मध्य प्रदेश: सतना में दो करोड़ रुपए से ज्यादा का गेहूं सड़ा, हजारों कुंतल सड़ने की कगार पर

मध्य प्रदेश लगातार सात बार कृषि कर्मण अवार्ड पाने वाला पहला राज्य है। यह अवार्ड दो बार गेंहू उत्पादन के कारण मिला। यही नहीं इसी साल कम समय में खरीदी का लक्ष्य हासिल करने का रिकॉर्ड भी बनाया, लेकिन एक सच यह भी है कि प्रदेश के जिलों में आसमान तले बने खरीदी केन्द्रों में गेहूं सड़ रहा है।

Sachin Tulsa tripathiSachin Tulsa tripathi   15 Jun 2020 8:15 AM GMT

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मध्य प्रदेश: सतना में दो करोड़ रुपए से ज्यादा का गेहूं सड़ा, हजारों कुंतल सड़ने की कगार परमध्य प्रदेश के कई जिलों में बाहर रखा गेहूं सड़ गया है।

  • समितियों द्वारा खरीदा गया 11 हजार कुंतल से ज्यादा गेंहू गोदामों ने रिजेक्ट कर दिया
  • रेडी टू टांसपोर्ट होने के बाद भी परिवहन कर्ता ने खरीदी केन्द्रों से नहीं उठाया था गेंहू

सतना (मध्य प्रदेश)। मध्य प्रदेश के सतना जिले में लापरवाही के कारण जहां दो लाख कुंतल से ज्यादा गेहूं सड़ने की कगार पर है तो वहीं दो करोड़ रुपए से ज्यादा का गेहूं सड़ने के कारण रिजेक्ट किया जा चुका है। गोदामों सड़े गेहूं को खरीदने से मना कर दिया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में इन्हीं गोदामों से अनाज की सप्लाई होती है।

मध्य प्रदेश के सतना जिले में कुल मिलाकर लगभग तीन लाख हेक्टयेर की जमीन खेती लायक है। इस रबी सीजन के लिए 1 लाख 80 हजार हेक्टेयर में गेंहू उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था। इस लक्ष्य को पाने में जिला सफल रहा। कुल उत्पादित गेंहू का एक हिस्सा सरकार ने मार्कफेड (मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित) के माध्यम से खरीद लिया है। इसके लिए 82 खरीद केंद्र भी बनाये गये। उपार्जन केन्द्रों (खरीद कंद्रों) ने पांच जून तक 31 लाख 85 हजार 121.29 मिटिक टन गेंहू की खरीदी की है। इस अनाज के भंडारण के लिए कई गोदाम बने हुए है लेकिन खुले आसमान के नीचे संचालित 32 केन्द्रों पर गेहूं सड़ा है।

सड़े गेहूं की मात्रा (संभावित) दो लाख 9 हजार 3 सौ 18 कुंतल (20 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा) आंकी गई है। वजह बारिश बनी लेकिन जो अनाज भीग कर सड़ गया वह रेडी टू ट्रांसपोर्ट था यानि कि उठाव के लिए तैयार था पर परिवहनकर्ता ने चावल को प्रदेश के बाहर ले जाने में ज्यादा रुचि दिखाई। जिसके चलते गेंहू बारिश में भीग गया, जबकि मार्कफेड का नियम यह कहता है कि रेडी टू ट्रांसपोर्ट रखे अनाज का भंडारण 72 घंटे के अंदर होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता तो संबंधित परिवहनकर्ता पर कार्रवाई होनी चाहिए इसके लिए जिला विपणन अधिकारी को सक्षम अधिकार दिए गए हैं।

प्रशासनिक अधिकारी दौरा करते रहे फिर भी बोरियों में रखा गेहूं सड़ गया। अब तो बोरियों में रखे गेहूं अंकुरित होने लगा है।

खरीदकेंद्रों की जानकारी, जहां गेहूं खराब होने की आशंका व्यक्त की गई है।

खरीदी केन्द्रों से जो जानकारी आई है उसमें सर्वाधिक वसुधा में 22,786 कुंतल गेहूं सड़ने की आशंका जताई गई है। इसके अलावा शेरगंज-रेउरा फार्म में 20,546, बकिया बैलो में 17,096, धौरहरा में 16,447, बती में 12555.94, आशीर्वाद वेयर हाउस भटनवारा में 10,705.5, गुडुहरू में 10,560, पड़रौत में 10,086.50, बरमेन्द्र वेयर हाउस में 8,451, पतौरा वेयर हाउस में 8,168, कुलगढ़ी में 8,101, धौरहरा में 7,984, मलगांव में 7,300, भाजीखेरा शिवराजपुर 6,269, चोरमारी में 4,750, जर्नादनपुर में 3,227, कुआं में 2,280, बदेरा में 2,000, पिपरी में 1,718, बर्ती अमरपाटन में 1,500, सोनवारी में 800, बठिया में 700, रौंड में 648, मढ़ीकला में 480, भैंसवार में 110, कोटा कोडर और सुरदहा कला में 100-100, जसो में 70, अमकुई और दुरेहा करतहा में 50-50 तथा लटागांव में 20 कुंतल गेहूं सड़ने की आशंका जताई गई है। इस साल लॉकडाउन की वजह से 15 अप्रैल से खरीदी शुरू की गई थी। महज 50 दिनों से भी कम समय में केन्द्रों में रिकॉर्डतोड़ खरीदी हुई। नतीजा यह रहा कि खरीदी केन्द्रों में रखरखाव की व्यवस्था का अभाव रहा जिससे बारिश में गेहूं भीग गया।

