क्या सच में पेट्रोल-डीजल से नहीं अब कॉफी से चलेंगी बसें?
गाँव कनेक्शन 22 Nov 2017 12:29 PM GMT
लखनऊ। आपने अबतक डीजल, पेट्रोल, सीएनजी आदि ईंधन से बसें चलते हुए देखा या सुना होगा। लेकिन आज आपको एक खबर के बारे में बताने जा रहे है, जिसे जानकार आप चकित रह जाएंगे। अब कॉफी से निकाले गए कचरे के तेल का इस्तेमाल से लंदन में बसें चलाई गई।
लंदन परिवहन अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।कॉफी के कचरे से निकाले गए तेल को डीजल में मिलाकर जैव ईंधन तैयार किया गया है। इसका इस्तेमाल सार्वजनिक परिवहन के लिए ईंधन के रूप में किया जा रहा है. ऐसा अभी प्रयोग के तौर पर किया गया है। प्रयोग सफल रहा तो इस जैव ईंधन का इस्तेमाल धडल्ले से होने लगेगा।
लंदन परिवहन ने कॉफी से निकाले गए कचरे से निकलने वाले तेल से बसें चला रहा है। ये जानकारी खुद लंदन परिवहन के अधिकारियों ने दी है। कॉफी से जो तेल निकलता है उसे ब्लेंडिंग ऑयल कहते हैं।उस तेल को डीजल में मिलाकर बायोफ्यूल बनाया है। ये बायोफ्यूल लंदन की पब्लिक ट्रास्पोर्ट की बसों में इस्तेमाल हो रहा है।अगर ये एक्सपेरिमेंट सही रहा बायोफ्यूल का इस्तेमाल हर जगह हो सकेगा।
ये भी पढ़ें-अमोल ने बनाया स्वदेशी तकनीकी से एयरक्राफ्ट,नाम दिया ‘विक्टर टैंगो नरेंद्र मोदी देवेंद्र’
लंदन स्थित टेक्नोलॉजी फर्म बायो-बीन लिमिटेड का कहना है कि उन्होंने इतना बायोफ्यूल बनाया है जिससे एक बस को पूरा पावर मिल सकता है। ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन पेट्रोल का इस्तेमाल कम करके तेजी से बायोफ्यूल का इस्तेमाल कर रहा है। कंपनी की मानें तो लंदन के लोग कॉफी से एक साल में 2 लाख टन कचरा निकाल सकते हैं।आपको बताते चलें कि लंदन की 9,500 बसों में वेस्ट प्रोडक्ट से बनाए गए बायोफ्यूल से गाड़ियां चलती हैं।ऐसा पहली बार हुआ है जब कॉफी से बायोफ्यूल बनाया गया है।
कॉफी से बन रहा है B20 बायोफ्यूल
कंपनी के मुताबिक, कॉफी शॉप और फैक्ट्रीज से कॉफी में वेस्ट मटेरियल सबसे ज्यादा होता है।ऐसे में वो यहां से कचरा उठाते हैं और अपनी फैक्ट्री में ले जाकर ऑयल निकालते हैं। जिसके बाद B20 बायोफ्यूल से प्रोसेस किया जाता है।जिसके बाद बसे में इसका इस्तेमाल बिना किसी परिवर्तन के हो रहा है।
ये भी पढ़ें-भारत में पिछले तीन वर्षों में मछली उत्पादन में हुई 18.86 प्रतिशत की वृद्धि
More Stories