मध्य प्रदेश : रेलवे को 50 साल बाद आई याद, ग्रामीणों को जमीन खाली करने के लिए भेजी नोटिस

दो हजार की आबादी वाले मध्य प्रदेश के कैमा उन्मूलन गाँव में आदिवासी बस्ती में रहने वाले ग्रामीण मुश्किल में फंसे हैं। करीब 50 साल बाद रेलवे ने इस बस्ती के लोगों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस भेजा है।

Sachin Tulsa tripathiSachin Tulsa tripathi   24 Sep 2020 8:33 AM GMT

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मध्य प्रदेश : रेलवे को 50 साल बाद आई याद, ग्रामीणों को जमीन खाली करने के लिए भेजी नोटिसमध्य प्रदेश के सतना जिले के कैमा उन्मूलन गाँव में सैकड़ों ग्रामीणों को रेलवे से जमीन खाली करने की मिली है नोटिस। फोटो : सचिंत तुलसा त्रिपाठी

सतना (मध्य प्रदेश)। सालों पहले गाँव में जो मकान कच्चे थे, आज वहां ग्रामीणों के पक्के मकान बन गए हैं। सरकार की कई योजनाओं का लाभ भी ग्रामीणों को मिला, मगर रेलवे से अचानक जमीन खाली करने की नोटिस आने के बाद गाँव वालों के हाथ-पांव फूल गए हैं। रेलवे ने अपने जवाब में कहा है कि यह जमीन उनकी है और वर्तमान में सतना-रीवा दोहरीकरण का काम इस पर होना है।

मध्य प्रदेश के सतना जिले में यह गाँव है कैमा उन्मूलन गाँव, जहाँ इन दिनों ग्रामीण रेलवे से जमीन खाली करने की बार-बार नोटिस आने के बाद से मुश्किल में हैं। करीब 50 साल बाद अचानक रेलवे को जमीन की याद आ गई है। रेलवे ने अब गाँव वालों को 30 दिन में जमीन खाली करने की चेतावनी दी है।

नोटिस पर नोटिस मिलने के बाद अब गाँव वाले सरकारी अधिकारियों के पास चक्कर काट रहे हैं। उन्हें डर है कि रेलवे कभी भी उनका बसा-बसाया घर तोड़ देगा।

रेलवे से नोटिस मिलने के बाद मुश्किल में फंसे कैमा उन्मूलन गाँव में आदिवासी बस्ती में रहने वाले ग्रामीण। फोटो : गाँव कनेक्शन

गाँव में रेलवे से नोटिस पाने वालों में दुर्गेश चौधरी भी हैं। दुर्गेश (35 वर्ष) 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "गाँव में जो हमारी बस्ती है, वह 1970 में बसी थी, 50 साल से हम लोग रह रहे हैं, यहाँ रहते-रहते हम लोगों की दो-तीन पीढ़ियाँ खत्म को गईं, तो कैसे हम लोग अपना घर छोड़ दें, रेलवे हम लोगों को लगातार नोटिस जारी कर रहा है। बस्ती बसने के बाद रेलवे आया था तो बताइए कैसा अवैध कब्ज़ा हो गया?"

इसी गाँव के 72 वर्षीय राम सेवक चौधरी को भी नोटिस मिली है। सवाल उठाते हुए राम सेवक कहते हैं, "गाँव की ओर से सन 1984 में रेल लाइन निकली थी। तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका शिलान्यास भी किया था और उससे पहले 1970 से हम यहाँ रह भी रहे हैं। ऐसे में बताएं कि हम अवैध हैं या रेलवे?"

यह गाँव सतना जिले की सोहावल जनपद पंचायत में आता है जिसकी आबादी करीब 2000 है। इसी आबादी का एक हिस्सा उस आदिवासी बस्ती में रहता है जिसे उजाड़ने की लिए रेलवे नोटिस पर नोटिस दे रहा है। अब तक तीन बार नोटिस आ चुकी है और 18 सितंबर तक गाँव वालों को चेतावनी दी गई थी। अब इन ग्रामीणों को 30 दिन की और मोहलत दी गई है।

रेलवे से ग्रामीणों के नाम आई नोटिस।

नोटिस से तंग आकर आदिवासी बस्ती के सैकड़ों लोग कलेक्टरेट पहुंच गए और वहां नोटिस को लेकर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) रघुराजनगर प्रभाशंकर त्रिपाठी को ज्ञापन भी दिया और अपना दुखड़ा सुनाया।

कैमा उन्मूलन गाँव की 95 वर्षीय सुकवरिया 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं, "तब हम गरीब लोग इधर-उधर भटकते थे और हमें बसने के लिए यह जमीन दी गई थी। तब हमसे यह भी कहा गया था कि हम लोगों को कोई न यहां से उठाएगा न भगाएगा।"