गुणवत्ता पर सवाल, लाखों का गेहूं रिजेक्ट

एक तरफ जहां किसानों के खून-पसीने से सींचा गया गेहूं प्रशासकीय अनदेखी के कारण सड़ गया। वहीं समितियों ने आंख मूंद कर खरीदी की। नतीजा यह निकला कि गोदाम में पहुंचते ही गेहूं को रिजेक्ट कर दिया गया, हालांकि अनाज अभी गोदामों में ही रखा हुआ है। तकरीबन 11,280.9 कुंतल गेहूं खराब निकल गया। प्रदेश गेहूं की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 1,925 रुपए प्रति कुंतल है। इस हिसाब से देखें तो रिजेक्ट हुए गेहूं की कीमत लगभग 2 करोड़ 71 लाख रुपए से ज्यादा है जिसकी भरपाई सरकार ने कर दी है, लेकिन यही अनाज अगर पीडीएस की दुकानों में पहुंचा तो हश्र क्या होगा यह अभी से नहीं बताया जा सकता।

अब अगर कहीं संभावित सड़ा दो लाख कुंतल से ज्यादा गेहूं पूरी तरह से रिजेक्ट कर दिया जाता है तो होने वाले नुकसान का आप अनुमान लगा सकते हैं।

पांच जून को हुई बारिश में भीगता गेहूं

वैसे जिले के उचेहरा खरीदी केन्द्र में सर्वाधिक 1,965 कुंतल गुणवत्ताहीन गेहूं खरीदा गया। यहां चार खरीदी केन्द्र बनाए गए थे। इसके अलावा बकिया बैलो का 1,557.89, मगराज का 997.92, बैरहना और उपज मंडी कोठी का 927, बर्ती का 862.44, रामस्थान का 641.72, जैतवारा मझगवां का 590, सागौनी हटवा का 559.94, बैरहना बिरसिंहपुर मंडी का 370, बेला.झिन्ना का 346.51, कोटर और डिलौरा का 300.300, जर्नादनपुर का 297.79, मनकीसर का 280, त्यौंधरी का 246.68, अबेर.बिहरा का 228.98 तथा रामगढ़ ताला का 40 कुंतल गेहूं गुणवत्ता हीन पाया गया।

यह भी पढ़ें- मध्य प्रदेश: सतना में खुले आसमान के नीचे रखा लगभग तीन लाख कुंतल गेहूं भीगा

इस मामले पर मार्कफेड के जिला विपणन अधिकारी आनंद पाड़ेय बताते हैं, "अभी कितना नुकसान हुआ है, इसका सही आंकड़ा नहीं है मेरे पास। हम अभी इसकी जानकारी जुटा रहे हैं। रही बात तो कार्रवाई की तो हमने नोटिस जारी किया है।"

परिवहन माफिया सक्रिय?

इस पूरे मामले पर 31 साल से किसानों की हित में लड़ाई लड़ रहे त्रिभुवन प्रसाद पांडेय कहते हैं, "परिवहन में तो माफिया काम करता है, इन्हे ऐसी क्यों पड़ी रहती है कि रीवा का सतना, सतना का पन्ना, पन्ना का नागौद परिवहन कराया जाता है। यह इसलिए कि कमाई होती रहे। सरकार या सिस्टम ऐसा क्यों नहीं कर लेती की नागौद का वहीं की गोदाम में भंडारण किया जाय। पर इसका विरोध कौन करे। अंग्रेजों के जमाने से ज्यादा इस समय लुटाई चल रही है किसान हाशिए पर है। सरकार और सिस्टम से लड़ने के लिए जो यूनियन या संघ बने हुए है उनमें भी पूंजीपतियों का संक्रमण लग गया है। ऐसे में किसान का भला कैसे हो सकता है।"


प्रदेश में वर्ष 2013-14 में 63 लाख 53 हजार मी. टन, वर्ष 2014-15 में 72 लाख 1 हजार मी. टन, वर्ष 2015-16 में 73 लाख 10 हजार मी. टन, वर्ष 2016-17 में 39 लाख 91 हजार मी. टन, वर्ष 2017-18 में 67 लाख 25 हजार मी. टन, वर्ष 2018-19 में 73 लाख 16 हजार मी. टन तथा वर्ष 2019-20 में 73 लाख 69 हजार मी. टन गेहूं का समर्थन मूल्य पर खरीदा गया। इन वर्षों में गेहूं की खरीद 50 दिन की गइ जबकि इस वर्ष एक महीने की खरीदी हुई।

जिले में इस वर्ष 1 जून से 14 जून 2020 तक 92.8 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। अधीक्षक भू-अभिलेख सतना से मिली जानकारी के अनुसार जिले की सतना (रघुराजनगर) तहसील में 206.7 मिमी, सोहावल (रघुराजनगर) में 76.5 मिमी, बरौंधा (मझगवां) में 64 मिमी, बिरसिंहपुर में 84 मिमी, रामपुर बघेलान में 137 मिमी, नागौद में 120.1 मिमी, जसो (नागौद) में 125 मिमी, उचेहरा में 86 मिमी, मैहर में 43.3 मिमी, अमरपाटन में 118 मिमी तथा रामनगर तहसील में 121 मिमी औसत वर्षा अब तक दर्ज की जा चुकी है। जिले की औसत सामान्य वर्षा 1039.7 मिमी है।

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