड्डियों की चपेट में हैं।


खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपने तीन जुलाई के अपडेट में भारत को जुलाई में अलर्ट रहने को कहा है। दुनिया के कई देश टिड्डियों से जूझ रहे हैं। अफ्रीकी देश कीनिया में 70 साल में सबसे भीषण अटैक हुआ है, वहां फसलें और वनस्पतियां खराब होने से भुखमरी जैसे हालात हो रहे हैं। सोमालिया में राष्ट्रीय आपात घोषित किया जा चुका है तो पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी टिड्डियों को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया है।


भारत के अलावा दुनिया के कई देश इस वक्त टिड्डियों के हमलों की चपेट में हैं। हर मौसम में बारिश और दुनिया के सामने समस्या ये हैं कि अनुकूल मौसम के चलते टिड्डियों का प्रजनन काफी तेजी से होता है। अलग अलग साइक्लोन के चलते टिड्डियों के लिए यहां का मौसम अनकूल होता चला गया। पहले ये टिड्डियां राजस्थान और मध्यप्रदेश तक सीमित रहती थी लेकिन अब ये उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ तक पहुंचने लगी हैं।


रेगिस्ता‍नी टिड्डी के प्रकोप से प्रभावित क्षेत्र लगभग 30 मिलियन वर्ग किलोमीटर है, जिसमें लगभग 64 देशों का सम्पू्र्ण भाग या उनके कुछ भाग शामिल हैं। इनमें उत्तर पश्चिमी और पूर्वी अफ्रीकन देश, अरेबियन पेनिनसुला, दक्षिणी सोवियत रूस गणराज्य , ईरान, अफगानिस्तान और भारतीय उप-महाद्वीप देश शामिल हैं। टिड्डी प्रकोपमुक्त अवधि के दौरान जब टिड्डियां कम संख्या में होती हैं तब ये शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्र के बड़े भागों में पाई जाती हैं जोकि बाद में अटलांटिक सागर से उत्तर-पश्चिम भारत तक फैल जाती हैं। इस प्रकार ये 30 देशों में लगभग 16 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पाई जाती हैं।


भारत में साल 1926 से 31 के दौरान टिड्डियों के हमले में 10 करोड़ रुपए की फसल बर्बाद हुई थी। इसके बाद 1940 से 1946 और 1949 से 1955 के बीच भी टिड्डियों का हमला हुआ। इसमें दोनों बार 2-2 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। 1959 से 1962 के बीच टिड्डी दल ने 50 लाख रुपए की फसल तबाह की। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1962 के बाद टिड्डियों का कोई ऐसा हमला नहीं हुआ, जो लगातार तीन-चार साल तक चला। लेकिन, 1978 में 167 और 1993 में 172 झुंड ने हमला कर दिया था। इसमें 1978 में 2 लाख रुपए और 1993 में 7.18 लाख रुपए की फसल बर्बाद हो गई थी। 1993 के बाद भी 1998, 2002, 2005, 2007 और 2010 में भी टिड्डियों के हमले हुए थे, लेकिन ये बहुत छोटे थे।


बचने के लिए किसान यह उपाय करें: 40 मिली लीटर नीम के तेल को 10 ग्राम कपडे़ धोने वाले पाउडर के साथ 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़कने से टिड्डी फसल को नहीं खाती हैं। टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए खेत में 100 किलो धान की भूसी को 0.5 किलो फेनीट्रोथियोन और पांच किलो गुड के साथ मिलाकर खेत में डाल दें, इसके जहर से टिड्डी मर जाता है। क्लोरोपायेरीफास 20 फीसदी ईसी 1200 एमएल या डेल्टामेथ्रीन 2.8 प्रतिशत ईसी, 625 एमएल या मैलाथियान 50 फीसदी ईसी 1850 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। टिड्डी दल हमेशा बलुई मिट्टी में अंडे देता है, ऐसे में किसान खेतों की गहरी जुताई कर पानी भर दें। टिड्डी के अंडे खुद ही नष्ट हो जाएंगे। किसान क्लोरोपायेरीफास 20 फीसदी या लेमडासाइहैलोथ्रीन पांच फीसदी का छिड़काव कर सकते हैं।

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