आदिवासी बस्ती के ग्रामीणों ने जो ज्ञापन दिया है, उसके अनुसार 5 मई 1970 में तब के कलेक्टर और लालपुर के सरपंच रण बहादुर सिंह के मौखिक आदेश पर ग्राम कैमा की आराजी क्रमांक 122, 123 और 124 में बस्ती बसाई गई थी। इसके बाद वर्ष 1984 में सतना-रीवा रेल लाइन के शिलान्यास किया गया। वर्ष 1989 में रेल लाइन के बीच आ रहे छह घरों को जमीन के साथ-साथ मुआवजा भी दिया गया था। तब भी यह बस्ती बसी हुई थी।

इसी गाँव के 46 वर्षीय लाला चौधरी 'गांव कनेक्शन' से बताते हैं, 'अगर यह बस्ती रेलवे के जमीन पर बनी है तो वह हमें बेशक उजाड़ दे, नहीं तो आवास, नहीं तो जमीन प्लस मुआवजा दे। तभी हम यहां से हटेंगे वरना यहीं जान दे देंगे। हम भी भारत के ही निवासी हैं। सिर छिपाने की जगह तो चाहिए ही।"

नोटिस मिलने के बाद अधिकारियों के चक्कर काट रहे ग्रामीण । फोटो : गाँव कनेक्शन

मध्य प्रदेश शासन के भू-अभिलेख की आधिकारिक वेबसाइट एमपी लैंड रिकॉर्ड में कैमा उन्मूलन गाँव का डिजिटल नक्शा उपलब्ध नहीं है। जबकि आयुक्त, भू अभिलेख एवं बंदोबस्त मध्य प्रदेश के अनुसार आराजी क्रमांक 122 का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। इसके बटांक हैं जिसमें कुछ जमीन मध्य प्रदेश शासन के नाम तो कुछ व्यक्तिगत लोगों के नाम हैं।

आराजी क्रमांक 123 की 4.1240 हेक्टेयर जमीन का स्वामी मध्य प्रदेश शासन है। आराजी क्रमांक 124 का भी कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। इस आराजी का बटांक जरूर दर्ज किया गया है जिसमें 124/1 की 3.2200 हेक्टेयर और 124/2 की 0.4050 हेक्टेयर में भू स्वामी मध्य प्रदेश ही है। सवाल ये है कि आराजी क्रमांक 122 और 124 किसके नाम दर्ज है?

पश्चिम मध्य रेलवे सतना के सहायक मंडल अभियंता (उत्तर) राजेश पटेल द्वारा चार सितंबर 2020 को सूचनार्थ बतौर नोटिस जारी की गई जिसमें लिखा गया कि कैमा स्टेशन के सामने की भूमि में अवैध रूप से कब्जा करते हुए कच्चा मकान बना लिया गया है। सतना-रीवा लाइन का दोहरीकरण संबंधी कार्य किया जाना है। अतः रेलवे भूमि से 18 सितंबर 2020 तक अतिक्रमण हटा लें इसके बाद बल पूर्वक कब्ज़ा हटाया जाएगा। इसमें जो खर्च आएगा वह भी वहन करना पड़ेगा।

इस बस्ती में किया जाना है सतना-रीवा रेल दोहरीकरण का काम। फोटो : गाँव कनेक्शन

इस मामले में कैमा उन्मूलन गाँव की सरपंच रामलली 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं, "इनके लोगों के पास कोई दूसरी जमीन नहीं है। जो लोग 50 साल से रह रहे हैं वे कहाँ जायेंगे, इसलिए हम भी प्रयास कर रहे हैं कि इन्हें कहीं बसाया जाए। साथ में जमीन और मुआवजा भी दिया जाय, नहीं तो बना बनाया मकान।"

मुश्किल में फंसे ग्रामीण 16 सितंबर को कलेक्टर सतना के नाम का ज्ञापन बभी सौंपा और उनसे मदद की मांग की। इस मामले में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) रघुराजनगर पीएस त्रिपाठी बताते हैं, "इन गाँव वालों के लिए भूमि का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। आने वाले दिनों में आदेश किये जायेंगे।"

इस पूरे प्रकरण में पश्चिम मध्य रेलवे के सहायक मंडल अभियंता (उत्तर) राजेश पटेल 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "कैमा उन्मूलन गाँव की आदिवासी बस्ती रेलवे की जमीन पर बसी हुई है। इस समय सतना-रीवा रेल दोहरीकरण का काम प्रगति पर है। इसके अलावा कुछ और काम किये जाने हैं इसलिये अतिक्रमण हटाया जा रहा है। 194 बस्ती वालों को नोटिस दिया गया था और उन्हें 30 दिन की मोहलत दी गई है। इसके बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी।"

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