किसानों के विरोध के बीच लोकसभा में पास हुए कृषि से जुड़े बिल, प्रधानमंत्री ने दिया भरोसा- MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी
गाँव कनेक्शन 17 Sep 2020 5:28 PM GMT
देशभर में जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच लोकसभा में कृषि से जुड़े तीनों बिल पास हो गये। अब ये बिल राज्यसभा में जायेंगे। लोकसभा में इस बिल का कांग्रेस, लेफ्ट और डीएमके ने तो विरोध किया ही, भाजपा की सहयोगी पार्टी अकाली दल ने भी विरोध किया। वहीं बिल पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को भरोसा दिया कि MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी।
केंद्र सरकार ने संसद के मौजूदा मानसून सत्र के पहले ही दिन किसानों से संबंधित कृषिक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक 2020, कृषि (सशक्तिकरण और और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 पेश किया था जो गुरुवार को लोकसभा में पास हो गया। हालांकि बिल का विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया और वोटिंब से पहले वॉकआडट कर लिया।
गुरुवार को लोकसभा में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 लोक सभा से पारित हुआ, जबकि एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पहले ही लोकसभा में पारित हो चुका है।
कृषि क्षेत्र में बदलाव का ऐतिहासिक निर्णय...
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) September 17, 2020
लोकसभा में पारित हुए कृषि एवं किसान सम्बन्धी विधेयक...#AatmaNirbharKrishi #JaiKisan pic.twitter.com/uVHKFBQEEF
इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा। किसान को उत्पाद सीधे बेचने की आजादी मिलेगी और एमएसपी जारी रहेगी। टैक्स न लगने से किसान को ज्यादा दाम और लोगों को भी कम कीमत पर वस्तुएं मिलेंगी। कृषि में निजी निवेश बढ़ेगा और देश की अर्थव्यस्था मजबूत होगी।"
किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं। मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं। #JaiKisan
— Narendra Modi (@narendramodi) September 17, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन विधेयकों को ऐतिहासिक बताया और ट्वीट कर कहा, "लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयकों का पारित होना देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। ये विधेयक सही मायने में किसानों को बिचौलियों और तमाम अवरोधों से मुक्त करेंगे। किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं। मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं।"
"इस कृषि सुधार से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए नए-नए अवसर मिलेंगे, जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा। इससे हमारे कृषि क्षेत्र को जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा, वहीं अन्नदाता सशक्त होंगे।" प्रधानमंत्री अपने ट्वीट में कहते हैं।
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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट करके कहा है कि यह किसानों को बांधने वाला विधेयक नहीं बल्कि किसानों को स्वतंत्रता देने वाला विधेयक है. इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना सुनिश्चित होगा और उन्हें निजी निवेश एवं प्रौद्योगिकी भी सुलभ हो सकेगी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (#MSP ) को पहले की तरह बरकरार रखा जाएगा और राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेगी।#AatmaNirbharKrishi #JaiKisan
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) September 17, 2020
"किसान को उधारी का शिकार भी नहीं होना पड़ेगा, क्योंकि विधेयक में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि उन्हें कृषि उत्पादों की बिक्री के अधिकतम 3 दिनों के भीतर भुगतान मिलेगा। किसान अपनी पसंद से, अपनी मनचाही जगह पर, खुले बाजार में देश में कहीं भी कृषि उत्पाद बेच सकेंगे, जिससे उन्हें सही मूल्य मिलेगा और उनकी आय बढ़ेगी।" वे आगे कहते हैं।
हरसिमरत कौर बादल ने दिया इस्तीफा
कृषि से जुड़े इन तीनों अध्यादेशों का देशभर के किसान विरोध कर रहे हैं। गुरुवार को भी देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए। गुरुवार को बिल पेश होने से पहले नरेंद्र मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। वहीं अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने लोकसभा में कहा था कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल कृषि बिलों के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे देंगी, क्योंकि सरकार ने पंजाब और हरियाणा के किसानों के चौतरफा विरोध के बावजूद कृषि से जुड़े दो और बिल लोकसभा में पेश कर दिए।
I have resigned from Union Cabinet in protest against anti-farmer ordinances and legislation. Proud to stand with farmers as their daughter & sister.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
उन्होंने यह भी कहा कि शिरोमणि अकाली दल इस बिल का सख्त विरोध करता है। हर बिल जो देश के लिए हैं, देश के कुछ हिस्से उसे पसंद करते हैं। कुछ हिस्सों में उसका स्वागत नहीं होता है। किसानों को लेकर आए इन तीन बिलों से पंजाब के 20 लाख किसान प्रभावित होने जा रहे हैं। 30 हजार आढ़तिए, तीन लाख मंडी मजदूर और 20 लाख खेत मजदूर इससे प्रभावित होंगे।
कृषि से जुडे़ इन तीनों अध्यादेशों को जानिये
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश
इस अध्यादेश से किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेच सकते हैं। इसके जरिये सरकार एक देश, एक बाजार की बात कर रही है। किसान अपना उत्पाद खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकेंगे।
इस बारे में केंद्रीय कृष मंत्री नरेंद्र तोमर ने लोकसभा में पहले ही बताया था कि इससे किसान अपनी उपज की कीमत तय कर सकेंगे। वह जहां चाहेंगे अपनी उपज को बेच सकेंगे। इस विधेयक में पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रावधान किया गया है। जिसकी मदद से किसान के अधिकारों में इजाफा होगा और बाजार में प्रतियोगिता बढ़ेगी। किसान को उसकी फसल की गुणवत्ता के अनुसार मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता मिलेगी।
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन
पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाज़ारी करते थे, उसको रोकने के लिए Essential Commodity Act 1955 बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी।
अब नये विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को हटाने के लिए लाया गया है। इन वस्तुओं पर राष्ट्रीय आपदा या अकाल जैसी विशेष परिस्थितियों के अलावा स्टॉक की सीमा नहीं लगेगी। इस पर सरकार का मानना है कि अब देश में कृषि उत्पादों को लक्ष्य से कहीं ज्यादा उत्पादित किया जा रहा है। किसानों को कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, खाद्य प्रसंस्करण और निवेश की कमी के कारण बेहतर मूल्य नहीं मिल पाता है।
मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश
यह कदम फसल की बुवाई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है। इससे किसान का जोखिम कम होगा। दूसरे, खरीदार ढूंढने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा।
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