ग्राउंड रिपोर्ट: 'जब टमाटर, प्‍याज 4-5 रुपए किलो बिके थे तब मीडिया कहां थी'

Arvind ShuklaArvind Shukla   26 Sep 2019 1:44 PM GMT

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अरविंद शुक्ला / दिति बाजपेई

पिंपलगांव बसवंत (नासिक)। "टमाटर क्या भाव है? बारिश से कितना नुकसान हुआ? ये सब बाद की बात है। पहले ये बताओ मीडिया तब कहां था जब हमारा टमाटर और प्‍याज 4-5 रुपए किलो बिकता था। आज रेट थोड़ा अच्छा हुआ तो सब भाव पूछने आ गए।" नासिक की पिंपलगांव मंडी में एक छोटी सी गाड़ी में टमाटर भरकर लाए एक युवा किसान कल्‍पसेन ने यह बात कही।

युवा किसान कल्‍पसेन

22 साल के कल्पसेन केशव ठुमरे नासिक के चांदवाड तालुका के रहने वाले हैं। वो गुस्‍से में थोड़ा बड़बड़ाने के बाद बोले- ''अभी प्याज के रेट को लेकर सब टीवी वाले हंगामा कर रहे हैं। अब टमाटर का रेट थोड़ा बढ़ा है तो उसकी बात भी चलने लगी है। लेकिन कोई ये नहीं देख रहा कि मेरे खेत में क्या हुआ। लगातार बारिश से 70 फीसदी टमाटर की फसल खराब हो गई है। पैदावार ही नही होगी तो रेट से किसान कितना कमा लेगा।''

महाराष्‍ट्र का नासिक जिला अंगूर, टमाटर और प्याज की खेती के लिए जाना जाता है। नासिक में 1.25 लाख हेक्टेयर की जमीन पर टमाटर की खेती होती है। यहां के किसान आधुनिक तरीकों को अपनाकर टमाटर उगाते हैं। हालांकि इस बार महाराष्‍ट्र में भारी बारिश की वजह से टमाटर की खेती काफी प्रभावित हुई है। इस वजह से फसल की फ्लावरिंग पर असर पड़ा है, जिससे टमाटर की कीमतों में इजाफा हो रहा है।

पिंपलगांव जहां भारत की सबसे बड़ी टमाटर मंडी है

भारत की सबसे बड़ी टमाटर मंडी पिंपलगांव में (25 सितंबर) को छोटी-बड़ी 50 गाड़‍ियों से टमाटर आया था। यह आम दिनों के मुकाबले काफी कम है। इस वजह से बुधवार को मंडी में थोक का भाव 500 से 650 रुपए कैरेट (20 किलो) तक गया। किसानों के मुताबिक 25 जुलाई के बाद शुरू हुई बारिश ने टमाटर की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। पिछले 15-20 दिनों में टमाटर की कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं क्योंकि बारिश के चलते फसल बर्बाद हुई है और मंडी में टमाटर नहीं पहुंच रहा।

बारिश की वजह से चांदवाड इलाके के ही किसान पप्पू शींदे का चार एकड़ टमाटार खराब हुआ है। वो कहते थे, ''इस बार टमाटर की फसल बहुत अच्छी थी, उम्मीद थी अच्छे पैसे मिलेंगे, लेकिन बारिश के चलते उसमें काले दाग पड़ रहे हैं। ऐसे में माल के दाम कम मिलते हैं, उत्पादन पहले से गिरा है।''

पप्पू शींदे प्याज और टमाटर की खेती करते हैं

वहीं किसान अनिल आहेर बताते हैं, ''इस बार रेट तो अच्छा है लेकिन पिछले साल जो घाटा हुआ था वो पूरा नहीं हो पाएगा। किसान पहले से कर्ज में डूबे हैं। टमाटर का रेट तो अच्छा है, लेकिन अब खेत में उतना पैदा नहीं होगा, क्योंकि बारिश के चलते फसल का नुकसान हो गया है। माल की क्वालिटी खराब हो गयी है। ऐसे में जो व्यापारी माल खरीदकर दूर भेजते थे वो अब नहीं भेज रहे, क्योंकि वो सड़ जाएगा।''

ऐसा नहीं कि मौमस की मार का असर सिर्फ किसानों पर हुआ है। इससे बड़े और छोटे कारोबारी भी बेहाल हैं। पिंपलगांव मंडी में बड़े कारोबारी राशिद अली आढ़ती भीमाशंकर वेजिटेबल कंपनी के साथ मिलकर अपनी एएफसी कंपनी चलाते हैं। 25 सितंबर को जब गांव कनेक्शन टीम उनकी आढ़त पर पहुंची तो सन्नाटा था।


राश‍िद अली (61 साल) बताते हैं, ''आज माल की खरीदी ही नहीं की गई है। कम से कम तीन ट्रक (50 टन) माल रोज खरीदते थे। लेकिन आज बिल्कुल खरीदी नहीं की। इस महीने में ऐसा कई बार हुआ है क्योंकि धंधे में पैसा नहीं बच रहा। एक दिन की आढत में लेबर मिलाकर खर्च कम से कम 25000 का आता है, लेकिन काम बंद रखना पड़ रहा है।''

मूलरूप से उत्तर प्रदेश में अमरोहा के रहने वाले राशिद अली साल के 4 महीने यहां आकर अंगूर और 4 महीने टमाटर का काम करते हैं, लेबर भी वहीं से लाते हैं। वो बताते हैं, ''मैं 1981 से टमाटर का काम कर रहा हूं, इस बार सबसे ज्यादा दिक्कत है, लेकिन इसमें किसी का दोष नहीं क्योंकि सब बारिश ने बर्बाद किया है। 1997 के बाद अबकी साल इतनी बारिश देख रहा हूं।''

नासिक जिले के पिंपलगांव मंडी में बड़े कारोबारी राशिद अली

इससे पहले कि राश‍िद अपनी बात पूरी करते तेज बारिश शुरू हो गई। तेज बारिश को दिखाते हुए वो कहते हैं, ''ये बारिश नहीं, टमाटार के लिए जहर है। दो दिन से लगातार रुक रुककर बारिश हो रही है। ऐसा ही रहा तो बची खुची फसल भी जाएगी।''

आजादपुर मंडी नई दिल्ली के टमाटर एसोसिशन के उप प्रधान अशोक कुमार बताते हैं, "भारी बारिश की वजह से महाराष्ट्र से टमाटर की आवक रुक गई है। जो टमाटर आ भी रहा है वो यहां पहुंचते-पहुंचते फट जा रहा जिस कारण व्यापारी उसे खरीद नहीं रहे हैं। हमारे यहां टमाटर की कीमत 50 से 60 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। आने वाले समय में अगर बारिश नहीं रुकी तो कीमत और बढ़ेगी।"

   

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