निराला, पंत और महादेवी के प्रिय रहे प्रख्यात साहित्यकार दूधनाथ सिंह नहीं रहे

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   12 Jan 2018 12:18 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
निराला, पंत और महादेवी के प्रिय रहे प्रख्यात साहित्यकार दूधनाथ सिंह नहीं रहेप्रसिद्ध कथाकार दूधनाथ सिंह।

लखनऊ/इलाहाबाद (आईएएनएस)। प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित प्रसिद्ध कथाकार दूधनाथ सिंह का गुरुवार देर रात निधन हो गया। कई दिनों से वह इलाहाबाद के फीनिक्स अस्पताल में भर्ती थे। दूधनाथ सिंह को बुधवार रात दिल का दौरा पड़ा था। उन्हें वेंटीलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था।

उनके परिजनों के अनुसार पिछले साल अक्तूबर माह में तकलीफ बढ़ने पर दूधनाथ सिंह को नई दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में दिखाया गया। जांच में प्रोस्टेट कैंसर की पुष्टि होने पर उनका वहीं इलाज चला। 26 दिसंबर को उन्हें इलाहाबाद लाया गया। दो-तीन दिन बाद तबीयत बिगड़ने पर उन्हें फीनिक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब से उनका वहीं इलाज चल रहा था।

दो साल पहले उनकी पत्नी निर्मला ठाकुर का निधन हो गया था। दूधनाथ सिंह अपने पीछे दो बेटे-बहू, बेटी-दामाद और नाती-पोतों से भरा परिवार छोड़ गए हैं।

देश से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

गौरतलब है कि मूल रूप से बलिया के रहने वाले दूधनाथ सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए किया और यहीं वह हिंदी के अध्यापक नियुक्त हुए। 1994 में सेवानिवृत्ति के बाद से लेखन और संगठन में निरंतर सक्रिय रहे। निराला, पंत और महादेवी के प्रिय रहे दूधनाथ सिंह का आखिरी कलाम 'लौट आओ घर' था। 'सपाट चेहरे वाला आदमी', 'यमगाथा', 'धर्मक्षेत्रे-कुरुक्षेत्रे' उनकी प्रसिद्ध रचनाएं थीं।

उन्हें उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान भारत भारती व मध्य प्रदेश सरकार के शिखर सम्मान मैथिलीशरण गुप्त से सम्मानित किया गया था।

ये उनकी कविताएं हैं...............

तुम्हारे दिन लौटेंगे बार-बार
मेरे नहीं । तुम देखोगी यह झूमती हरियाली
पेड़ों पर बरसती हवा की बौछार
यह राग-रंग तुम्हारे लिए होंगी चिन्ताएँ
अपरम्पार ख़ुशियों की उलझन तुम्हारे
लिए होगी थकावटें, जंगल का महावट
पुकारेगा तुम्हें बार-बार । फ़ुर्सत ढूँढ़ोगी जब-तब
थकी-हार तब तुम आओगी
पाओगी मुझे झुँझलाओगी
सो जाओगी कड़ियाँ गिनते-गिनते सौ बार ।

इसी तरह आएगी बहार
चौंकाते हुए तुम्हें
तुम्हारे दिन ।

सभी मनुष्य हैं ....

सभी मनुष्य हैं
सभी जीत सकते हैं
सभी हार नहीं सकते ।

सभी मनुष्य हैं
सभी सुखी हो सकते हैं
सभी दुखी नहीं हो सकते ।
सभी जानते हैं
दुख से कैसे बचा जा सकता है
कैसे सुख से बचें
सभी नहीं जानते ।

सभी मनुष्य हैं
सभी ज्ञानी हैं
बावरा कोई नहीं है
बावरे के बिना
संसार नहीं चलता ।

सभी मनुष्य हैं
सभी चुप नहीं रह सकते
सभी हाहाकार नहीं कर सकते
सभी मनुष्य हैं ।

सभी मनुष्य हैं
सभी मर सकते हैं
सभी मार नहीं सकते

सभी मनुष्य हैं
सभी अमर हो सकते हैं ।

फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

          

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.